परिवर्तित स्वच्छता लक्ष्य इकाइयों से स्वच्छ शहरों का कायाकल्प : स्वच्छ भारत मिशन-शहरी 2.0 की प्रेरक सफलता

भारत में शहरी स्वच्छता अब केवल एक सरकारी कार्यक्रम नहीं रह गया है, बल्कि यह एक जन-आंदोलन का स्वरूप ले चुका है। स्वच्छ भारत मिशन-शहरी (एसबीएम-यू) की पहलें आज देश के हर कोने में शहरी जीवन की गुणवत्ता को नया आयाम दे रही हैं। इस मिशन के तहत आरंभ की गई स्वच्छता लक्ष्य इकाइयां (Cleanliness Target Units – CTUs), स्वच्छता ही सेवा जैसे अभियान और नागरिक सहभागिता आधारित प्रयासों ने शहरों की उपेक्षित जगहों को स्वच्छ, आकर्षक और उपयोगी सार्वजनिक स्थलों में बदलने की मिसाल कायम की है।

स्वच्छ भारत मिशन-शहरी 2.0 के अंतर्गत देश के अनेक शहरी स्थानीय निकाय (Urban Local Bodies – ULBs) अब प्रत्यक्ष स्वच्छता सुधार और टिकाऊ शहरी नवीनीकरण पर केंद्रित हैं। विशेष रूप से सीटीयू पहल ने उन स्थानों को पुनर्जीवित किया है जो पहले गंदगी, अंधकार और उपेक्षा के प्रतीक थे। देश के विभिन्न राज्यों से मिली प्रेरक कहानियाँ इस परिवर्तन की गहराई को दर्शाती हैं।

केरल का अलप्पुझा: स्वच्छता और सौंदर्य का प्रतीक बना शताब्दी मंदिरम परिसर

केरल के अलप्पुझा नगर पालिका ने शताब्दी मंदिरम के सामने स्थित 15 सेंट की अनुपयोगी भूमि का सौंदर्यपरक कायाकल्प करके शहरी स्वच्छता और रचनात्मकता का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया। यह भूमि वर्षों तक जल प्राधिकरण के स्वामित्व में अनुपयोगी पड़ी रही थी, जहाँ झाड़ियाँ उग आई थीं और पास की जल टंकी जीर्ण-शीर्ण अवस्था में थी।

नगरपालिका की पहल के तहत इस क्षेत्र से लगभग 5.4 टन कचरा हटाया गया और पुरानी टंकी को स्वच्छता संदेशों से सजी कलात्मक पेंटिंग से सजाया गया। आसपास की 10 सेंट भूमि को एक सुंदर गुलदाउदी (गेंदा) के फूलों से सजे खिलते बगीचे में परिवर्तित किया गया। इस बगीचे के फूल ओणम उत्सव के दौरान पूक्कलम (फूलों की डिजाइन) में इस्तेमाल किए गए, जिससे यह स्थल केवल स्वच्छता का प्रतीक नहीं रहा बल्कि सांस्कृतिक गौरव का केंद्र भी बन गया।

इस पूरी पहल की विशेषता यह रही कि इसमें स्थानीय सफाईकर्मियों की भूमिका प्रमुख रही। उनकी मेहनत और समर्पण से यह उपेक्षित स्थल अब नगर गौरव और स्थायी अपशिष्ट प्रबंधन की प्रेरणा बन चुका है।

तेलंगाना का मेटपल्ली: श्रद्धा स्थल का स्वच्छ पुनर्जन्म

तेलंगाना राज्य के मेटपल्ली नगर पालिका ने स्वच्छता ही सेवा अभियान के दौरान एक उल्लेखनीय कार्य करते हुए चेन्ना केशवनाथ स्वामी मंदिर के प्राचीन कोनेरू (तालाब) का जीर्णोद्धार किया। यह तालाब वर्षों से प्लास्टिक, गाद और मलबे से भरा हुआ था, जिससे इसका धार्मिक और पर्यावरणीय महत्व क्षीण हो गया था।

नगरपालिका ने नागरिकों, मंदिर समिति के सदस्यों, स्वयं सहायता समूहों (SHGs) और स्थानीय युवाओं की सहभागिता के साथ एक विशेष सफाई अभियान चलाया। इस अभियान में 4 टन से अधिक कचरा और गाद निकाली गई।

