अक्षम सरकारों के विरुद्ध जेन जी का बढ़ता आक्रोश

-त्वरित टिप्पणी-

विभिन्न देशों में बढ़ता जेन जी (Gen Z) का आक्रोश सरकारों की असफलता के लक्षण भी हैं और युवा पीढ़ी की जागरूक, व्यथित प्रतिक्रिया का परिचायक भी है। यह सिर्फ उच्च्श्रंखिल आक्रोश नहीं, बल्कि सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक असंतोष का परिणाम है। नेपाल में करीब 70 दिन पहले जेन जी के नेतृत्व में हुए उग्र प्रदर्शन ने पिछले प्रधानमंत्री ओली की सरकार को सत्ता से बाहर कर दिया था, लेकिन ताजातरीन हालात बता रहे हैं कि नई अंतरिम सरकार के साथ भी जन असंतोष, गहरी निराशा और आंदोलन की भावना कम नहीं हुई है। जेन जी प्रदर्शनकारियों की मुख्य मांगें भ्रस्ताचार खत्म करना, पारदर्शिता, जल्दी चुनाव, और संसद का पुनर्गठन – पूरी होती नहीं दिख रही हैं, जिससे नया सिलसिला दोहराए जाने के संकेत मिल रहे हैं। 

नई अंतरिम सरकार के गठन में अभी भी भारी अनिश्चितता है, सेना को शांति व्यवस्था के लिए मोर्चा संभालना पड़ा। प्रदर्शनकारी संविधान में सुधार, पूरी तरह पारदर्शी व्यवस्था, और सीधे चुने गए युवा नेतृत्व की मांग कर रहे हैं।.भ्रष्टाचार,भाई-भतीजावाद, और बेरोजगारी बनी हुई हैं, जिससे आंदोलन का ताप खत्म नहीं हुआ।  कई रिपोर्टों में सामने आया है कि युवा आंदोलनकारी अब भी सरकारी वादों और सुधारों के इंतजार में हैं, और परिवर्तन की दृष्टि से दबाव बनाए रखे हैं नेपाल में फिलहाल जेन जी की अपेक्षाएं भी बढ़ी हैं और उनका आक्रोश भी तेज हुआ है। हाल ही के घटनाक्रम में देखा गया है कि सत्ता परिवर्तन के बावजूद जब बुनियादी मांगें पूरी नहीं हुईं, तो जेन जी युवाओं का असंतोष और आक्रोश, दोनों ही नए स्तर पर पहुंच गए हैं। 

जेन जी युवाओं की अपेक्षाएं हैं कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में पारदर्शिता, मेरिट के आधार पर स्थान, तकनीकी विकास, भ्रष्टाचार-मुक्त प्रशासन और भविष्य की आश्वस्ति मिले। पिछली सरकार गिरने के बाद युवाओं को उम्मीद थी कि नई सरकार उनकी मांगें पूरी करेगी और बदलाव देखने को मिलेगा । सोशल मीडिया पर प्रतिबंध, व्याप्त भ्रष्टाचार और रोज़गार/शिक्षा के अवसर कमजोर होने जैसी समस्याएं युवाओं को सशक्त औरू जागरूक मांगकर्ता बना रही हैं। 

पिछले दो दिनों में फिर से सड़कें उग्र विरोध और झड़पों की गवाह बनी हैं, जिससे स्पष्ट होता है कि जेन जी की नाराजगी शांत नहीं हुई बल्कि और तेज हो गई है।स्थानीय प्रशासन को कर्फ्यू लगाना पड़ा, पुलिस को लाठीचार्ज और आँसू गैस के गोले दागने पड़े, जिससे पता चलता है कि आक्रोश गहरा और व्यापक हो गया है। युवाओं के विश्वास में आई कमी और सरकारों की बार-बार नाकामी भी उनके गुस्से को लगातार भड़का रही है। 

