विश्वास का वैश्विक सेतु और व्यापारिक समरसता का आधार

-विश्व मानक दिवस- 14 अक्टूबर, 2025-

विश्व मानक दिवस प्रत्येक वर्ष 14 अक्तूबर को मनाया जाता है। यह दिवस उस अदृश्य व्यवस्था का उत्सव है जो हमारे जीवन, उद्योग, व्यापार और सुरक्षा की गुणवत्ता को सुनिश्चित करती है। मानकीकरण केवल कोई तकनीकी प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह विश्वसनीयता, सुरक्षा, पारदर्शिता और आपसी सहयोग की ऐसी बुनियाद है जो मानव जीवन की सहजता और स्थिरता का आधार बनती है। इस दिवस का उद्देश्य यह स्मरण कराना है कि किसी भी उत्पाद, सेवा या व्यवस्था की उपयोगिता तभी टिकाऊ और भरोसेमंद हो सकती है जब उसमें निर्धारित मानक और गुणवत्ता की कसौटी कायम हो। विश्व मानक दिवस उन हजारों विशेषज्ञों और कर्मयोगियों को सम्मान देने का भी अवसर है जो अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं में बैठकर विश्व के हित में ऐसे मानक तय करते हैं और अंतर्राष्ट्रीय मानकों के निर्माण और कार्यान्वयन में सक्रिय भागीदारी निभाते हैं। इसका उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और सुरक्षा के साथ-साथ जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाने में मानकीकरण की भूमिका पर ज़ोर देना है, जो सबके लिए समान हों, निष्पक्ष हों और मानवता की सुरक्षा और प्रगति के लिए हों।

विश्व मानक दिवस

यह दिवस 1946 में हुई पहली बैठक की याद में मनाया जाता है, जिसमें 25 देशों के प्रतिनिधि लंदन में एक अंतरराष्ट्रीय संगठन की स्थापना के लिए एकत्र हुए थे, जो मानकीकरण पर अपने प्रयासों को केंद्रित करेगा। हालाँकि अगले वर्ष अंतर्राष्ट्रीय मानकीकरण संगठन का गठन किया गया था, लेकिन पहला विश्व मानक दिवस 1970 में ही मनाया गया। विश्व मानक दिवस का उद्देश्य जनता को अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में मानकों की महत्वपूर्ण भूमिका के प्रति जागरूक करना है। अर्थात् स्वास्थ्य सेवा से लेकर तकनीक तक, लगभग हर क्षेत्र के उत्पादों और सेवाओं में सुरक्षा, विश्वसनीयता और गुणवत्ता। 2025 की थीम ‘सहयोग’ है, जो प्रगति को संभव बनाने के लिए साझेदारी के महत्व को दर्शाती है। यह सहयोग की शक्ति और इस विश्वास का प्रमाण है कि हम अपने-अपने हिस्सों के योग से भी अधिक शक्तिशाली हैं।

साथ मिलकर काम करके, हम लोगों को स्थिरता की चुनौतियों का सीधा सामना करने के लिए वास्तविक समाधानों से सशक्त बना रहे हैं। इसके अतिरिक्त, भारतीय मानक ब्यूरो ने इस वर्ष की थीम को ‘सतत विकास लक्ष्यः लक्ष्य प्राप्ति में सामूहिक साझेदारी’ के रूप रखा है। एक बेहतर विश्व निर्माण के लिए साझा दृष्टिकोण का विशेष महत्व है, इस दिवस को मनाने का लक्ष्य उद्योग, नवाचार और बुनियादी ढांचे पर विशेष ध्यान देना और उपभोक्ताओं, नियामकों और उद्योग के बीच मानकीकरण के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।  

आज जब वैश्वीकरण, तकनीकी तीव्रता, जलवायु परिवर्तन, स्वास्थ्य संकट और आपूर्ति श्रृंखला जैसी जटिल चुनौतियाँ सामने हैं, तब मानकीकरण का महत्व पहले से कहीं अधिक बढ़ गया है। मानक ही वह भाषा हैं जिनसे विश्व के देश एक-दूसरे को समझ पाते हैं। जब कोई वस्तु या सेवा एक निश्चित मानक के अनुरूप होती है, तो उसे किसी भी देश में स्वीकार किया जा सकता है। इससे व्यापार सहज होता है, उपभोक्ता का भरोसा बढ़ता है और देशों के बीच परस्पर निर्भरता मजबूत होती है। यही कारण है कि मानकीकरण को विश्व व्यापार की आत्मा कहा जाता है। इससे केवल आर्थिक लाभ नहीं होता, बल्कि यह जीवन की गुणवत्ता, सुरक्षा और पर्यावरणीय संतुलन को भी सुनिश्चित करता है।

विश्व मानक दिवस के इस सन्देश के विपरीत आज की राजनीति में कई बार ऐसे कदम उठाए जा रहे हैं जो विश्व व्यापार और आपसी सहयोग की भावना को कमजोर करते हैं। अमेरिका के वर्तमान राष्ट्रपति ट्रम्प द्वारा अपनाई जा रही अतिशयोक्ति पूर्ण टैरिफ नीति इसका उदाहरण है। उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा और प्रतिस्पर्धा के नाम पर आयातित वस्तुओं पर भारी शुल्क लगाकर एक प्रकार से व्यापार युद्ध का वातावरण बना दिया है। यह नीति केवल व्यापारिक हितों को नहीं बल्कि वैश्विक संतुलन को भी प्रभावित कर रही है। टैरिफ की यह दीवारें देशों के बीच अविश्वास बढ़ाती हैं, कीमतों में वृद्धि करती हैं और आपूर्ति श्रृंखला को असंतुलित करती हैं। आयातित वस्तुओं की लागत बढ़ने से उपभोक्ताओं को अधिक कीमत चुकानी पड़ती है, उद्योगों की उत्पादन लागत बढ़ती है और अंतरराष्ट्रीय व्यापार की गति धीमी पड़ जाती है।