लगभग 80 लोगों की भागीदारी ने इस प्रयास को सामुदायिक सहयोग की मिसाल बना दिया। पुनर्जीवित तालाब अब साफ, शांत और सौंदर्यपूर्ण वातावरण का प्रतीक बन गया है, जहाँ श्रद्धालु और स्थानीय नागरिक स्वच्छता व आध्यात्मिकता के नए अनुभव के साथ आते हैं। यह उदाहरण इस बात का प्रमाण है कि जब नागरिक और प्रशासन साथ मिलकर कार्य करते हैं, तो उपेक्षित स्थल भी पुनः जीवन पा सकते हैं।

माचेरला (आंध्र प्रदेश): सामूहिक श्रम से बदली बस्ती की तस्वीर

माचेरला नगर पालिका ने स्वच्छता ही सेवा 2025 अभियान के तहत एक बड़े पैमाने पर सफाई और सौंदर्यीकरण अभियान चलाया। यादवुला बाजार में स्थित एक पुरानी पानी की टंकी के पास का क्षेत्र, जो कभी पशुओं के मल और कचरे से भरा था, अब एक जीवंत सार्वजनिक स्थल में बदल गया है।

इस कार्य में 1,500 से अधिक स्वयंसेवकों ने भाग लिया, जिनमें छात्र, महिला स्वयं सहायता समूह, स्थानीय नागरिक और सफाईकर्मी शामिल थे। अभियान के दौरान 150 मीट्रिक टन कचरा हटाया गया और वेस्ट-टू-कंपोस्ट प्लांट तक पहुंचाया गया।

इसके बाद स्थल को समतल कर रंगोली, सजावटी बॉर्डर और 150 पौधों के रोपण से सुशोभित किया गया। दीवारों और टंकियों पर जागरूकता संदेशों की कलात्मक पेंटिंग की गई, जिसने इस स्थान को नागरिक चेतना और पर्यावरणीय सौंदर्य का प्रतीक बना दिया।

झारखंड का जमशेदपुर: कैलाश सरोवर का पर्यावरणीय कायाकल्प

जमशेदपुर नगर निगम ने सोनारी वार्ड संख्या 2 में स्थित कैलाश सरोवर की सफाई और पुनर्निर्माण के लिए नागरिकों और स्थानीय समूहों की मदद से एक विशेष अभियान चलाया। इस पहल में स्वयं सहायता समूहों, युवाओं और सफाई मित्रों ने सक्रिय भागीदारी की।

अभियान के दौरान 2 टन से अधिक कचरा हटाया गया, जिसमें प्लास्टिक, गाद और मलबा शामिल था। इससे तालाब की सुंदरता और पारिस्थितिक संतुलन बहाल हुआ। नागरिकों की भागीदारी ने यह सुनिश्चित किया कि भविष्य में भी इस स्थल की नियमित देखभाल होती रहे।

जनसहभागिता से उभरा स्वच्छ और टिकाऊ शहरी भविष्य

इन सभी उदाहरणों ने यह सिद्ध कर दिया है कि स्वच्छ भारत मिशन-शहरी 2.0 केवल एक सफाई अभियान नहीं, बल्कि टिकाऊ शहरी नवीनीकरण और नागरिक सशक्तिकरण की दिशा में एक संगठित आंदोलन बन चुका है।

इन पहलों ने यह स्पष्ट किया है कि जब प्रशासनिक इच्छाशक्ति, नागरिक भागीदारी और सामुदायिक सहयोग एक साथ आते हैं, तो उपेक्षित, प्रदूषित और जीर्ण स्थान भी सुंदरता, गर्व और उपयोगिता के प्रतीक बन सकते हैं।

स्वच्छता लक्ष्य इकाइयाँ (CTUs) अब भारत के नगरों में न केवल पर्यावरणीय सुधार का माध्यम हैं, बल्कि वे नागरिकों में स्वच्छता को साझा जिम्मेदारी के रूप में स्थापित करने का माध्यम भी बन रही हैं।इन पहलों ने स्वच्छ भारत मिशन के उस दृष्टिकोण को साकार किया है, जिसमें हर नागरिक अपने आसपास के वातावरण को स्वच्छ रखने की जिम्मेदारी स्वयं लेता है और सामूहिक प्रयासों से एक स्वच्छ, सुंदर और टिकाऊ भारत के निर्माण में योगदान देता है।

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