नशीली दवाओं के खिलाफ महत्वाकांक्षी युद्ध का आह्वान

-नशीली दवाओं के के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय दिवस – 26 जून, 2025-

नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय दिवस हर साल 26 जून को नशीली दवाओं मुक्त दुनिया को निर्मित करने के लक्ष्य को प्राप्त करने, कार्रवाई और सहयोग को मजबूत करने के लिए मनाया जाता है। इसका उद्देश्य गलत सूचनाओं का मुकाबला करना और नशीली दवाओं के बारे में तथ्यों को साझा करना है। साथ ही साक्ष्य आधारित रोकथाम, स्वास्थ्य जोखिमों और विश्व नशीली दवाओं की समस्या, उपचार और देखभाल से निपटने के लिए उपलब्ध समाधानों के बारे में जागरूकता पैदा करना है। अवैध ड्रग्स एवं तस्करी मानव के लिए बहुत बड़ी पीड़ा एवं संकट का स्रोत हैं। सबसे कमज़ोर लोग, खास तौर पर युवा लोग, इस संकट का खामियाजा भुगतते हैं। ड्रग्स का इस्तेमाल करने वाले और नशे की लत से जूझ रहे लोग अंधेरी दुनिया में भटकते हुए कई चुनौतियों का सामना कर रहे है।

नशीली दवाओं एवं ड्रग्स के खुद के हानिकारक प्रभाव, उनके द्वारा झेला जाने वाला कलंक, स्वास्थ्य संकट और भेदभाव और अक्सर उनकी स्थिति के प्रति कठोर और अप्रभावी प्रतिक्रियाएं दुनिया को एक महासंकट में धकेल रही है। इसलिये नशे एवं नशीली दवाओं के बढ़ते प्रचलन एवं तस्करी को रोकने के लिये दुनिया को एकजुट होकर इस महत्वाकांक्षी युद्ध को सफल बनाना नितांत अपेक्षित है। हर साल संयुक्त राष्ट्र मादक पदार्थ एवं अपराध कार्यालय (यूएनओडीसी) वैश्विक जागरूकता अभियानों और नीति सिफारिशों का मार्गदर्शन करने के लिए एक थीम निर्धारित करता है। 2025 की थीम है- ‘‘जंजीरों को तोड़ना : सभी के लिए रोकथाम, उपचार और पुनर्प्राप्ति!’’ यह नारा सामुदायिक समर्थन, स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच और नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी से निपटने में वैश्विक एकजुटता की आवश्यकता पर जोर देता है।

यूएनओडीसी की विश्व मादक पदार्थ रिपोर्ट 2020 के अनुसार, वर्ष 2018 में वैश्विक स्तर पर 269 मिलियन लोगों ने मादक पदार्थों का उपयोग किया, जो वर्ष 2009 की तुलना में 30 प्रतिशत अधिक है; तथा अनुमान है कि 35 मिलियन लोग मादक पदार्थ उपयोग विकारों से पीड़ित हैं। यह दिवस न्याय, शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और वैकल्पिक आजीविका सहित रोकथाम में निवेश का आह्वान करता है-जो टिकाऊ लचीलेपन के निर्माण के साथ उन्नत एवं स्वस्थ मानव जीवन का आधार हैं। दुनिया में सभी राष्ट्रों में राजनीति और ड्रग्स का चोली दामन का संबंध है, सभी देशों में बड़ी राजनीतिज्ञ पार्टियों की नशा माफिया एवं नशीले पदार्थों के तस्करों के साथ काफी मिलीभगत है और यही वजह है कि दुनिया ‘नशीले पदार्थों की राजनीति’ के युग से गुजर रही है। इसलिये भी यह समस्या उग्र से उग्रतर होती जा रही है। जिससे समय के साथ दुनिया में हेरोइन, अफीम, गांजा, चरस के अलावा अन्य नशों के साथ कैप्सूल और नशीली दवाइयों का चलन बढ़ने लगा है।

