29 अगस्त, 2025 को कोच्चि, केरल में “महासागर लेखांकन के विकास पर तटीय राज्यों की क्षमता निर्माण” पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन

सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय, भारत सरकार ने अर्थशास्त्र और सांख्यिकी निदेशालय (डीईएस), केरल सरकार के सहयोग से 29 अगस्त 2025 को कोच्चि, केरल में “महासागर लेखांकन के विकास पर तटीय राज्यों की क्षमता निर्माण” पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यशाला में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय, अर्थशास्त्र और सांख्यिकी निदेशालय, तटीय राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के अधिकारी, महासागर इकोसिस्‍टम खातों पर विशेषज्ञ समूह के सदस्य, केंद्रीय समुद्री मत्स्य अनुसंधान संस्थान, भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र, राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र, राष्ट्रीय तटीय अनुसंधान केंद्र, समुद्री जीवित संसाधन और पारिस्थितिकी केंद्र और भारतीय समुद्री विश्वविद्यालय के विशेषज्ञ शामिल हुए।

सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के अतिरिक्त महानिदेशक (एसएसडी) श्री सुभाष चंद्र मलिक ने सभी प्रतिभागियों का हार्दिक स्वागत किया और एसईईए ढांचे के अनुरूप महासागर लेखांकन के संकलन की प्रक्रिया में सुधार के लिए कार्यशाला की भूमिका को रेखांकित किया।

सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के महानिदेशक (केंद्रीय सांख्यिकी) श्री एन.के. संतोषी ने अपने मुख्य भाषण में पारंपरिक उपायों के साथ-साथ महासागरीय इकोसिस्‍टम के खातों को एकीकृत करके देश के आर्थिक संकेतकों को समृद्ध बनाने के लिए मंत्रालय की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि कैसे ये खाते हमारे समुद्री संसाधनों की गतिशीलता को उजागर करके – तटीय इकोसिस्‍टम के विस्तार, स्थिति, सेवाओं और परिसंपत्तियों पर नज़र रखकर – सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) को पूरक बनाते हैं।

सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के सचिव डॉ. सौरभ गर्ग ने अपने उद्घाटन भाषण में आगामी संयुक्त राष्ट्र राष्ट्रीय लेखा प्रणाली (एसएनए-2025) के अनुरूप, भारत की राष्ट्रीय लेखा प्रणालियों में महासागर इकोसिस्‍टम के आंकड़ों को शामिल करने की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया, जो महासागरों, जल और वनों जैसी प्राकृतिक संपत्तियों के लिए जवाबदेही पर ज़ोर देती है। उन्होंने कहा कि इस तरह के एकीकरण से सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) अनुमानों में पारदर्शिता बढ़ती है, इकोसिस्‍टम के लाभों के न्यायसंगत वितरण को बढ़ावा मिलता है, और आपदा जोखिम न्यूनीकरण एवं सतत विकास के लिए आंकड़ों पर आधारित नीति-निर्माण को बल मिलता है। उन्होंने वैश्विक पहलों पर विशेष ज़ोर दिया:

  • सतत नीली अर्थव्यवस्था के लिए चेन्नई उच्च-स्तरीय सिद्धांत – जिसे 2023 में भारत की जी-20 अध्यक्षता के दौरान अपनाया गया – समुद्री संसाधनों के आधार पर महासागर संरक्षण, लचीलापन और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय ढांचे के रूप में कार्य करता है।
  • एसडीजी 14: जल के नीचे जीवन इस एजेंडे का केन्द्रीय विषय है, जिसका उद्देश्य सतत प्रबंधन, प्रदूषण न्यूनीकरण, जैव विविधता संरक्षण और जलवायु परिवर्तन अनुकूलन के माध्यम से महासागरों और समुद्री संसाधनों की रक्षा करना है, जो लाखों लोगों के कल्याण और पृथ्‍वी के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है।
  • पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की नीली अर्थव्यवस्था नीति, जिसमें सात विषयगत क्षेत्रों पर प्रकाश डाला गया है, को प्रभावी महासागर लेखा और सतत समुद्री योजना के लिए आधार के रूप में संदर्भित किया गया।

डॉ. गर्ग ने केरल के आर्थिक एवं सांख्यिकी निदेशालय की विशाल एवं कुशल कार्यबल के लिए सराहना की और वर्ष 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र (विकसित भारत) बनाने के लक्ष्य के लिए अंतर-राज्यीय शिक्षा और सुदृढ़ सांख्यिकी की महत्वपूर्ण भूमिका पर ज़ोर दिया। उन्होंने तटीय राज्यों के लिए मंत्रालय के सहयोग पर ज़ोर दिया और न केवल समुद्री लेखा-जोखा, बल्कि सभी क्षेत्रों में साक्ष्य-आधारित निर्णय लेने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया – ताकि भारत का विकास विश्वसनीय और अद्यतन आंकड़ों पर मज़बूती से टिका रहे।

केरल के डीईएस निदेशक, श्री जी.एस. राजथ ने अपने धन्यवाद ज्ञापन में सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के सचिव, विशेषज्ञ समूह के सदस्यों, सहयोगी संस्थानों और तटीय राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के अधिकारियों के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने उनके बहुमूल्य योगदान की सराहना की और दोहराया कि महासागर लेखांकन की सफलता उप-राष्ट्रीय स्तर पर चर्चाओं को ठोस कार्रवाई में बदलने पर निर्भर करती है।

कार्यशाला में दो तकनीकी सत्र आयोजित किए गए। निम्नलिखित विशेषज्ञों ने महासागर लेखांकन से संबंधित अवधारणा पर अपने विचार प्रस्तुत किए:

