रामविलास पासवान दलित महानायक एवं विकासपुरुष थे

-रामविलास पासवान की 78वीं जन्म जयन्ती- 5 जुलाई, 2024 पर विशेष-

बिहार की राजनीति में चमत्कार घटित करने वाले, भारतीय दलित राजनीति के शीर्ष नेता एवं पूर्व केन्द्रीय खाद्य आपूर्ति मंत्री श्री रामविलास पासवान का जीवन राजनीति में नये मूल्यमानक गढ़ने का प्रेरक रहा है जिन्होंने राजनीति में पाँच दशकों से भी ज्यादा समय तक सक्रिय रहकर विधायक, सांसद और केंद्रीय मंत्री तक की जिम्मेवारी बखूबी निभाई थी। पासवान को एक ऐसा नेता माना जाता है जिन्हें हर धर्म और समुदाय के लोगों का प्यार व समर्थन हासिल हुआ और वे देश में विकास पुरुष के तौर पर जाने गए। मंडल आयोग की सिफ़ारिशों को लागू के में पासवान की अहम भूमिका रही। उनके रेलमंत्रित्व काल में बिहार में कई परियोजनाएं शुरू हुईं और जिस भी मंत्रालय में वे रहे, उनकी चिंताओं के केंद्र में हमेशा गरीब-गुरबा और हाशिए पर रहनेवाले लोग ही रहे। रामविलास पासवान का जीवन दलित सशक्तिकरण के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का एक जीवंत दस्तावेज़ है। 5 जुलाई 2024 को उनका 78वां जन्म जयन्ती समारोह राष्ट्रीय स्तर पर मनाया जा रहा है।

रामविलास पासवान ने लोक जनशक्ति पार्टी की वर्ष 2000 में स्थापना की एवं संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी से उनका राजनीति सफर शुरु हुआ। वे अकेले ऐसे राजनीतिक व्यक्तित्व थे जिन्हें अनेक प्रधानमंत्रियों के साथ काम करने का मौका मिला और वे दो बार लोकसभा में सदन के नेता भी रहे। उन्होंने 1977 में हाजीपुर से रिकॉर्ड मतों से चुनाव जीत कर एक अनूठा इतिहास बनाया। उन्होंने दलितों से लेकर सर्वहारा वर्ग के लिये हमेशा आगे बढ़कर एक कर्मयोद्धा की भांति लड़ाई लड़ी। 1969 से अपना राजनीतिक सफर शुरु करने वाले रामविलासजी ने जेपी आन्दोलन में सक्रिय भूमिका निभाई और फायरब्रांड समाजवादी के रूप मे उभरे। वे वंचित वर्गों की आवाज मुखर करने वाले तथा हाशिए के लोगों के लिए सतत संघर्षरत रहने वाले जनसेवक थे। उनका जीवन राजनीति में न केवल दलितों-वंचितों के उन्नायक महानायक बल्कि उच्च चारित्रिक एवं नैतिक मूल्यों का प्रेरक था।
पासवानजी का जन्म बिहार के खगरिया जिले के अलौली प्रखंड के शाहरबन्नी गाँव में हुआ।

अनुसूचित जाति के परिवार में पिता जामुनजी पासवान एवं माता सियादेवी की कुक्षी से आपका जन्म 5 जुलाई, 1946 को हुआ। उन्होंने 1960 के दशक में राजकुमारी देवी से पहली शादी की जिसे 1981 में तलाक दे दिया था। उनकी पहली पत्नी राजकुमारी से उषा और आशा दो बेटियां हैं। 1983 में, अमृतसर से एक एयरहोस्टेस और पंजाबी हिन्दू रीना शर्मा से दूसरा विवाह किया। जिससे उनके एक बेटा और बेटी है। उनके बेटे चिराग पासवान एक अभिनेता से राजनेता बने हैं, वर्तमान में लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष है और हालही में सम्पन्न लोकसभा चुनाव में शानदार जीत हासिल कर वे अपने पिता के पदचिन्हों पर चलते हुए केन्द्रीय खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के ‘हनुमान’ के रूप में वे उनके विश्वासपात्र है।