नशीली दवाओं का दुरुपयोग और अवैध तस्करी वैश्विक स्तर पर चिंता का विषय बनी हुई है, जिससे लाखों व्यक्ति, परिवार और समाज प्रभावित हो रहे हैं। इसीलिये यह दिवस एक स्वस्थ और नशीली दवाओं से मुक्त समाज बनाने के लिए साक्ष्य-आधारित नीतियों, सामुदायिक सहभागिता और नुकसान कम करने की रणनीतियों के महत्व पर प्रकाश डालता है। पिछले वर्ष विश्वभर में 15-64 वर्ष की आयु के 300 मिलियन से अधिक लोगों ने नशीले पदार्थों का उपयोग किया है। मादक द्रव्यों के सेवन संबंधी विकार से पीड़ित 8 में से 1 व्यक्ति को उपचार मिल पाता है, जिससे बेहतर स्वास्थ्य सेवा पहुंच की तत्काल आवश्यकता उजागर होती है। वैश्विक नशीली दवाओं का व्यापार प्रतिवर्ष 400 बिलियन डॉलर से अधिक उत्पन्न करता है, जिससे संगठित अपराध, भ्रष्टाचार और हिंसा को बढ़ावा मिलता है। इस बड़े संकट की रोकथाम की आवश्यकता को महसूस करते हुए ही संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 7 दिसंबर, 1987 को संकल्प 42/112 के माध्यम से आधिकारिक तौर पर इस दिवस को स्थापित किया।

इसका लक्ष्य नशीली दवाओं से संबंधित समस्याओं से निपटने में वैश्विक सहयोग को मजबूत करना और दंडात्मक उपायों के बजाय सार्वजनिक स्वास्थ्य-आधारित प्रतिक्रियाओं को बढ़ावा देना है। नशीली दवाओं का दुरुपयोग शरीर में लगभग हर प्रणाली को प्रभावित करता है, जिससे गंभीर अल्पकालिक और दीर्घकालिक परिणाम सामने आते हैं। मादक द्रव्यों के सेवन से दीर्घकालिक स्वास्थ्य स्थितियाँ पैदा होती हैं, जिसमें ओपिओइड, मेथ और सिंथेटिक ड्रग्स सबसे ज्यादा मृत्यु दर और दीर्घकालिक अंग क्षति का कारण बनते हैं। इसके अलावा, नशीली दवाओं के दुरुपयोग के मानसिक स्वास्थ्य परिणाम उपयोगकर्ता से परे तक फैल जाते हैं, जिससे अक्सर परिवार टूट जाते हैं, रोजगार छिन जाता है और अपराध दर बढ़ जाती है।

भारत में नशीली दवाओं का दुरुपयोग एक बढ़ता हुआ संकट है, जो भौगोलिक रूप से कमजोर, बढ़ती उपलब्धता और कम उम्र में इसकी शुरुआत से प्रेरित है। यह समस्या सभी आयु समूहों में फैली हुई है, लेकिन युवाओं में यह विशेष रूप से चिंताजनक है, जिसके स्वास्थ्य और सामाजिक परिणाम महत्वपूर्ण हैं। नशा मुक्त भारत अभियान – जागरूकता, शिक्षा और सामुदायिक कार्रवाई वाला एक राष्ट्रीय अभियान है। सीमा नियंत्रण और नारकोटिक्स ब्यूरो (एनसीबी)- बढ़ते नशीली दवाओं एवं नशे उत्पादों की तस्करी से निपटता है। यह नशीली दवाओं की जब्ती और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग पर काम करता है। नशे एवं ड्रग्स के धंधे की रोकथाम एवं जन-जागृति के लिये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत में उल्लेखनीय उपक्रम किये हैं, नयी-नयी योजनाओं को लागू किया है। मोदी सरकार नशीली दवाओं के दुरुपयोग के शिकार लोगों के कल्याण, नशामुक्ति एवं नशामुक्त भारत को निर्मित करने के प्रतिबद्ध है।

