बिलासपुर: प्रस्तुत फोटो बिलासपुर शहर की सड़कों का हाल खुद बयां कर रही है। इस पर कुछ अपनी राय लिखने की तो जरूरत ही नहीं है। ज्ञात हो छत्तीसगढ़ प्रदेश का स्मार्ट शहर कहलाता है। हमारा बिलासपुर शहर और इस स्मार्ट शहर के अंदर हृदय स्थल में स्थित जूना बिलासपुर की सड़कों का हाल यह है कि आपको देखते ही स्मार्ट शहर के नाम पर हंसी आ जाएगी। स्मार्ट शहर की पोल तो यह फोटो ही खोल दे रहा है। यह फोटो स्मार्ट शहर की कहानी की पूरी दास्तान अपने आप में समेटे हुए हैं। जैसे सुंदरतम और पूरी तरह स्मार्ट ये सड़क दिख रहा है, ठीक इसी तरह स्मार्ट शहर के अन्य स्मार्ट काम भी इसी तरह बहुत सुंदर स्मार्ट तरीके से किया जा रहे होंगे। प्रस्तुत फोटो ही एक बच्चे के लिए भी समझने के लिए यह पर्याप्त है। फोटो देखकर एक शायर की गजल एकदम फिट बैठती है –

जिम्मेदारान को शर्म क्यों नहीं आती… ।
इसे देखकर तो हमें केवल हंसी ही है आती।।
स्मार्ट शहर का स्मार्ट रोड की हालत बदतर
ये है हमारे स्मार्ट सिटी शहर बिलासपुर की मुख्य सड़क की वास्तविक तस्वीर। यह सड़क स्मार्ट सिटी का हृदय मार्ग यानि की शहर का मुख्य मार्ग है, जिसकी हालात आपके सामने फोटो में दिख रही है। शहर के मुख्य मार्ग में शामिल दयालबंद से होते हुए गांधी चौक ,जूना बिलासपुर गोल बाजार के बीच कई जगह रोड पूरी तरह से खराब हो गई हो चुकी है। यह सड़क कई महीनो नहीं सालों से खराब है, लेकिन इसकी सुध लेने के लिए नगर निगम ने कोई पहल नहीं की। स्थानीय व्यापारियों ने सड़क सुधार के लिए कई बार ज्ञापन दिया। मांग की गई लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है। इस मार्ग में सबसे प्रमुख रूप से जूना बिलासपुर स्थित मस्जिद के सामने से लेकर सूर्यमुखी बिड़ी भवन के बीच की रोड तो बरसात छोड़ो बारहों महीना तालाब का रूप लिए रहती है। हर समय इस रोड पर पूरी तरह से पानी भरा रहता है ,यह आलम कई वर्षों से है। लेकिन इसकी कोई सुधार नहीं की जा रहा है। स्थानीय व्यापारी भी अपनी मांग रख कर तंग आ चुके हैं ,और बेबस से राहगीरों को गिरते पडते और दुर्घटनाग्रस्त होते हैं देखते रहते हैं।इस इलाके में सड़क पर चलते लोगों को अचानक कूदना फुदकन करने लगते है। अगर राहगीर ऐसा न करें तो सीधे गड्ढे में पांव घुस जाएगा, वंही कंट्रोल करने पर भी वाहन हिचकोले खाते है। इस रोड का हाल ऐसा है कि गांधी चौक से जवाली नाला तक आधा किमी का सफर आपके और आपके वाहन के सारे कस बल निकाल कर रख देगा।

निगम ने गिट्टी डालकर खानापूर्ति की
इसी बीच एक दिन जूना बिलासपुर रोड पर सुबह अचानक रोड पर चार फीट गहरी सुरंग नजर आने लगी। रोड पर ट्रैफिक का दबाव पूरे समय रहता है। नागरिकों ने बचाव के लिए तुरंत लाल झंडी लगाई। निगम को सूचना देने के घंटों बाद कुछ कर्मचारी पहुंचे और गड्ढे के ऊपर लापरवाही से गिट्टियों का पहाड़ खड़ा कर चलते बने।
जिम्मेदार अधिकारियों का गैरजिम्मेदाराना रवैया
व्यस्ततम रोड पर ऐसा प्रयोग दुर्घटना को बढ़ावा दे रहा था, परंतु अफसरों ने सुध नहीं ली। गड्डा सीवेज के मेनहोल के बाजू से हुआ था, इसलिए माना जा रहा है कि यह सिंप्लेक्स के घटिया निर्माण के कारण हुआ होगा। सीवेज की पाइप लाइन बिछाने के बाद बिना कांपेक्शन के रोड बनाने के कारण शहर में रोड धंसने की शिकायत आम हो गई है।
रोड पाटने में हुई त्रुटि अधिकारी ने किया स्वीकार
मौके पर सीवेज का कार्य पूर्ण हुए तीन साल से ज्यादा समय हो चुका है। अमृत मिशन योजना के अंतर्गत पाइप लाइन बिछाने के बाद सही ढंग से रोड का सुधार नहीं करने के कारण पानी अंदर जा रहा है और इसी वजह से रोड पर गहरा गड्डा हो गया। इस काम में यह जरूरी था कि गड्ढे में डब्ल्यूबीएम मटेरियल भरने के बाद उसे एक्सीवेटर से दबाना चाहिए था। अब इसका सुधार किया जाएगा। -सुरेश बरुआ, सीवेज प्रभारी बिलासपुर
बारिश में स्थिति और भी बुरी
जैसे जूना बिलासपुर की सड़कों का हाल है वैसा ही अमुमन सारे शहर के सड़कों का हाल है।शहर हो रही बारिश ने नगर निगम के दावों की सच्चाई उजागर कर दी है। लगातार बारिश ने शहर की जल निकासी व्यवस्था को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया. नालियों का गंदा पानी सड़कों पर बहने लगा, जिससे आम जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। कुल मिलाकर स्मार्ट सिटी का तमगा लिए इस शहर की तस्वीरें एक बार फिर बदहाली को बयां करती दिख रही है।

न्यायधानी के सभी शहरी सड़कों का हाल बुरा
शहर के प्रमुख सिम्स चौक, श्रीकांत वर्मा मार्ग, कुदुदंड रोड जैसे इलाकों में बारिश के कुछ ही मिनटों बाद घुटनों तक पानी भर जाता है।इन इलाकों में पैदल चलना मुश्किल है , यहां की सड़कों पर चलना कई टू-व्हीलर वाहन चालकों के लिए भी मुसीबत बन गई है।स्थानीय नागरिकों ने बताया कि यह कोई नई समस्या नहीं है.. हर साल बारिश होती है ? यही होता है. नगर निगम केवल दावे करता है कि सड़के चकाचक हो रही है, सड़कों के किनारे की नालियों की सफाई हुई है, लेकिन नतीजा हमारे सामने है. लोगों का कहना है कि सफाई सिर्फ दिखावे के लिए होती है, जमीनी स्तर पर कुछ काम नहीं किया गया है।