नेपाल का जेन जी आंदोलन फिलहाल शांत नहीं पड़ा है सत्ता बदलने के बावजूद बुनियादी मांगें और गुस्सा बरकरार हैं ।यह देश की राजनीति को लगातार बदलने वाला, युवा नेतृ की मांग प्रमख रखने वाला आंदोलन है. जो अगर नजरअंदाज किया गया तो फिर से तीव्रता पकड़ सकता है। इसका संकेत है: नई सरकार के लिए चुनौतियाँ समाप्त नहीं हुई हैं, और अगर नेपाल में युवा वर्ग की आकांक्षाओं का समाधान नहीं हुआ, तो अस्थिरता और असंतोष आगे भी जारी रह सकता है। 

कई देशों जैसे नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका, और केन्या में सरकारी नीतियों में पारदर्शिता की कमी, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, और सामाजिक असमानता के कारण युवाओं में घोर निराशा व असंतोष पनप रहा है।लोकतंत्र अगर युवाओं की आकांक्षाओं को नहीं पूरा करता या भ्रष्ट परिवेश बनाता है, तो युवा वर्ग व्यापक आंदोलन और आक्रोश के रूप में प्रतिक्रिया देता है, जिससे कई बार सरकारें गिर गईं, जैसे नेपाल व श्रीलंका में हुआ । सोशल मीडिया पर प्रतिबंध, बढ़ती महंगाई, और रोजगार की घटती संभावनाएँ भी सरकारी नीतियों की विफलता को दर्शाती हैं, जिससे Gen Z का आक्रोश और बढ़ता है। 

Gen Z डिजिटल युग में पली-बढ़ी पीढ़ी है, जो सूचना के नए साधनों से लैस है और अपनी बात मुखरता से रखने का साहस रखती है। सोशल मीडिया, टोलिंग, और तुलना ने मानसिक दबा । असंतोष और सामाजिक असमानता के प्रति उनकी संवेदनशीलता बढ़ा दी है। वे सिर्फ विद्रोही नहीं, बल्कि समाजपरिवर्तन के लिए सक्रिय, जागरूक और तकनीकी रूप से सक्षम हैं। उच्च शिक्षा, स्किल्स और सपनों के बावजूद जब भविष्य अनिश्चित दिखे, तो जेन जी का असंतोष स्वतः आक्रोश में बदल जाता है। सामाजिक अन्याय, लैंगिक असमानता, पर्यावरणीय संकट, और उम्रदराज हित समूहों की नीतियों के खिलाफ यह युवावर्ग सामूहिक बदलाव की मांग करता है आक्रोश के नए रूप। पिछले दो दिनों में फिर से सड़कें उग्र विरोध और झड़पों की गवाह बनी हैं, जिससे स्पष्ट होता है कि जेन जी की नाराजगी शांत नहीं हुई बल्कि और तेज हो गई है। स्थानीय प्रशासन को कर्फ्यू लगाना पड़ा, पुलिस को लाठीचार्ज और आँसू गैस के गोले दागने पड़े, जिससे पता चलता है कि आक्रोश गहरा और व्यापक हो गया है। 

युवाओं के विश्वास में आई कमी और सरकारों की बार-बार नाकामी भी उनके गुस्से को लगातार भड़का रही है। नेपाल में जेन जी की अपेक्षाएं भी अपने उच्चतम स्तर पर हैं और उनका आक्रोश भी उतना ही प्रबल है, क्योंकि वे सिर्फ बदलाव की उम्मीद ही नहीं कर रहे, उसके लिए खुलकर विरोध भी कर रहे हैं। यह परिवर्तन दोनों ही दिशाओं में दिख रहा है-आशाएं भी उभर रही हैं, और नतीजे न आने पर गुस्सा भी।जेन जी में बढ़ता आक्रोश केवल युवाओं की उच्छृंखलता नहीं, बल्कि आधुनिक, जागरूक और अपने अधिकारों की माँग करता समाजिक चेतना है। यह सरकारों के प्रति एक चेतावनी भी है कि समाज की अपेक्षाएँ अगर पूरी नहीं होतीं, तो लोकतंत्र और व्यवस्था सभी प्रभावित हो सकते हैं ।

सुरेश सिंह बैस "शाश्वत"
सुरेश सिंह बैस “शाश्वत”
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