सुश्री अनीता बघेल, उप महानिदेशक (डीडीजी), एसएसडी, सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने पर्यावरण लेखांकन प्रणाली (एसईईए) और महासागर लेखांकन ढांचे का अवलोकन दिया और भारत में पर्यावरण लेखांकन एसईईए और महासागर लेखांकन की दिशा में सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की पहल और प्रगति पर प्रकाश डाला।

केंद्रीय समुद्री मत्स्य अनुसंधान संस्थान (सीएमएफआरआई), कोच्चि की प्रधान वैज्ञानिक डॉ. अश्वथी एन ने महासागर लेखांकन के लिए मत्स्य डेटा का उपयोग करने की चुनौतियों और अवसरों, विकसित हो रहे डेटा और मत्स्य डेटा संग्रह में तकनीकी प्रगति पर प्रस्तुति दी। भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र (आईएनसीओआईएस), हैदराबाद के वैज्ञानिक-एफ डॉ. वेंकट शेसु रेड्डेम ने महासागर इकोसिस्‍टम लेखांकन के अन्य मापदंडों के साथ मानकीकरण और सामान्यीकरण के साथ महासागर की स्थिति के खातों का सुझाव दिया। राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र (एनआरएससी), हैदराबाद के महासागर विज्ञान समूह के समूह प्रमुख डॉ. पीवी नागमणि ने उपग्रह रिमोट सेंसिंग पर प्रस्तुति दी, जो महासागर लेखांकन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। रिमोट सेंसिंग और भू-स्थानिक प्रौद्योगिकियां मिलकर महासागर खातों के लिए अधिक मजबूत और प्रभावी उपकरण/समाधान प्रदान कर सकती हैं।

राष्ट्रीय तटीय अनुसंधान केंद्र (एनसीसीआर), चेन्नई से डॉ. यूएस पांडा, वैज्ञानिक-एफ ने बताया कि केंद्र ने विश्व बैंक के साथ मिलकर तमिलनाडु राज्य के लिए प्रारंभिक महासागर लेखांकन तैयार किए हैं और बताया कि उनके अनुमान के अनुसार महासागर प्राकृतिक लेखांकनो का तमिलनाडु जीएसडीपी में लगभग 1 प्रतिशत हिस्सा (43000 करोड़ रुपये) है।  डॉ. स्मिता बीआर, वैज्ञानिक-ई, सेंटर फॉर मरीन लिविंग रिसोर्सेज एंड इकोलॉजी (सीएमएलआरई), कोच्चि ने जलवायु परिवर्तन और महासागर लेखांकन: समुद्री जीवन संसाधनों पर प्रभावों का आकलन पर प्रस्तुति दी। उन्होंने उल्लेख किया कि समुद्री इकोसिस्‍टम के स्वास्थ्य, संसाधन क्षमता में भिन्नता, इकोसिस्‍टम सेवाओं और समुद्री इकोसिस्‍टम के लचीलेपन पर नज़र रखने के लिए महासागर लेखांकन महत्वपूर्ण है। भारतीय समुद्री विश्वविद्यालय, विशाखापत्तनम के भौतिक विज्ञान, समुद्र विज्ञान संकाय, डॉ. केवीके राम कृष्ण पटनायक ने आधुनिक समुद्र विज्ञान के नवीन तरीकों के बारे में बात की और उचित डेटा संग्रह विधियों के माध्यम से सतत महासागर विकास की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि समुद्री ऊर्जा, नीली अर्थव्यवस्था के महत्वपूर्ण क्षेत्रों में से एक है जिस पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है।

कार्यशाला का समापन संस्थागत समन्वय को मज़बूत करने, राज्य-स्तरीय क्षमता निर्माण और विश्वसनीय, नीति-संगत महासागरीय लेखा-जोखा तैयार करने के उद्देश्य से एक रोडमैप तैयार करने के साथ हुआ। कार्यशाला में महासागरीय लेखा-जोखा का एक राष्ट्रीय ढांचा स्थापित करने हेतु राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों, संबंधित मंत्रालयों और वैज्ञानिक संस्थानों के साथ मिलकर काम करने की सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की प्रतिबद्धता की पुष्टि की गई, जिससे सतत महासागरीय शासन के प्रति भारत के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाया जा सके।

आपका सहयोग ही हमारी शक्ति है! AVK News Services, एक स्वतंत्र और निष्पक्ष समाचार प्लेटफॉर्म है, जो आपको सरकार, समाज, स्वास्थ्य, तकनीक और जनहित से जुड़ी अहम खबरें सही समय पर, सटीक और भरोसेमंद रूप में पहुँचाता है। हमारा लक्ष्य है – जनता तक सच्ची जानकारी पहुँचाना, बिना किसी दबाव या प्रभाव के। लेकिन इस मिशन को जारी रखने के लिए हमें आपके सहयोग की आवश्यकता है। यदि आपको हमारे द्वारा दी जाने वाली खबरें उपयोगी और जनहितकारी लगती हैं, तो कृपया हमें आर्थिक सहयोग देकर हमारे कार्य को मजबूती दें। आपका छोटा सा योगदान भी बड़ी बदलाव की नींव बन सकता है।
Book Showcase

Best Selling Books

The Psychology of Money

By Morgan Housel

₹262

Book 2 Cover

Operation SINDOOR: The Untold Story of India's Deep Strikes Inside Pakistan

By Lt Gen KJS 'Tiny' Dhillon

₹389

Atomic Habits: The life-changing million copy bestseller

By James Clear

₹497

Never Logged Out: How the Internet Created India’s Gen Z

By Ria Chopra

₹418

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Translate »