भारतीय विज्ञान जगत में एक क्रांतिकारी खोज ने क्वांटम भौतिकी की पूर्वस्थापित अवधारणाओं को चुनौती दी है। रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट (RRI), बेंगलुरु के वैज्ञानिकों और उनके राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों द्वारा किया गया यह अनुसंधान इस ओर संकेत करता है कि ध्वनि, जिसे अब तक क्वांटम प्रणालियों के लिए एक विघ्नकारी तत्व माना जाता था, कुछ विशिष्ट परिस्थितियों में लाभकारी भी हो सकती है।
क्वांटम उलझाव: विज्ञान की गहराई में छिपा रहस्य
इस अध्ययन का केंद्र बिंदु क्वांटम उलझाव (Quantum Entanglement) है, जो आधुनिक क्वांटम भौतिकी की बुनियादी अवधारणा है। जब दो या अधिक कण उलझे होते हैं, तो वे अंतरिक्ष में कितनी भी दूरी पर हों, उनके बीच एक रहस्यमय और तत्काल संबंध बना रहता है। अल्बर्ट आइंस्टीन ने इस अद्भुत परिघटना को ‘दूरस्थ डरावनी क्रिया’ (Spooky Action at a Distance) कहा था।

पारंपरिक रूप से, वैज्ञानिकों ने यह माना कि पर्यावरणीय ध्वनि—जैसे तापीय कंपन, विद्युत-चुंबकीय विक्षोभ आदि—क्वांटम उलझाव को नुकसान पहुंचाती है। यह प्रक्रिया जिसे डिकोहेरेंस कहा जाता है, क्वांटम प्रणालियों की सूक्ष्मता को बाधित करती है, जिससे वे पारंपरिक (क्लासिकल) रूप में परिवर्तित हो जाती हैं।
अंतःकणीय उलझाव: एक नया दृष्टिकोण
हालांकि, RRI के शोधकर्ताओं ने इस विश्वास को चुनौती दी है। उन्होंने क्वांटम उलझाव के एक कम चर्चित रूप—’अंतःकणीय उलझाव’ (Intraparticle Entanglement)—पर ध्यान केंद्रित किया। इसमें उलझाव एक ही कण के भीतर मौजूद विभिन्न गुणों या डिग्रियों के बीच होता है। यह शोध इंगित करता है कि अंतःकणीय उलझाव न केवल ध्वनि के प्रभाव से अधिक स्थिर होता है, बल्कि कुछ विशिष्ट परिस्थितियों में ध्वनि से उत्पन्न और पुनर्जीवित भी हो सकता है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण: गणितीय मॉडल और वास्तविक वातावरण
RRI के वैज्ञानिकों ने ध्वनि के प्रभावों का परीक्षण करने के लिए एक एम्पलीट्यूड डेम्पिंग चैनल पर आधारित सटीक गणितीय मॉडल का उपयोग किया। इस मॉडल ने यह दर्शाया कि जब ध्वनि एक क्वांटम कण पर कार्य करती है, तो वह न केवल उलझाव को मिटा सकती है, बल्कि इसे वापस भी ला सकती है—यहां तक कि वहां भी जहां पहले कोई उलझाव नहीं था।
चित्रात्मक ज्यामिति और समीकरणों के माध्यम से यह दर्शाया गया कि इनपुट अवस्था और ध्वनि की तीव्रता के आधार पर उलझाव किस प्रकार विकसित होगा। यह विश्लेषण क्वांटम प्रणाली की व्यवहार्यता को बेहतर ढंग से समझने के लिए एक सशक्त उपकरण सिद्ध हुआ है।

अंतरकणीय बनाम अंतःकणीय उलझाव
जब यही अध्ययन दो अलग-अलग कणों के बीच के पारंपरिक उलझाव—अंतरकणीय उलझाव—पर लागू किया गया, तो निष्कर्ष भिन्न थे। ध्वनि के प्रभाव से इनमें केवल क्षय देखा गया, न कोई पुनर्जीवन, न कोई नई उलझाव की उत्पत्ति। इससे यह निष्कर्ष निकलता है कि अंतःकणीय उलझाव पर्यावरणीय विक्षोभ के प्रति अधिक लचीला और उत्तरदायी है।
क्वांटम प्रौद्योगिकी के लिए नए रास्ते
इस शोध के परिणाम क्वांटम संचार, क्वांटम कंप्यूटिंग और क्वांटम संवेदन जैसे क्षेत्रों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। RRI की क्वांटम सूचना और कंप्यूटिंग प्रयोगशाला की प्रमुख प्रो. उर्बसी सिन्हा ने कहा कि यह अध्ययन एक सामान्य रूपरेखा प्रदान करता है, जिससे यह समझना संभव होता है कि क्वांटम उलझाव विभिन्न प्रकार की ध्वनि परिस्थितियों में कैसे व्यवहार करता है। भविष्य में इस मॉडल को और अधिक यथार्थवादी बनाने के लिए इसे विशेष भौतिक प्रणालियों पर लागू किया जाएगा।
वैश्विक वैज्ञानिक सहयोग
इस अध्ययन में भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc), IISER कोलकाता, कैलगरी विश्वविद्यालय और बोस इंस्टीट्यूट, कोलकाता जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के वैज्ञानिकों का सहयोग भी शामिल है। विशेष रूप से इंडिया-ट्रेंटो प्रोग्राम ऑन एडवांस्ड रिसर्च और राष्ट्रीय क्वांटम मिशन द्वारा आंशिक रूप से समर्थित यह परियोजना भारत में क्वांटम प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक वैश्विक नेतृत्व की दिशा में कदम है।
व्यापक प्रभाव: व्यावहारिक और स्थायी समाधान की ओर
यह खोज बताती है कि क्वांटम ध्वनि को केवल बाधा नहीं माना जाना चाहिए, बल्कि वह एक संभावित साधन भी हो सकती है, जो क्वांटम उलझाव को उत्पन्न करने और बनाए रखने में सहायक हो सकती है। यह निष्कर्ष भविष्य में अधिक स्थिर, लचीले और ऊर्जा कुशल क्वांटम प्रणालियों के विकास के लिए महत्वपूर्ण मार्ग प्रशस्त कर सकता है।