यूथ में बढ़ता जुनून सेल्फी: सावधान, जान की कीमत पर कतई नहीं

    आजकल सेल्फी लेने की होड़ में लोग खासकर युवा, अक्सर अपनी जान की परवाह किए बिना खतरनाक जगहों पर जाकर तस्वीरें लेने की कोशिश करते हैं। यह प्रवृत्ति न सिर्फ खतरनाक है, बल्कि समाज में एक गलत संदेश भी देती है। जिंदगी को दांव पर लगाकर महज एक सेल्फी के लिए अपनी जान जोखिम में डालना या असमय मौत को आमंत्रण देने की घटनाएं आजकल प्राय कहीं भी चाहे देश हो या विदेश यदा कदा सेल्फी के चक्कर में मौत मौत हो जाने की घटनाएं होनी आम हो चुकी है। पर्यटकों को समझना होगा कि जीवन की कीमत किसी भी मनोरंजक गतिविधि से कहीं अधिक है।    

प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लें, लेकिन सुरक्षा को सर्वोपरि रखें। मानसून की आहट के साथ विभिन्न प्रदेशों का प्राकृतिक सौंदर्य अपने चरम पर होता है। जलप्रपात, नदियां और नाले उफनते हुए एक मनमोहक दृश्य प्रस्तुत करते हैं, जो पर्यटकों को अपनी ओर खींचते है। इस प्राकृतिक वैभव को निहारने के लिए बड़ी संख्या में लोग जुटते हैं, लेकिन यही आकर्षण अक्सर दुर्घटनाओं का सबब बन जाते है। हाल ही में  रायपुर की एक युवती का गरियाबंद के जलप्रपात में जान गंवाना इसी दुखद कड़ी का हिस्सा है। मानसून में ऐसी खबरें आम हो जाती हैं। प्रशासन की चेतावनी को अक्सर पर्यटक नजरअंदाज कर देते हैं। तेज बहाव, फिसलन भरी चट्टानें और पानी की गहराई का गलत अनुमान दुर्घटनाओं का मुख्य कारण बनता है। 

सेल्फी लेने की होड़ या सिर्फ रोमांच के लिए लोग खतरनाक जगहों पर चले जाते हैं, जिससे अचानक आई बाढ़ या पैर फिसलने से गंभीर परिणाम सामने आते हैं। इस समस्या से निपटने के लिए सुरक्षा उपायों को मजबूत करना आवश्यक है। जलप्रपातों के पास प्रशिक्षित गार्ड तैनात किए जाने चाहिए। खतरनाक क्षेत्रों में चेतावनी बोर्ड और सुरक्षा घेरा बनाना चाहिए। इसके साथ ही जीवन रक्षक सुविधाओं से लैस एंबुलेंस की तैनाती सुनिश्चित की जानी चाहिए। जन जागरूकता अभियान को भी तेज करने की जरूरत है। स्कूलों और कालेजों में भी इन सावधानियों पर जोर देने वाले अभियान चलाए जाने चांहिए। पर्यटकों को समझना होगा कि जीवन की कीमत किसी भी मनोरंजक गतिविधि से कहीं अधिक है। प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लें, लेकिन सुरक्षा को सर्वोपरि रखें।

महज एक सेल्फी के लिए कुछ जगहें जहां लोग जान जोखिम में डालते हैं जैसे-1. ऊँची पहाड़ियां या चट्टानें जैसे कि पहाड़ की धार या खाई के किनारे।2. चलती ट्रेन के पास या ऊपर रेलवे ट्रैक या डिब्बों के पास खड़े होकर।3. समुद्र की लहरों के बीच या झरनों के पास – जहाँ फिसलने या बह जाने का खतरा हो।4. उचाई वाली इमारतों की छतों पर बिना सुरक्षा के।5. वाइल्डलाइफ या खतरनाक जानवरों के साथ जैसे शेर, हाथी या साँप के करीब जाकर।जिंदगी अनमोल है: एक फोटो के लिए जान जोखिम में डालना समझदारी नहीं है। परिवार और समाज प्रभावित होता हैः दुर्घटनाओं से परिवारों को अपार दुख और पीड़ा झेलनी पड़ती है। अन्य युवाओं को गलत प्रेरणा मिलती हैः सोशल मीडिया पर दिखावा दूसरों को भी जोखिम उठाने के लिए उकसाता है।    

इसके लिए कई कार्य किया जा सकते हैं जैसे- जनजागरूकता फैलानाः स्कूलों, कॉलेजों और सोशल मीडिया पर अभियान चलाकर इस विषय पर जागरूकता। खतरनाक जगहों पर चेतावनी बोर्ड लगाना: “नो सेल्फी जोन” जैसे संकेत। परिवार और मित्रों की भूमिकाः यदि कोई व्यक्ति जोखिम भरी जगह पर सेल्फी लेने की कोशिश करे, तो उसे रोका जाए। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स की जिम्मेदारीः जोखिम भरे कंटेंट को प्रमोट न किया जाए। इन घटनाओं से बचने के लिए कई उपाय किए जा सकते हैं जैसे सामाजिक माध्यम से अभियान चला कर। वीडियो क्लिप्सः 1 मिनट की रील्स खतरनाक सेल्फी के नतीजों को दिखाते हुए। इन्फोग्राफिक्सः सेल्फी से मौतों के आँकड़े, कारण और बचाव। शैक्षणिक संस्थानों में कार्यक्रमःस्कूल और कॉलेज में जागरूकता सत्र, जैसे किःपीपीटी प्रेजेंटेशन छात्र-नाटक,पोस्टर प्रतियोगिताएँ, जन-भागीदारी की अपील, माता-पिता और अभिभावक बच्चों से संवाद करें। सेलिब्रिटी / सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर से अपील करें कि वे जिम्मेदारी से फोटो शेयर करें।

