नीति आयोग ने वित्त वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर 2024) के लिए ट्रेड वॉच क्वार्टरली पुस्तिका का तीसरा संस्करण जारी किया। इस अवसर पर आयोग के सदस्य डॉ. अरविंद विरमानी द्वारा इसका औपचारिक विमोचन किया गया। यह रिपोर्ट वैश्विक व्यापार में उभरते रुझानों, विशेषकर अमेरिकी टैरिफ संरचनाओं में हालिया बदलावों और उनके भारत की निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता पर प्रभाव का व्यापक विश्लेषण प्रस्तुत करती है।

तिमाही व्यापार प्रदर्शन: सतर्क लेकिन स्थिर प्रगति
रिपोर्ट के अनुसार, भारत के व्यापार प्रदर्शन ने भू-राजनीतिक अस्थिरता के बीच सतर्क स्थिरता दिखाई है। वित्त वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही में भारत के व्यापारिक निर्यात में 3% की वृद्धि हुई, जो 108.7 बिलियन डॉलर तक पहुँचा। जबकि आयात 6.5% बढ़कर 187.5 बिलियन डॉलर हो गया। सेवा क्षेत्र में 17% की वार्षिक वृद्धि दर्ज की गई, जिसके परिणामस्वरूप 52.3 बिलियन डॉलर का सेवा अधिशेष दर्ज किया गया, जिससे व्यापार घाटे को काफी हद तक संतुलित किया गया।
विमान और अंतरिक्ष पुर्जों से लेकर डिजिटल सेवाओं तक
इस तिमाही में विमान, अंतरिक्ष यान और उनके पुर्जों के निर्यात में 200% से अधिक की वर्ष-दर-वर्ष वृद्धि देखी गई, जिससे वे शीर्ष दस निर्यात वस्तुओं में शामिल हो गए। स्मार्टफोन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के निर्यात में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। भारत ने वर्ष 2024 में 269 बिलियन डॉलर मूल्य की डिजिटल सेवाओं (DDS) का निर्यात किया, जिससे वह विश्व का पांचवां सबसे बड़ा DDS निर्यातक बन गया।
अमेरिका की नई टैरिफ नीति: भारत के लिए अवसर
इस संस्करण का विषयगत खंड अमेरिका की बदलती व्यापार नीति और उसके भारत पर प्रभाव पर केंद्रित है। अप्रैल से जुलाई 2025 के बीच अमेरिका ने सभी आयातों पर न्यूनतम 10% टैरिफ और विशिष्ट देशों—जैसे चीन, कनाडा, मैक्सिको, वियतनाम और थाईलैंड—पर इससे भी अधिक शुल्क लागू किए हैं। इसके चलते भारत को रणनीतिक प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त मिली है।
विश्लेषण में पाया गया है कि:
- HS-2 स्तर पर भारत के अमेरिका को किए गए निर्यात में से 61% हिस्से वाले उत्पादों में भारत को प्रतिस्पर्धात्मक लाभ प्राप्त है।
- HS-4 स्तर पर यह लाभ 78 उत्पाद श्रेणियों में प्राप्त है, जो भारत के अमेरिका को निर्यात का 52% हिस्सा बनाते हैं।
उभरते अवसर: तकनीक और श्रम-प्रधान क्षेत्रों में बढ़त
इलेक्ट्रिकल मशीनरी, फार्मास्यूटिकल्स, वस्त्र, और नाभिकीय रिएक्टरों जैसे क्षेत्रों में भारत को चीन, मैक्सिको और कनाडा के मुकाबले टैरिफ में महत्वपूर्ण लाभ मिल रहा है। उदाहरणतः, इलेक्ट्रिकल मशीनरी में चीन पर 19.3% अधिक शुल्क लागू है, जबकि भारत इस श्रेणी में अमेरिका को 12.6 बिलियन डॉलर का निर्यात करता है।
सेवा क्षेत्र और डिजिटल व्यापार में भारत की स्थिति
भारत की डिजिटली डिलीवर्ड सर्विसेज का निर्यात वर्ष 2024 में दोगुना होकर 269 बिलियन डॉलर पहुंच गया है। इसमें प्रमुख भूमिका ‘अन्य व्यवसाय सेवाओं’ (53%) और ‘कंप्यूटर सेवाओं’ (39%) की रही। इसके चलते भारत वैश्विक डिजिटल व्यापार में अग्रणी बनकर उभरा है। रिपोर्ट में सुझाया गया है कि नीति निर्माताओं को डिजिटल व्यापार, डेटा प्रवाह और पारस्परिक मान्यता समझौतों पर आधारित ढांचा तैयार करना चाहिए, जिससे भारत की सेवा-आधारित निर्यात रणनीति को मजबूती मिले।
डॉ. विरमानी की टिप्पणी
इस अवसर पर डॉ. अरविंद विरमानी ने कहा कि यह प्रकाशन न केवल भारत की व्यापारिक प्रगति को दर्शाता है, बल्कि अमेरिका जैसे रणनीतिक बाजारों में भारत की स्थिति को बेहतर ढंग से प्रस्तुत करता है। उन्होंने कहा, “यह रिपोर्ट नीति निर्माताओं, उद्योग जगत और शिक्षा जगत के लिए एक बहुमूल्य संसाधन है, जो वैश्विक व्यापार में भारत की सक्रिय और रणनीतिक भागीदारी को मजबूत करने में सहायक होगी।”
संपूर्ण प्रकाशन को एक्सेस करने के लिए यहां क्लिक करें:
https://www.niti.gov.in/sites/default/files/2025-07/Trade-Watch-Quarterly.pdf