भारतीय कॉरपोरेट कार्य संस्थान (IICA) ने रक्षा मंत्रालय के पुनर्वास महानिदेशालय (DGR) के साथ मिलकर रक्षा अधिकारियों के लिए कॉर्पोरेट प्रशासन में निदेशक प्रमाणन कार्यक्रम के तीसरे बैच का सफलतापूर्वक समापन किया। दो सप्ताह के इस विशिष्ट कार्यक्रम का आयोजन 21 नवंबर 2025 को आईआईसीए, मानेसर परिसर में संपन्न हुआ। इस बैच में तीनों सेनाओं के 30 वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए, जिनमें से कई हाल ही में सेवानिवृत्त हुए और कई सेवारत अधिकारी थे।

अगस्त 2024 से अब तक आयोजित तीन बैचों के माध्यम से आईआईसीए कुल 90 प्रतिष्ठित रक्षा अधिकारियों को कॉर्पोरेट प्रशासन, बोर्ड नेतृत्व और स्वतंत्र निदेशक पद की जिम्मेदारियों का व्यापक प्रशिक्षण प्रदान कर चुका है।
समापन समारोह में प्रतिष्ठित हस्तियों ने साझा किए विचार
समापन समारोह में उपस्थित विशिष्ट अतिथियों में आईआईसीए के महानिदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री ज्ञानेश्वर कुमार सिंह, भारत सरकार के पूर्व सचिव एवं प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के पूर्व सचिव डॉ. के.पी. कृष्णन, तथा रक्षा मंत्रालय के भूतपूर्व सैनिक कल्याण विभाग (ESW) की सचिव श्रीमती सुकृति लिखी शामिल थीं।
कार्यक्रम की शुरुआत श्री ज्ञानेश्वर कुमार सिंह के स्वागत भाषण से हुई, जिसमें उन्होंने प्रतिभागियों को गहन प्रशिक्षण कार्यक्रम को सफलतापूर्वक पूर्ण करने पर बधाई दी। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण में कॉर्पोरेट प्रशासन ढांचे, नियामक मानकों, वित्तीय प्रबंधन, लेखा परीक्षा समिति के कार्य, जोखिम प्रबंधन, सीएसआर और सतत शासन पर कुल 35 सत्र शामिल थे।
उन्होंने इस बात पर विशेष जोर दिया कि सैन्य अधिकारियों में निहित अनुशासन, नैतिकता, संकट प्रबंधन क्षमता, रणनीतिक सोच और संतुलित निर्णय लेने के गुण उन्हें कॉर्पोरेट क्षेत्र में विशेष रूप से सक्षम बनाते हैं।
डॉ. के.पी. कृष्णन का उद्घाटन संबोधन: स्वतंत्र निदेशकों की भूमिका पर गहन चर्चा
डॉ. कृष्णन ने प्रतिभागियों को स्वतंत्र निदेशक की भूमिका एवं दायित्वों के मूलभूत सिद्धांतों से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि स्वतंत्र निदेशक का प्रमुख दायित्व उन हितधारकों की रक्षा करना है जिनकी निर्णय लेने वाले मंचों तक सीधी पहुंच नहीं होती, विशेष रूप से अल्पसंख्यक शेयरधारकों की।
उन्होंने यह भी बताया कि निदेशक के रूप में जिम्मेदारी का मूल तत्व किसी एक हितधारक के लाभ को अधिकतम करना नहीं, बल्कि सभी हितधारकों के हितों का संतुलन बनाए रखना है।
डॉ. कृष्णन ने कहा कि रक्षा अधिकारियों का दशकों का नेतृत्व अनुभव, संसाधनों का प्रभावी प्रबंधन, और उच्च दबाव वाले वातावरण में निर्णय लेने की क्षमता उन्हें स्वतंत्र निदेशक पद के लिए स्वाभाविक रूप से योग्य बनाती है।
सैन्य अनुभव और कॉर्पोरेट नेतृत्व के बीच सार्थक सामंजस्य
श्रीमती सुकृति लिखी ने अपने मुख्य भाषण में रक्षा कर्मियों को नागरिक कॉर्पोरेट जगत में नेतृत्व भूमिकाओं के लिए तैयार करने के उद्देश्य से IICA और DGR के बीच साझेदारी की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि भारतीय कॉर्पोरेट क्षेत्र में ऐसे बोर्ड सदस्यों की बढ़ती आवश्यकता है जो दूरदर्शी हों, नैतिकता के प्रति प्रतिबद्ध हों और रणनीतिक निर्णय क्षमता रखते हों।
उन्होंने यह भी बताया कि यह कार्यक्रम रक्षा अधिकारियों को न सिर्फ उद्योग-विशिष्ट ज्ञान प्रदान करता है, बल्कि उन्हें कॉर्पोरेट क्षेत्र में सहज, आत्मविश्वासी और उद्देश्यपूर्ण प्रवेश के लिए भी तैयार करता है।
कार्यक्रम की संरचना और प्रशिक्षण पद्धतियाँ
दो सप्ताह के इस गहन कार्यक्रम में निम्नलिखित प्रमुख विषयों को शामिल किया गया:
- कंपनी अधिनियम 2013 और सेबी एलओडीआर नियमों के प्रावधान
- बोर्ड संरचना और बोर्ड की प्रभावशीलता
- स्वतंत्र निदेशकों की कानूनी जिम्मेदारियाँ
- वित्तीय विवरणों की व्याख्या और विश्लेषण
- लेखा परीक्षा समिति का संचालन
- उद्यम जोखिम प्रबंधन
- कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व और ईएसजी मानक
प्रशिक्षण पद्धतियों में शामिल थे:
- विषय विशेषज्ञों के व्याख्यान
- वास्तविक केस स्टडी विश्लेषण
- अनुभवी स्वतंत्र निदेशकों के साथ सत्र
- इंटरएक्टिव चर्चाएँ और सिमुलेशन
- कॉर्पोरेट और रक्षा संदर्भों की तुलनात्मक सीख
कार्यक्रम पूरा करने वाले अधिकारी स्वतंत्र निदेशक डेटाबैंक (IDDB) में पंजीकरण के पात्र हो जाते हैं, जिसका प्रबंधन IICA द्वारा किया जाता है। यह डेटाबैंक वर्तमान में 35,000 से अधिक प्रशिक्षित स्वतंत्र निदेशकों का एक महत्वपूर्ण तंत्र है, जिसमें 10,000 से अधिक महिला निदेशक भी शामिल हैं।