बिलासपुर। छत्तीसगढ़ प्रदेश के लिए दो मंत्रियों का नाम तय होने में पिछले साल से अजीब सी कश्मकश बनी हुई है। जहां एक तरफ सत्ता के गलियारों में बैठे लोग मंत्रिमंडल में नाम के लिए अपनी-अपनी लाबिंग कर रहे हैं तो दूसरी तरफ दूसरी तरफ सत्ता के गलियारों के ही नुमाइंदे ऐसे लोगों के नाम फाइनल हो रहे होने में अड़ंगे लगा रहे हैं। इस धिंगामुस्की के बीच पार्टी हाई कमांड ने नए मंत्रियों के नाम चयन में एक अजीब सी खामोशी अख्तियार कर ली है। लगता है किसी को नाराज करने और बगावत से बचने के लिए हाई कमान ने बीच का रास्ता अपनाकर इस मुद्दे को ठंडा बस्ते में ही रख दिया है। लेकिन भारी दबाव और नियमों के तहत मंत्रियों का विस्तार तो आखिरकार करना ही होगा देखें आगे क्या होता है….?



प्रदेश के मंत्रीमंडल कैबिनेट का विस्तार कब होगा और इसमें किसे मंत्री बनाया जाएगा.? इस सवाल का एक नया जवाब फिर सामने आया है। और इसके साथ ही नई तारीख भी सामने आ गई है। बहुत से कारणों से यह माना जा रहा है कि इस बार की तारीख सही हो सकती है।
नए मंत्रियों के नाम पर अभी बना हुआ है संशय
फिलहाल नए मंत्रियों के चेहरे को लेकर सवाल तैर रहे हैं। लेकिन सबसे अहम सवाल यह है कि जाति संतुलन के हिसाब से सामान्य वर्ग से किसे मंत्री बनाया जाएगा। दूसरा अहम सवाल यह भी है कि क्या सरगुजा संभाग की ओर पूरी तरह से झुका हुआ पावर बैलेंस का पलड़ा क्या बराबरी पर लाया जाएगा या उसका वजन और भी बढ़ जाएगा….?
नए मंत्रियों के नाम में हो रही देरी और तारीख पर तारीख तय हो रही
वैसे तो छत्तीसगढ़ में पिछले लोकसभा चुनाव के बाद से ही कयास लगाए जा रहे हैं कि मंत्रिमंडल का विस्तार कब होगा और इसमें किन चेहरों को शामिल किया जाएगा। इसे लेकर तारीख पर तारीख सामने आती रही है। लेकिन हर बार मामला शिफर ही रहा है। इस बार अगस्त में ही कैबिनेट विस्तार की खबर आ रही है।
21 को हो सकता है नए मंत्रियों का नाम तय
विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस बार यह तारीख पक्की हो सकती है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि इस बार यह खबर भी नत्थी हो गई है कि हाई कमान की ओर से हरी झंडी मिलने के बाद यह तारीख सामने आई है। जानकार यह भी मानते हैं कि हाल ही में प्रदेश भाजपा की नई कार्यकारिणी के गठन को भी हाई कमान ने हरी झंडी दी थी, और यह काम पूरा हो चुका है। इसी तरह लंबे समय से अटका हुआ कैबिनेट विस्तार का फैसला भी अब अपने आखिरी मुकाम पर पहुँच जाए तो हैरत की बात नहीं होगी। लिहाजा 21 अगस्त को मंत्रिमंडल के विस्तार पर लोगों को शक नहीं है।
क्या जातीय समीकरण से तय होगा नाम
पर सवाल यह है कि यदि ऐसा होता है तो कौन से चेहरे शामिल होंगे इस सवाल पर अभी भी अटकालें ही लगाई जा रही हैं। लोगों का मानना है कि नए मंत्रियों का संतुलन जातीय समीकरण और क्षेत्रीय संतुलन के हिसाब से तय होगा। इसे सामने रखकर यदि हिसाब लगाएं तो प्रदेश मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय सहित राम विचार नेताम और केदार कश्यप के रूप में अनुसूचित जनजाति समाज के तीन मंत्री हैं। अनुसूचित जनजाति से दयाल दास बघेल मंत्री हैं।ओबीसी तबके से उपमुख्यमंत्री अरुण साव सहित लक्ष्मी राजवाड़े, श्याम बिहारी जायसवाल, लखन लाल देवांगन, ओ पी चौधरी और टंक राम वर्मा को मिलाकर छह मंत्री हैं। जनरल कोटे से एकमात्र उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा की नुमाइंदगी है। जब कैबिनेट ने शपथ ग्रहण किया था तब बृजमोहन अग्रवाल भी सामान्य वर्ग से मंत्री थे। लेकिन उनके सांसद बनने के बाद से अब सरकार में जनरल कोटे से एकमात्र मंत्री हैं। इस तरह इस तरह कैबिनेट में ओबीसी का प्रतिनिधित्व सबसे अधिक नजर आता है।
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