भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच बढ़ते रणनीतिक और रक्षा संबंधों को और सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में भारतीय सेना का एक दल भारत–यूएई संयुक्त सैन्य अभ्यास डेजर्ट साइक्लोन–II के दूसरे संस्करण में भाग लेने के लिए संयुक्त अरब अमीरात रवाना हो गया है। यह संयुक्त सैन्य अभ्यास 18 से 30 दिसंबर 2025 तक यूएई की राजधानी अबू धाबी में आयोजित किया जाएगा।

इस अभ्यास में भारतीय सेना की ओर से 45 सैनिक भाग ले रहे हैं, जिनमें अधिकांश एक मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री रेजिमेंट की बटालियन से हैं। वहीं, संयुक्त अरब अमीरात की थल सेना का लगभग समान संख्या वाला दल इस अभ्यास में भाग ले रहा है, जिसका प्रतिनिधित्व यूएई थल सेना की 53वीं मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री बटालियन द्वारा किया जाएगा। दोनों देशों के सैनिक लगभग दो सप्ताह तक संयुक्त रूप से विभिन्न सामरिक और रणनीतिक गतिविधियों में प्रशिक्षण लेंगे।
डेजर्ट साइक्लोन–II अभ्यास का मुख्य उद्देश्य शहरी वातावरण में संयुक्त प्रशिक्षण के माध्यम से भारतीय सेना और यूएई थल सेना के बीच अंतरसंचालन क्षमता को बढ़ाना और द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को और गहरा करना है। इस अभ्यास में संयुक्त राष्ट्र के जनादेश के तहत संचालित अभियानों पर विशेष ध्यान केंद्रित किया गया है, ताकि दोनों सेनाएं भविष्य में शांति स्थापना, आतंकवाद विरोधी तथा स्थिरता अभियानों के दौरान एक साथ प्रभावी रूप से कार्य कर सकें।
अभ्यास के दौरान सैनिकों को सामरिक अभ्यासों की एक विस्तृत श्रृंखला में प्रशिक्षित किया जाएगा। इनमें शहरी क्षेत्रों में युद्ध संचालन, हेलीकॉप्टर आधारित अभियानों का अभ्यास, विस्तृत मिशन योजना और समन्वय शामिल है। इसके साथ ही, शहरी क्षेत्रों में अभियानों के प्रभावी संचालन के लिए मानवरहित हवाई प्रणालियों यानी यूएएस और काउंटर यूएएस तकनीकों के एकीकरण पर भी विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा, जिससे आधुनिक युद्ध परिदृश्यों में दोनों सेनाओं की तैयारी और क्षमताएं और मजबूत होंगी।
यह संयुक्त सैन्य अभ्यास हाल के महीनों में भारत और यूएई के बीच उच्च स्तरीय सैन्य संपर्कों की निरंतरता का हिस्सा है। 27 और 28 अक्टूबर 2025 को यूएई थल सेना के कमांडर तथा 15 से 19 दिसंबर 2025 के बीच यूएई राष्ट्रपति गार्ड के कमांडर की सफल यात्राओं से मिली गति को आगे बढ़ाते हुए डेजर्ट साइक्लोन–II अभ्यास दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को नई दिशा देगा।
डेजर्ट साइक्लोन–II अभ्यास भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच गहरी होती रणनीतिक साझेदारी और सैन्य कूटनीति का स्पष्ट प्रतीक है। यह अभ्यास न केवल दोनों सेनाओं के बीच पेशेवर संबंधों को मजबूत करेगा, बल्कि रणनीति, तकनीक और प्रक्रियाओं की आपसी समझ को भी बढ़ावा देगा। इससे अंतरसंचालनीय क्षमताओं का विकास होगा और दोनों देशों की सेनाएं भविष्य की साझा चुनौतियों से निपटने के लिए बेहतर रूप से तैयार हो सकेंगी।