एसीसी हायर सेकेंडरी स्कूल ने अपनी 100वीं वर्षगांठ मनाई
कटनी: मध्य प्रदेश के किमोर में स्थित एसीसी हायर सेकेंडरी स्कूल ने अपनी 100वीं वर्षगांठ मनाई। यह कार्यक्रम स्कूल द्वारा एक सदी से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने और 17,000 से अधिक छात्रों के जीवन को नया आकार देने का प्रतीक साबित हुआ। किमोर गांव में 1923 में सी.पी. पोर्टलैंड सीमेंट लिमिटेड द्वारा स्थापित यह स्कूल कई वर्षों की कड़ी मेहनत से विकसित हुआ है, जिसने मध्य प्रदेश के शैक्षिक परिदृश्य पर एक महत्वपूर्ण छाप छोड़ी है।
एसीसी जिमखाना क्रिकेट मैदान में आयोजित शताब्दी समारोह में अदाणी फाउंडेशन की अध्यक्ष डॉ. प्रीति अदाणी भी उपस्थित रहीं। दिनभर चले कार्यक्रम में स्कूल की अब तक की यात्रा को प्रदर्शित करने वाली एक डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग भी की गई, जिसके बाद स्मृति चिन्ह का विमोचन और पूर्व छात्रों द्वारा सांस्कृतिक गतिविधियों का प्रदर्शन किया गया।
डॉ. प्रीति अदाणी ने इस ऐतिहासिक अवसर पर स्कूल के कर्मचारियों, छात्रों और पूर्व छात्रों को बधाई देते हुए कहा, “शिक्षा सामाजिक प्रगति की नींव है और एसीसी हायर सेकेंडरी स्कूल की सदियों पुरानी विरासत, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की परिवर्तनकारी शक्ति का प्रतीक है। मैं समर्पित शिक्षकों और पूर्व छात्रों के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करती हूं। अदाणी फाउंडेशन इस अवसर का साक्षी बनकर गौरवान्वित महसूस कर रहा है। हम स्कूल की समृद्ध विरासत में योगदान देने के लिए सदैव तत्पर हैं और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का नेतृत्व करने के लिए हमेशा प्रतिबद्ध हैं।”
एसीसी हायर सेकेंडरी स्कूल की यात्रा 1923 में गौरी शंकर पांडे के नेतृत्व में केवल दो कक्षाओं के साथ शुरू हुई थी, जिन्होंने 1943 तक इसके पहले हेडमास्टर के रूप में कार्य किया। इसकी विरासत को अन्य कई नेताओं के नेतृत्व में वर्षों तक तैयार किया गया, जिनके कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण विस्तार देखने को मिले। 2010 में उच्च माध्यमिक छात्रों के लिए प्रयोगशालाओं, एक पुस्तकालय, चार कक्षाओं और शौचालयों सहित अन्य सुविधाओं का निर्माण किया गया। राज्य की मेरिट सूची में स्कूल के छात्रों की उल्लेखनीय उपलब्धियों ने शैक्षणिक उत्कृष्टता के प्रति स्कूल की प्रतिबद्धता को दर्शाने का काम किया। 2017 में प्रिंसिपल की भूमिका संभालने वाले सुधांशु मिश्रा के नेतृत्व में स्कूल लगातार प्रगति कर रहा है।
स्कूल के 100 साल पूरे होने के अवसर पर, सुधांशु मिश्रा ने कहा, “इस आत्मविश्वास से भरे माइलस्टोन को देखते हुए, मेरा दिल कृतज्ञता से भर गया है। समर्पित शिक्षकों और अटूट सामुदायिक समर्थन द्वारा दिशा दिखाई गई इस यात्रा में शिक्षा के वास्तविक सार को देखा जा सकता है। साथ मिलकर, हमने कई पीढ़ियों को आकार देने का काम किया है। मैं स्वतंत्रता से पूर्व शुरू की गई इस क्रांति का नेतृत्व करने के लिए अदाणी फाउंडेशन के प्रति अपना आभार व्यक्त करना चाहता हूं। अब, हम सभी एक साथ मिलकर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की दिशा में अपनी प्रतिबद्धता के लिए कड़ी मेहनत करने को लेकर पूरी तरह तैयार हैं।”
स्कूल अपने प्रतिष्ठित पूर्व छात्रों को लेकर भी बेहद गौरवान्वित महसूस करता है, जिनमें सबसे कम उम्र के स्वतंत्रता सेनानी महेश श्रीवास्तव भी शामिल हैं, जो 10 साल की उम्र में भारत छोड़ो आंदोलन में शामिल हुए थे। जबकि अन्य पूर्व छात्रों में सेवानिवृत्त सेना अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल तुकाराम यादव, भारतीय बैडमिंटन संघ के सचिव संजय मिश्रा, चंद्रयान-2 और चंद्रयान-3 जैसे महान प्रोजेक्ट्स पर काम करने वाली मेघा भट्ट, वैज्ञानिक और शिक्षाविद डॉ. करुणा वर्मा, जो रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में डीन और एक्जीक्यूटिव काउंसलर के रूप में सेवानिवृत्त हुईं, कोल इंडिया लिमिटेड के पूर्व मुख्य भूविज्ञानी अनिल कुमार शुक्ला और पार्श्व गायिका नंदिता नागज्योति के नाम शामिल हैं।