पाकिस्तान ने भारत में आतंकवाद की ही तरह नशे एवं ड्रग्स को व्यापक स्तर पर फैलाया है, जिसके दुष्परिणाम विशेषतः पंजाब के साथ-साथ समूचे देश को भोगने को विवश होना पड़ रहा है। पंजाब नशे की अंधी गलियों में धंसता जा रहा है, सीमा पार से शुरू किए गए इस छद्म युद्ध की कीमत पंजाब की जनता को चुकानी पड रही है, देर आये दुरस्त आये की भांति लगातार चुनौती बने नशीली दवाओं एवं ड्रग्स के धंधे के खिलाफ आप सरकार ने एक महत्वाकांक्षी युद्ध एवं अभियान शुरू किया है। दरअसल, सबसे बड़ा संकट यह है कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और ईरान में हेरोइन उत्पादन के केंद्र- गोल्डन क्रिसेंट के निकट होने के कारण पंजाब लंबे समय से मादक पदार्थों की तस्करी से जूझ रहा है। पंजाब के 26 प्रतिशत युवा चरस, अफीम तथा कोकीन व हेरोइन जैसे सिंथेटिक ड्रग्स लेने में लिप्त हैं। पंजाब देश में ड्रग्स में सर्वाधिक संलिप्त राज्यों में आता है। यह डाटा गतदिनों गृहमंत्री अमित शाह की उपस्थिति में ‘मादक पदार्थों की तस्करी एवं राष्ट्रीय सुरक्षा’ पर आयोजित क्षेत्रीय सम्मेलन में सामने आया।

पंजाब में नशे की समस्या पर सुप्रीम कोर्ट भी चिन्ता व्यक्त करता रहा है, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी पूर्व में ‘ड्रग्स-फ्री इंडिया’ अभियान चलाने की बात कहकर इस राष्ट्र की सबसे घातक बुराई की ओर जागृति का शंखनाद किया है। देश के युवा अपनी अमूल्य देह में बीमार फेफड़े और जिगर सहित अनेक जानलेवा बीमारियां लिए एक जिन्दा लाश बने जी रहे हैं, पौरुषहीन भीड़ का अंग बन कर। ड्रग्स के सेवन से महिलाएं बांझपन का शिकार हो रही हैं। पुरुषों पर भी इसका प्रभाव पड़ रहा है। नशे के ग्लैमर की चकाचौंध ने जीवन के अस्तित्व पर चिन्ताजनक स्थितियां खड़ी कर दी है।

चिकित्सकीय आधार पर देखें तो अफीम, हेरोइन, चरस, कोकीन, तथा स्मैक जैसे मादक पदार्थों से व्यक्ति वास्तव में अपना मानसिक संतुलन खो बैठता है एवं पागल तथा सुप्तावस्था में हो जाता है। मामला सिर्फ स्वास्थ्य से नहीं अपितु अपराध से भी जुड़ा हुआ है। कहा भी गया है कि जीवन अनमोल है। नशे के सेवन से यह अनमोल जीवन समय से पहले ही मौत का शिकार हो जाता है या अपराध की अंधी गलियों में धंसता चला जाता है, पाकिस्तान युवाओं को निस्तेज करके एक नये तरीके के आतंकवाद को अंजाम दे रहा है। संगठित अपराध और मादक पदार्थों की तस्करी के चक्र को तोड़ने के लिए समन्वित दीर्घकालिक कार्रवाई की आवश्यकता है। जरूरत है दुनिया की इस बड़े संकट एवं नासूर बनती इस समस्या को जड़मूल से समाप्त करने के लिये सरकारों के साथ गैर-सरकारी संगठन कमर कसे।

ललित गर्ग
ललित गर्ग
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