श्री अमित शाह और डॉ. मनसुख मांडविया ने “प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र के रूप में पैक्स” विषय पर राष्ट्रीय महासम्मेलन को संबोधित किया

केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह और केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक तथा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने आज “प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र के रूप में पैक्स (पीएसीएस)” विषय पर राष्ट्रीय महासम्मेलन को संबोधित किया। इस अवसर पर सहकारिता राज्य मंत्री श्री बी.एल. वर्मा भी उपस्थित थे।

इस सम्मेलन का आयोजन सहकारिता मंत्रालय की प्रमुख पहलों और अब तक हासिल की गई प्रगति को उजागर करने के उद्देश्य से “सहकार – से – समृद्धि” के आदर्श वाक्य के साथ किया गया। सहकारिता मंत्रालय द्वारा अपनाए गए नए मॉडल उपनियमों के अनुसार, प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पीएसीएस) का दायरा जमीनी स्तर पर कृषि ऋणों से निपटने के उनके मूल कार्य से आगे बढ़ा दिया गया है। पैक्स अब जन औषधि केंद्र खोलने जैसे कई अन्य तरीकों तक पहुंचने में सक्षम हैं।

श्री अमित शाह ने इस बात पर प्रकाश डाला कि पैक्स को जन औषधि केंद्र खोलने की अनुमति देने के निर्णय का लाभ न केवल सहकारी समितियों को मिलेगा, बल्कि समुदाय के सबसे निचले तबके तक भी पहुंचेगा। उन्होंने बताया कि पिछले 9 वर्षों में जन औषधि केंद्रों के माध्यम से गरीबों के लगभग 26,000 करोड़ रुपये बचाए गए हैं। इन केंद्रों पर जेनेरिक दवाएं बाजार मूल्य के 50 से 90 प्रतिशत पर उपलब्ध हैं, जिससे सस्ती स्वास्थ्य देखभाल सुनिश्चित होती है।

श्री अमित शाह ने आयुष्मान भारत पहल, मिशन इंद्रधनुष, जल जीवन मिशन, डिजिटल स्वास्थ्य, मलेरिया उन्मूलन मिशन, टीबी मुक्त भारत पहल इत्यादि जैसी केंद्र सरकार की अन्य महत्वपूर्ण पहलों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि इन पहलों ने देश के स्वास्थ्य सेवा परिदृश्य को बदल दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि पीएम-एबीएचआईएम के जरिये देश में स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचे में सुधार और एबी-पीएमजेएवाई के माध्यम से गरीबों के लिए मुफ्त स्वास्थ्य बीमा प्रदान करने के अलावा, सरकार ने जन औषधि केंद्रों के नेटवर्क का विस्तार करके और इन केंद्रों में विविध उच्च गुणवत्ता वाली दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करके दवाओं की खरीद पर खर्च को काफी हद तक कम कर दिया है। उन्होंने कहा, “डायलिसिस के लिए जिन दवाओं की कीमत 65 रुपये है, वे जन औषधि केंद्रों में मात्र 5 रुपये में मिलती हैं।”

इस सम्मेलन को संबोधित करते हुए केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक तथा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने बताया, “पहले चरण में पैक्स के माध्यम से 2,000 जन औषधि केंद्र खोलने की योजना है”। उन्होंने यह भी बताया कि फार्मास्यूटिकल्स विभाग ने देश में जन औषधि केंद्र खोलने के लिए पैक्स के 2,300 से अधिक आवेदनों को पहले ही मंजूरी दे दी है, जिनमें से 500 वर्तमान में पहले से ही कार्यरत हैं। उन्होंने कहा, “पैक्स के जरिये जन औषधि केंद्र खोलने से देश में गुणवत्तापूर्ण और सस्ती दवाओं की सब जगह उपलब्धता होने के साथ ही पैक्स सहकारी संगठन के रूप में मजबूत होगा।”

केंद्रीय मंत्री डॉ. मांडविया ने विशेष रूप से समाज के गरीब वर्ग के लिए जन औषधि योजना की खूबियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना का उद्देश्य उपभोक्ताओं को गुणवत्तापूर्ण और सस्ती दवाएं उपलब्ध कराने के साथ-साथ उन्हें रोजगार के अवसर प्रदान करना है। उन्होंने कहा, “देश में 10,500 से अधिक जन औषधि केंद्र चल रहे हैं जो 1,965 से अधिक उच्च गुणवत्ता वाली दवाएं और 293 सर्जिकल एवं अन्य उत्पाद बाजार में उपलब्ध ब्रांडेड दवाओं की कीमत के 50 से 90 प्रतिशत पर उपलब्ध करा रहे हैं”

केंद्रीय मंत्रियों ने जम्मू-कश्मीर, आंध्र प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के पांच पैक्स प्रतिनिधियों को स्टोर कोड के प्रतीकात्मक प्रमाण पत्र प्रदान किए। देश भर के विभिन्न पैक्स के प्रतिभागियों ने पैक्स के लिए कार्यान्वित की जा रही नीतियों पर संतुष्टि व्यक्त की और सम्मेलन में नए अपनाए गए मॉडल उपनियमों के तहत अपने अनुभव भी साझा किए।

इस कार्यक्रम में श्री ज्ञानेश कुमार, सचिव, सहकारिता मंत्रालय; श्री अरुणीश चावला, सचिव, फार्मास्यूटिकल्स विभाग, रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय; केंद्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारी और देश भर से प्रधानमंत्री जन औषधि परियोजना और पैक्स के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

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