सावन कृपाल रूहानी मिशन के प्रमुख, संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने 13 सितंबर को कृपाल बाग़, दिल्ली में 29वें विश्व आध्यात्मिक सम्मेलन का उद्घाटन किया। पिछले तीन दशकों से सभी धर्मों के नेताओं को एक ही मंच पर बिठाने वाला यह विश्व आध्यात्मिक सम्मेलन पूरे संसार में शांति, आध्यात्मिकता और मानव एकता को फैलाने के उद्देश्य से आयोजित किया जा रहा है। सम्मेलन उद्घाटन के अवसर पर संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने कई गणमान्य अतिथियों के समक्ष करूणा और प्रेम के विषय पर अपने विचार रखते हुए सभी को आध्यात्मिकता के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया। सभी लोगों के दिलों में अध्यात्म के प्रति रूचि पैदा करने वाले इस सम्मेलन में हजारों की संख्या में लोगों ने भाग लिया।

13 सितंबर को सम्मेलन के उद्घाटन अवसर पर एक आध्यात्मिक ‘तरही मुशायरे’ का आयोजन किया गया। जिसमें आदरणीय माता रीटा जी ने संत दर्शन सिंह जी महाराज द्वारा लिखित एक सुंदर गज़ल अपने मधुर कंठ से गाकर मुशायरे की शुरूआत की। इस अवसर पर भारत के कई सुप्रसिद्ध ऊर्दू शायरों ने अपने रूहानी कलाम के द्वारा लोगों को प्रेम, एकता और अध्यात्म का संदेश दिया।
14 सितंबर को संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने महान सूफ़ी संत शायर, संत दर्शन सिंह जी महाराज के 104वें जन्मोत्सव के अवसर पर उनके जीवन के बारे में विस्तार से समझाया। ‘दर्शन-करूणा और प्रेम के महासागर’ विषय पर सेमिनार में अपने विचार रखते हुए संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने कहा कि दयाल पुरुष संत दर्शन सिंह जी महाराज करूणा और प्रेम के महासागर थे। वो हमसे कहीं दूर नहीं गए बल्कि हमारे अंग-संग हैं। उनकी बेशुमार प्यार भरी यादें आज भी हमारे साथ जुड़ी हुई हैं।

संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने अपने विचार रखते हुए कहा कि संत दर्शन सिंह जी महाराज हमें समझाया करते थे कि हमें ये मनुष्य शरीर बड़े भागों से मिला है, इसका मुख्य ध्येय है अपने आपको जानना और पिता-परमेश्वर को पाना लेकिन इस माया की दुनिया में आकर हम अलग-अलग धर्मों, संस्कृति और भाषाओं में फंसकर इसे भूल जाते हैं। संत दर्शन सिंह जी महाराज जैसे महापुरुष जब इस दुनिया में आते हैं तो वो हमें समझाते हैं कि पिता-परमेश्वर कहीं बाहर नहीं बल्कि हमारे अंदर हैं। इस करके आत्मिक रूप से हम सब एक ही हैं।
संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने कहा कि इस एकता का अनुभव हम ध्यान-अभ्यास के द्वारा अपने अंतर में कर सकते हैं। जब हम अपने अंतर में प्रभु की ज्योति और श्रुति से जुड़ते हैं तो फिर हमें यह यकीन हो जाता है कि प्रभु की जो ज्योति मेरे अंदर काम कर रही है, वही दूसरों के अंदर भी है। इस करके हम सब एक ही पिता-परमेश्वर की संतान हैं और एक-दूसरे से अलग नहीं।

संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने अंत में कहा कि आज के दिन जब हम संत दर्शन सिंह जी महाराज के प्यार में इकट्ठे हुए हैं तो उनके प्रकाश दिवस को सही मायनों में मनाने का उद्देश्य यही है कि हम सब उनके बताए हुए रास्ते पर चलें और अपने अंतर में पिता-परमेश्वर का अनुभव करें। कार्यक्रम की शुरूआत में पूजनीय माता रीटा जी ने विदेशी भाई-बहनों के साथ मिलकर संत सूरदास जी महाराज की बाणी से ‘अखियाँ हरि दरसन की प्यासी’ शब्द का गायन किया।
इस अवसर पर सावन कृपाल रूहानी मिशन द्वारा 41वें मुफ्त आंखों की जांच और मोतियाबिन्द ऑपरेशन शिविर का आयोजन किया गया। जिसमें कुल 2771 लोगों की आंखों की जांच की गई और जिनमें से 1685 लोगों को मोतियाबिन्द ऑपरेशन के लिए चुना गया। इस शिविर में अमेरिका से आए आंखों के डॉक्टर्स ने आई केयर हॉस्टिपल नोएडा के डॉक्टर्स के साथ मिलकर सभी मरीजों की आंखों की जांच की। इस अवसर पर सावन कृपाल रूहानी मिशन द्वारा 65वें रक्तदान शिविर का भी आयोजन किया गया, जिसमें 213 भाई-बहनों ने स्वैच्छिक रूप से रक्तदान किया।
29वें विश्व आध्यात्मिक सम्मेलन में इलाहाबाद से आए जगत गुरु विश्वकर्मा शंकराचार्य स्वामी दिलीप योगीराज जी महाराज ने अपने संदेश में कहा कि पूरे विश्व में यही एक मिशन है जोकि सच्चे मायनों में रूहानियत का संदेश दे रहा है कि केवल गुरु के द्वारा ही हम ईश्वर का दर्शन कर सकते हैं। जिससे कि न केवल अपने अंदर बल्कि पूरे विश्व में शांति स्थापित की जा सकती है। ऋषिकेश से आए महंत श्री रवि प्रपन्नाचार्य जी ने अपने संदेश में कहा कि यहाँ बैठकर हम संतों की वाणी सुन रहे हैं, इससे बढ़कर स्वर्ग कहीं हो ही नहीं सकता। इसीलिए हमें चाहिए कि हम यहां बार-बार आएं और संत दर्शन सिंह जी महाराज की शिक्षाओं को अपने जीवन में ढालें।
सम्मेलन में गोस्वामी सुशील जी महाराज ने अपने संदेश में कहा कि यहाँ हजारों की संख्या में आप सब इतने प्रेम और शांत भाव से बैठे हुए हो, यह सब ईश्वर की कृपा का ही परिणाम है। आज संत राजिन्दर सिंह जी महाराज पूरे विश्व को ध्यान-अभ्यास की कला सिखाकर उन्हें परमात्मा से जोड़ रहे हैं। यह हम सबके लिए बड़े सौभाग्य की बात है। आदरणीय फादर बेंटो रोड्रिग्ज़ ने कहा कि संत दर्शन सिंह जी महाराज प्रेम और करूणा की जीती जागती मिसाल थे, जोकि सभी धर्मों का सार है। जब हम अपने जीवन में प्रेम को ढालते हैं तो हम खुशियों से भरपूर हो जाते हैं।
सम्मेलन में अंतर्राष्ट्रीय वक्ताओं में यूनाइटेड किंगडम से आए श्री जुआन कार्लोस और ऑस्ट्रिया से आई सुश्री मारग्रेट ज़र्नी ने कहा कि संत दर्शन सिंह जी महाराज की शिक्षाएं आज भी पूरी दुनिया को प्रेम, करूणा और अध्यात्म का संदेश दे रही हैं। जिन पर चलकर हम अपना जीवन सफल कर सकते हैं। अंत में संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने आने वाले नववर्ष-2026 के कलैंडर का अपने कर-कमलों से विमोचन किया और संत दर्शन सिंह जी महाराज द्वारा लिखित पुस्तक ’परमात्मा का साक्षात्कार‘ का उड़िया अनुवाद, ’रहस्यों का रहस्य‘ का गुजराती अनुवाद, ’आध्यात्मिक जागृति’ का पंजाबी अनुवाद और ’चुनौती अंतरीय अंतरिक्ष की‘ के मराठी भाषा में अनुवादित पुस्तकों का भी विमोचन किया। इसके अलावा संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने संत दर्शन सिंह जी महाराज द्वारा लिखित दो पुस्तकें ’संत मत’ और ’अंतरीय अंतरिक्ष के अचरज‘ की ई-बुक्स का भी विमोचन किया।
इस अवसर पर संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने ’इनर्जी‘ ऐप के हिन्दी वर्जन का विमोचन किया। उन्होंने कहा कि इस ऐप के जरिये हम न केवल ध्यान-अभ्यास से जुड़े अनेक फायदे प्राप्त कर सकते हैं बल्कि अपने दैनिक जीवन से जुड़ी हरेक गतिविधि जैसे कि खाना बनाना, योगा, व्यायाम, संगीत, आपसी संबंध, तनावरहित जीवन, बुजुर्गों की केयर, बच्चों को नैतिक वैल्यू सीखाना आदि से अपना और अपने परिवार का जीवन शांत और सुखद बना सकते हैं।
इस अवसर पर राज नगर नई दिल्ली स्थित शांति अवेदना सदन, गौतम नगर स्थित श्रीमद वेदार्ष महाविद्यालय न्यास, ग्रेटर नौएडा में स्थित फादर एगेनल बाल भवन और सादिक नगर में बने जनता आदर्श अंधविद्यालय में मिशन की ओर से दवाईयाँ, सब्जियां, फल व अन्य उपयोगी उपकरणों का मुफ्त वितरण किया गया। कुल मिलाकर विभिन्न देशों से 150 से अधिक विदेशी प्रतिनिधियों और भारत के विभिन्न हिस्सों से लगभग 50,000 लोगों ने सम्मेलन में भाग लिया। 29वें विश्व आध्यात्मिक सम्मेलन का समापन समारोह में 20 सितंबर 2023 को संत दर्शन सिंह जी धाम, बुराड़ी, में आयोजित किया जाएगा
सौरव नरूला, मीडिया प्रभारी , सावन कृपाल रूहानी मिशन