इंसान तू क्या था ? ….तू पुनः आदिमानव हो रहा है: सुरेश सिंह बै‌स

बिलासपुर: ऑनलाइन कवि गोष्ठी का आयोजन जयपुर, राजस्थान से श्री श्याम साहित्य मंच द्वारा किया गया, जिसमें कवियों ने अपने सुमधुर और सारगर्भित साहित्यिक रचनाएँ प्रस्तुत किए। कार्यक्रम का संचालन हर्षवर्धन शर्मा ने बड़े ही कुशलता से किया, जिसमें गायकी और कविताओं ने माहौल को गरिमामयी बना दिया। इस गोष्ठी में अयोध्या से वरिष्ठ कवि दिनेश दुबे ने मां सरस्वती की वंदना की सुमधुर गायकी के साथ प्रारंभ किया। बिलासपुर से सुरेश सिंह बैस “शाश्वत” ने मानव प्रवृत्ति पर दार्शनिक रचना सुनाई, जिसमें उन्होंने मनुष्य की नैतिकता के पतन और पुनः आदिमानव बनने का भाव व्यक्त किया, जिससे सभी श्रोतागण भावविभोर हो गए।सुरेश सिंह बैस ने अपनी अन्य कविताएं भी सुनाईं, जिनमें खाटू श्याम महाराज के दर्शन और खाटू राजस्थान पहुंचने की स्मृतियां शामिल थीं। उभरती कवियत्री आरती नामा गूँज ने बेटियों के संरक्षण, सुरक्षा और उनके प्रति हो रहे अत्याचारों पर अपनी रचनाओं के माध्यम से गहरा प्रभाव डाला। संचालन करते हुए हर्षवर्धन शर्मा ने जीवन और कर्म विषयक अपनी प्रभावशाली कविताएं प्रस्तुत कीं।

इसके अतिरिक्त कवि सुरेश कुमार वर्मा, रचना जायसवाल, प्रहलाद सांसी वास्तमिया, प्रो शरद नारायण खरे, डॉ. किरण कुमारी, गणेश प्रसाद गौतम, डॉ रुपाली गर्ग, डॉ शिवनाथ सिंह “शिव” सहित कई अन्य साहित्यकारों ने भी अपनी श्रेष्ठ रचनाएं पेश कीं। पूरी गोष्ठी मधुर, सारगर्भित और सुमधुर वातावरण में संपन्न हुई जो सभी उपस्थित साहित्यकारों और श्रोताओं के लिए आनंददायक रही।रचनाओं के माध्यम से गहरा प्रभाव डाला। संचालन करते हुए हर्षवर्धन शर्मा ने जीवन और कर्म विषयक अपनी प्रभावशाली कविताएं प्रस्तुत कीं। इसके अतिरिक्त कवि सुरेश कुमार वर्मा, रचना जायसवाल, प्रहलाद सांसी वास्तमिया, प्रो शरद नारायण खरे, डॉ. किरण कुमारी, गणेश प्रसाद गौतम, डॉ रुपाली गर्ग, डॉ शिवनाथ सिंह “शिव” सहित कई अन्य साहित्यकारों ने भी अपनी श्रेष्ठ रचनाएं पेश कीं। पूरी गोष्ठी मधुर, सारगर्भित और सुमधुर वातावरण में संपन्न हुई जो सभी उपस्थित साहित्यकारों और श्रोताओं के लिए आनंददायक रही।इस कवि गोष्ठी ने साहित्य के माध्यम से समाज की जटिलताओं, नैतिक पतन और संस्कृतिक मूल्यों पर गहरा संवाद स्थापित किया।

इसमें कवियों ने अपने हृदयस्पर्शी गीतों एवं कविताओं से जीवन, समाज और मानवता के विभिन्न पहलुओं को छुआ, जिससे उपस्थित श्रोताओं ने उस चेतना की अनुभूति की जो आज की मानवता के लिए जरूरी है। कार्यक्रम की सफलता में मंच संचालक हर्षवर्धन शर्मा की भूमिका विशेष रही जिन्होंने कवियों और गायकों को एकजुट कर एक सुंदर साहित्यिक शाम का सृजन किया। कवि गोष्ठी का प्रारंभ सायंकाल 5:00 बजे से जिस तरह सुमधुर गायकी और कविता वादन से प्रारंभ हुआ, वह निर्धारित समय के बाद भी चलता रहा। और कब 8:00 बज गया पता ही नहीं लगा।

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