सेल्फी लेना गलत नहीं है, लेकिन बिना सुरक्षा के, खतरनाक जगह पर फोटो लेना जीवन के लिए घातक हो सकता है। समाज को मिलकर इस प्रवृत्ति पर रोक लगानी होगी। इस डिजिटल दौर में, हमें यह  सिखना सिखाना होगा कि  “जिंदगी से बड़ी कोई तस्वीर नहीं होती।”एक अच्छी फोटो कभी भी आपकी जान से कीमती नहीं हो सकती। हमें मिलकर इस प्रवृत्ति को बदलने की जरूरत है ताकि कोई और व्यक्ति एक तस्वीर के चक्कर में अपनी जिंदगी न गंवाए।

भारत में सेल्फी से हुई मौतों के आंकड़े एवं वैश्विक स्तर के आंकड़े (2014-2023‌ तक) दुनिया भर में करीब 399 लोग सेल्फी लेते समय अपनी जान गंवा चुके हैं, और इनमें सबसे अधिक मौतें भारत में लगभग 190 लोगों की हुई हैं। भारत के बाद, अमेरिका में लगभग 29 मौतें, और रूस में लगभग 18 मौतें हुई हैं। ‌जरनल आफ फैमिली मेडिसिन प्रायमरी केयर की एक रिपोर्ट के अनुसार, अक्टूबर 2011 से नवंबर 2017 के बीच दुनिया भर में लगभग 259 सेल्फी-से मौतें हुईं, जिनमें से लगभग 159 भारत में दर्ज हुईं। इस अवधि में भारत की हिस्सेदारी लगभग 50% तक थी, जिसमें यंग एज ग्रुप (≈23 वर्ष) तथा पुरुषों की संख्या अधिक थी। 

 महाद्वीपों में मार्च 2014 सेतंबर 2016 तक लगभग 127 सेल्फी-से मृत्यु दर्ज की गई थीं, जिसमें से भारत में लगभग 76 मृत्यु हुईं। वही 2015 में लगभग 24 बिलियन सेल्फीज लिए गए, जिसमें भारत में लगभग 39 मौतें हुईं, 2014 में 15 और 2016 में लगभग 73 ग्लोबली हुई मौतों की तुलना में भारत में हिस्सेदारी अधिक थी।  वैश्विक स्तर पर सेल्फी से मौतों में सबसे आगे है।आज तक दर्ज डेटा के अनुसार, भारत में लगभग 190 मौतें (2014-2023) और लगभग 159 मौतें (2011-2017) हुई हैं। सेल्फी के प्रवृत्ति का कारणः-सोशल मीडिया का प्रभावः इंस्टाग्राम, फेसबुक, स्नैपचैट पर ‘लाइक’ और ‘फॉलोअर्स’ पाने की होड़।  

युवाओं में पहचान बनाने की चाहः जोखिम उठाकर ‘डरते नहीं हम’ वाली छवि दिखाना। दूसरों को देखकर खुद भी वैसा ही करना।डिजिटल डोपामिनः फोटो पर मिलने वाली सराहना से तात्कालिक संतुष्टि! इसका दुष्परिणाम ही है कि मानव जीवन की क्षतिः भारत में ही 2014-2023 के बीच लगभग लगभग 190 मौतें सिर्फ सेल्फी लेते समय हुईं। परिवार पर प्रभावः माता-पिता, भाई-बहन के लिए यह दुख जीवन भर बना रहता है। अस्पताल / रेस्क्यू संसाधनों पर दबावः एक सेल्फी हादसे में कई लोगों को रिस्क में डालना।गलत सामाजिक उदाहरण दूसरे युवा भी उसी तरह जोखिम लेने के लिए प्रेरित होते हैं। 

“सेल्फी नहीं, सुरक्षा पहले!”

“जान से बड़ी कोई तस्वीर नहीं!”

“एक सेल्फी के लिए जान मत गंवाओ।”

“लाइक्स के लिए मत खेलो अपनी लाइफ से।”

“सेल्फी का शौक, कब बन जाए मौत।। 

 

सुरेश सिंह बैस "शाश्वत"
सुरेश सिंह बैस “शाश्वत”
आपका सहयोग ही हमारी शक्ति है! AVK News Services, एक स्वतंत्र और निष्पक्ष समाचार प्लेटफॉर्म है, जो आपको सरकार, समाज, स्वास्थ्य, तकनीक और जनहित से जुड़ी अहम खबरें सही समय पर, सटीक और भरोसेमंद रूप में पहुँचाता है। हमारा लक्ष्य है – जनता तक सच्ची जानकारी पहुँचाना, बिना किसी दबाव या प्रभाव के। लेकिन इस मिशन को जारी रखने के लिए हमें आपके सहयोग की आवश्यकता है। यदि आपको हमारे द्वारा दी जाने वाली खबरें उपयोगी और जनहितकारी लगती हैं, तो कृपया हमें आर्थिक सहयोग देकर हमारे कार्य को मजबूती दें। आपका छोटा सा योगदान भी बड़ी बदलाव की नींव बन सकता है।
Book Showcase

Best Selling Books

The Psychology of Money

By Morgan Housel

₹262

Book 2 Cover

Operation SINDOOR: The Untold Story of India's Deep Strikes Inside Pakistan

By Lt Gen KJS 'Tiny' Dhillon

₹389

Atomic Habits: The life-changing million copy bestseller

By James Clear

₹497

Never Logged Out: How the Internet Created India’s Gen Z

By Ria Chopra

₹418

Translate »