भारत और अर्जेंटीना ने कृषि अनुसंधान, क्षमता निर्माण और प्रौद्योगिकी विनिमय के क्षेत्र में अपने द्विपक्षीय सहयोग को और सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए आईसीएआर–आईएनटीए कार्य योजना 2025–2027 पर हस्ताक्षर किए हैं। यह समझौता भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद और अर्जेंटीना के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एग्रीकल्चरल टेक्नोलॉजी के बीच किया गया, जिसका उद्देश्य कृषि क्षेत्र में वैज्ञानिक सहयोग को संस्थागत रूप देना और आधुनिक तकनीकों के आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करना है।

इस कार्य योजना पर कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग के सचिव तथा आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. एम. एल. जाट और भारत में अर्जेंटीना गणराज्य के राजदूत श्री मारियानो ऑगस्टिन कौसिनो ने हस्ताक्षर किए। दोनों पक्षों ने इस अवसर पर इसे भारत और अर्जेंटीना के बीच कृषि सहयोग को नई ऊंचाइयों तक ले जाने वाला कदम बताया।
कार्य योजना 2025–2027 के अंतर्गत कृषि अनुसंधान और विकास के अनेक महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सहयोग पर सहमति बनी है। इनमें प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, बिना जुताई के खेती, संवहनीय कृषि विज्ञान, कृषि मशीनीकरण, सूक्ष्म सिंचाई तथा पानी में उर्वरक मिलाकर सिंचाई जैसी आधुनिक तकनीकों का विकास और प्रसार शामिल है। इसके साथ ही फसल एवं पशु जैव प्रौद्योगिकी, पशुधन वृद्धि, समशीतोष्ण और उष्णकटिबंधीय फसलों के लिए उन्नत उत्पादन प्रौद्योगिकियों, डिजिटल कृषि, जैव सुरक्षा और पादप स्वच्छता उपायों तथा कृषि मूल्य श्रृंखला के विकास जैसे विषयों पर भी सहयोग को प्राथमिकता दी गई है।
इस समझौते के तहत नियोजित अध्ययन दौरों और प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से वैज्ञानिकों, विशेषज्ञों और तकनीकी कर्मियों को व्यावहारिक अनुभव प्रदान किया जाएगा। इन कार्यक्रमों में ग्रीनहाउस सब्जी उत्पादन, फूलों की खेती, समशीतोष्ण फलों का उत्पादन, कटाई के बाद फलों और सब्जियों का संरक्षण, अधिक पोषण वाले खाद्य पदार्थों का विकास, पशु चिकित्सा निदान, पशुपालन, अपशिष्ट से संसाधन में परिवर्तन की तकनीक, माइक्रोबियल आधारित फ़ीड वृद्धि, डिजिटल कृषि, स्वच्छता तथा पादप स्वास्थ्य जैसे महत्वपूर्ण विषय शामिल होंगे।
जर्मप्लाज्म के आदान-प्रदान को भी इस कार्य योजना का अहम हिस्सा बनाया गया है। इसके अंतर्गत सोयाबीन, सूरजमुखी, मक्का, ब्लूबेरी, साइट्रस फल, जंगली पपीता, अमरूद की विभिन्न प्रजातियों और चुनिंदा सब्जियों के जर्मप्लाज्म का आदान-प्रदान किया जाएगा, जिससे दोनों देशों में फसल सुधार, उत्पादकता वृद्धि और जलवायु अनुकूल किस्मों के विकास को बढ़ावा मिलेगा।
भारत और अर्जेंटीना तिलहन और दलहन की मूल्य श्रृंखला को मजबूत करने, कृषि मशीनीकरण के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने तथा बागवानी मूल्य श्रृंखला विकास पर भी मिलकर कार्य करेंगे। इसमें बिना जुताई के खेती, कपास कटाई की मशीनों, ड्रोन तकनीक, अवसंरचना विकास और रोपण सामग्री के आदान-प्रदान जैसे पहलुओं को शामिल किया गया है।
पादप और पशु स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी दोनों देशों ने सहयोग को विस्तार देने का निर्णय लिया है। कार्य योजना के अंतर्गत खुरपका मुँहपका रोग के उन्मूलन के लिए क्षेत्र-विशिष्ट रणनीतियों, तकनीकी विनिमय और सर्वोत्तम पद्धतियों को साझा करने की परिकल्पना की गई है। इसके साथ ही टिड्डी निगरानी और प्रबंधन जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर भी सहयोग को आगे बढ़ाने पर सहमति बनी है, जो खाद्य सुरक्षा और कृषि स्थिरता के लिए अत्यंत आवश्यक हैं।
दोनों पक्षों ने भारत–अर्जेंटीना वैज्ञानिक साझेदारी के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराते हुए इस कार्य योजना के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने पर बल दिया। इसके लिए वार्षिक निगरानी और समीक्षा की व्यवस्था पर सहमति व्यक्त की गई है, ताकि प्रगति का आकलन किया जा सके और आवश्यकतानुसार सुधारात्मक कदम उठाए जा सकें।