केन्द्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय द्वारा महाराष्ट्र राज्य अल्पसंख्यक विकास विभाग के सहयोग से मुम्बई विश्वविद्यालय के कॉन्वोकेशन हॉल में जियो पारसी योजना के संवर्द्धन और इसके प्रति व्यापक जनसमझ विकसित करने के उद्देश्य से एक संरचित, संवादपरक और सहभागी कार्यशाला आयोजित की गई। इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य पारसी समुदाय के जनसंख्या संकट पर प्रकाश डालना और उनके अस्तित्व तथा प्रगति के लिए प्रशासनिक, सामाजिक और वित्तीय सहायता प्रक्रियाओं को और अधिक सुव्यवस्थित करना था।

जियो पारसी योजना देश में पारसी समुदाय की घटती जनसंख्या दर को ध्यान में रखकर प्रारंभ की गई एक लक्षित और परिणामोन्मुख पहल है। पारसी समुदाय की ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक भूमिका को देखते हुए, यह योजना परिवार नियोजन सहायता, प्रजनन समर्थन और जन्म संबंधित सहायताओं के माध्यम से समुदाय की स्थिरता व निरंतरता सुनिश्चित करने का प्रयास करती है।
कार्यक्रम के दौरान अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के उप महानिदेशक श्री आलोक वर्मा तथा राष्ट्रीय सूचना केंद्र के वरिष्ठ निदेशक श्री रंजीत कुमार सहित कई वरिष्ठ संबद्ध अधिकारियों ने उपस्थित होकर नीतिगत बिंदुओं और कार्यान्वयन संबंधी नवीन विधियों पर दिशा-निर्देश प्रस्तुत किए। उन्होंने लाभार्थियों और समुदाय के प्रतिनिधियों के साथ प्रत्यक्ष संवाद स्थापित किया ताकि योजना के तत्वों को अधिक लाभकारी, उपयोगकर्ता-केंद्रित और प्रभावी बनाया जा सके।
कार्यशाला में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक विकास एवं वित्त निगम (एनएमडीएफसी) की सक्रिय सहभागिता भी उल्लेखनीय रही। निगम के अधिकारियों ने पारसी समुदाय के युवाओं, उद्यमियों और व्यवसायिक इच्छुक प्रतिनिधियों को वित्तीय विकल्पों, आसान ऋण सुविधाओं तथा स्वयंरोजगार योजनाओं के बारे में व्यापक जानकारी प्रदान की। इसका उद्देश्य पारसी समुदाय की आर्थिक आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करना और उन्हें आधुनिक आर्थिक अवसरों से जोड़ना था।
इस योजना की कार्यशीलता एवं सामाजिक उपयोगिता का विश्लेषण अंतर्राष्ट्रीय जनसंख्या विज्ञान संस्थान द्वारा किए गए शोध पर आधारित है। संस्थान ने अपने अध्ययन में जनसांख्यिकीय प्रवृत्तियों, जनसंख्या गिरावट के कारणों, योजना के अब तक के परिणामों तथा भविष्य की आवश्यक रणनीतियों पर अनुभवजन्य निष्कर्ष प्रस्तुत किए। इन परिणामों के आधार पर नीति-निर्माण की गुणवत्ता और अनुसंधान-आधारित निर्णय प्रक्रिया को बढ़ावा देने का लक्ष्य निर्धारित किया गया।
कार्यक्रम के एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू के रूप में कार्यशाला में नागरिक सहभागिता आधारित सत्र आयोजित किया गया। मंत्रालय के मीडिया, अनुसंधान और आउटरीच के वरिष्ठ सलाहकार श्री हर्ष रंजन ने संवादमूलक सत्र की अगुवाई करते हुए उपस्थित पारसी परिवारों और लाभार्थियों से सीधा संवाद किया। इसका उद्देश्य जमीनी चुनौतियों, प्रक्रियागत जटिलताओं तथा सुधार की वास्तविक आवश्यकताओं को समझना था ताकि जियो पारसी योजना भविष्य में और अधिक कुशल, सरल एवं लाभदायक बन सके।
डिजिटल प्रशासनिक नवाचार इस कार्यशाला का प्रमुख आकर्षण रहा। जियो पारसी योजना को पूर्णतया तकनीकी रूप से सक्षम बनाने हेतु अब इसके लिए समर्पित मोबाइल एप्लिकेशन विकसित किया गया है, जिसमें बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण सहित सभी आवश्यक औपचारिकताएं डिजिटल माध्यम से पूर्ण की जा सकती हैं। इससे पारदर्शिता बढ़ी है, उपयोगकर्ता अनुभव बेहतर हुआ है और ग्रामीण तथा शहरी समुदाय दोनों के लिए सेवाओं की समान पहुँच संभव हुई है।
अंततः, इस कार्यशाला ने सरकार की इस प्रतिबद्धता को पुनर्स्थापित किया कि पारसी समुदाय केवल अल्पसंख्यक नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक और सामाजिक विरासत का एक महत्वपूर्ण अंग है। जियो पारसी जैसी योजनाओं के माध्यम से सरकार उन्हें सामाजिक सुरक्षा, आर्थिक सशक्तिकरण और अस्तित्वगत संरक्षण प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है।
अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय का यह सतत प्रयास न केवल एक नीति-निर्माण की प्रक्रिया है बल्कि पारसी समुदाय के भविष्य को संरक्षित रखने की दिशा में एक ठोस सामाजिक योगदान भी है। India’s cultural and demographic संतुलन में पारसी समुदाय की विरासत और योगदान को संरक्षित रखने के लिए यह पहल समयानुकूल, आवश्यक तथा लोकतांत्रिक रूप से महत्वपूर्ण कदम है।