विश्व व्यापार संगठन ने पहले ही चेताया है कि ऐसी टैरिफ नीतियाँ वैश्विक व्यापार वृद्धि को घटा रही हैं और निवेशकों में अस्थिरता पैदा कर रही हैं। टैरिफ केवल कर या शुल्क नहीं होते, वे राष्ट्रों के बीच विश्वास का संकेत भी होते हैं। जब कोई देश बार-बार अपने आर्थिक हितों की आड़ में ऊँचे शुल्क लगाता है, तो अन्य राष्ट्र प्रतिकार के रूप में अपने दरवाज़े बंद करने लगते हैं। परिणाम यह होता है कि जो विश्व पहले एक साझा बाज़ार की ओर बढ़ रहा था, वह फिर से सीमाओं और अविश्वास की जंजीरों में बँधने लगता है। ऐसे में विश्व मानक दिवस यह सन्देश देता है कि दुनिया को जोड़ने का वास्तविक माध्यम व्यापारिक शुल्क नहीं बल्कि मानकीकरण है। मानक देशों को एक साझा धरातल प्रदान करते हैं, जहाँ उत्पादों की गुणवत्ता और सुरक्षा का विश्वास इतना मजबूत होता है कि किसी अतिरिक्त शुल्क या रोक की आवश्यकता ही नहीं पड़ती।

मानकीकरण दरअसल विश्वास का पुल है जो सीमाओं के आर-पार लोगों, वस्तुओं और विचारों को जोड़ता है। जब एक देश दूसरे देश के मानकों को स्वीकार करता है, तो यह आपसी सम्मान और पारदर्शिता का प्रतीक होता है। इसी प्रक्रिया से अंतरराष्ट्रीय व्यापार में सरलता आती है, सुरक्षा और गुणवत्ता की गारंटी मिलती है और उपभोक्ता हित सुरक्षित रहते हैं। मानकीकरण की यह प्रक्रिया न केवल औद्योगिक या व्यापारिक है बल्कि यह मानवीय भी है। इसके मूल में समानता, निष्पक्षता और सहयोग की भावना निहित है। यह वह दर्शन है जो कहता है कि विश्व एक परिवार है और सबकी भलाई में ही अपनी भलाई है। अतः जब कोई राष्ट्र टैरिफ या प्रतिबंधों की दीवार खड़ी करता है, तो वह इस वैश्विक परिवार के बीच विभाजन की रेखा खींचता है। मानक उन रेखाओं को मिटाते हैं और संबंधों को जोड़ते हैं।

आज आवश्यकता इस बात की है कि मानकीकरण केवल औद्योगिक मंच तक सीमित न रहे, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय नीति का भी आधार बने। विश्व के सभी देश मानकों के निर्धारण में समान भागीदारी करें ताकि कोई भी राष्ट्र या कंपनी इस प्रक्रिया पर वर्चस्व न जमा सके। छोटे और विकासशील देशों को भी अंतरराष्ट्रीय मानक संस्थाओं में समान अवसर मिले ताकि वे अपने उत्पादों और सेवाओं के माध्यम से वैश्विक व्यापार में समान रूप से शामिल हो सकें। इसके साथ ही प्रमाणन प्रक्रिया को सरल और सुलभ बनाना आवश्यक है ताकि छोटे उद्योग भी मानक के अनुरूप अपने उत्पादों को विश्व स्तर पर प्रस्तुत कर सकें। विश्व मानक दिवस हमें यह स्मरण कराता है कि मानवता की प्रगति केवल आर्थिक शक्ति में नहीं बल्कि उस सहयोग और विश्वास में है जो मानकीकरण के माध्यम से संभव होता है। अतिशयोक्ति पूर्ण टैरिफ जैसी नीतियाँ क्षणिक राजनीतिक लाभ तो दे सकती हैं, पर वे विश्व के समन्वित विकास और आपसी विश्वास को नष्ट करती हैं। इसलिए आवश्यक है कि सभी राष्ट्र मानकीकरण की भावना को अपनाएँ और विश्व व्यापार को किसी प्रतिस्पर्धा या प्रतिशोध का माध्यम न बनाकर साझेदारी और साझा उन्नति का माध्यम बनाएँ।

मानकीकरण ही वह अदृश्य तंतु एवं बुनियादी आधार है जो दुनिया को एकजुट रखता है। यह न केवल उत्पादन और व्यापार में गुणवत्ता लाता है बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में विश्वसनीयता और सुरक्षा का भाव जगाता है। विश्व मानक दिवस इस विचार का प्रतीक है कि जब तक हम समान मानकों और साझा मूल्यों से नहीं जुड़ते, तब तक विश्व की एकता अधूरी है। इसलिए इस दिवस पर यह संकल्प लिया जाना चाहिए कि हम ऐसी नीतियों से दूर रहें जो विभाजन उत्पन्न करें, और मानकीकरण की उस साझा राह पर चलें जो सबके लिए विश्वास, सुरक्षा और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करती है। संपूर्ण मानक प्रणाली सहयोग पर आधारित है।

ललित गर्ग लेखक, पत्रकार, स्तंभकार
ललित गर्ग लेखक, पत्रकार, स्तंभकार
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