श्री रामविलास पासवान का राजनीति जीवन अनेक विशेषताओं एवं विलक्षणताओं का समवाय रहा है। उन्होंने 11 बार चुनाव लड़ा और उनमें से नौ बार जीत हासिल की थी। वे सत्रहवीं लोकसभा में मोदी सरकार में एक बार फिर से उपभोक्ता मामलात मंत्री बने। बिहार में कभी बड़ी ताकत नहीं बन पाए पासवान ने दिल्ली की राजनीति में खुद को एक ताकत बनाए रखा और तीन दशकों तक देश के विभिन्न प्रधानमंत्रियों की जरूरत बने रहे। विश्वनाथ प्रताप सिंह, एच डी देवगौड़ा, इंद्रकुमार गुजराल, अटल बिहारी बाजपेयी, मनमोहन सिंह और नरेंद्र मोदी की सरकारों में भी अहम पदों पर रहे। भारतीय राजनीति के इस जुझारू एवं जीवट वाले नेता ने राजनीति में कर्मयोगी की भांति जीवन जीया। यह सच है कि वे बिहार के थे यह भी सच है कि वे लोजपा के थे किन्तु इससे भी बड़ा सच यह है कि वे राष्ट्र के थे, राष्ट्रनायक थे।

देश की राजनीति में वे दुर्लभ एवं संवेदनशील व्यक्तित्व थे। गरीबों, वंचितों, दलितों की आवाज बनने वाले इस विलक्षण राजनेता के व्यक्तित्व एवं कृतित्व की अनेक विशेषताएं थी, वे उदात्त संस्कार, लोकजीवन से इतनी निकटता, इतनी सादगी-सरलता, इतना धर्म-संस्कृतिप्रेम और इतनी सचाई ने उनके व्यक्तित्व को बहुत और बहुत ऊँचा बना दिया था। वे अन्तिम साँस तक देश की एवं दलितों-वंचितों की सेवा करते रहे। उनका निधन एक राष्ट्रवादी सोच की राजनीति एवं सर्वहारा वर्ग के मसीहा महानेता का अंत था। वे सिद्धांतों एवं आदर्शों पर जीने वाले व्यक्तियों की श्रृंखला के प्रतीक थे। उनके जीवन को राजनैतिक जीवन में शुद्धता की, मूल्यों की, संस्कृति की, दलित राजनीति की, सर्वहारा वर्ग के लिये संघर्ष की, सिद्धांतों पर अडिग रहकर न झुकने, न समझौता करने की प्रेरकता का विलक्षण एवं अनुकरणीय उदाहरण था। वे सदा दूसरों से भिन्न रहे। भ्रष्ट राजनीति में बेदाग। विचारों में निडर। टूटते मूल्यों में अडिग। घेरे तोड़कर निकलती भीड़ में मर्यादित। उनके जीवन से जुड़ी विधायक धारणा और यथार्थपरक सोच ऐसे शक्तिशाली हथियार थे जिसका वार कभी खाली नहीं गया। बिहार के लिए सचमुच वे ‘राम’ यानी सबके प्रिय एवं चेहते थे। एक युवा नेता के रूप में उन्होंने आपातकाल के दौरान अत्याचार और लोकतंत्र पर हमले का सशक्त एवं प्रभावी विरोध करते हुए अपनी स्वतंत्र राजनीतिक सोच एवं दृष्टिकोण को प्रस्तुत किया।

जरूरतमंदों की सहायता करते हुए, नये राजनीतिक चेहरों को गढ़ते हुए, मुस्कराते हुए और हंसते हुए छोटों से स्नेहपूर्ण व्यवहार और हम उम्र लोगों से बेलौस हंसी-मजाक करने वाले श्री रामविलास पासवान की जिंदगी प्रेरक, अनूठी एवं विलक्षण इस मायने में मानी जाएगी कि उन्होंने जिंदगी के सारे सरोकारों को छुआ। वह राजनेता थे तो उन्होंने दलित-वंचितों के लिये आवाज उठाई, सर्वहारा वर्ग की चिन्ता की, उनके अधिकारों की लड़ाई लड़ी। उनका दृष्टिकोण व्यापक था और दलित हितों से प्रतिबद्ध था। वे दलित आंदोलनकारी और राजनीतिक घटनाक्रमों के सूत्रधार भी रहे।

क्रांतिकारियों व वरिष्ठ स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के सरोकारों से भी वे हमेशा जुड़े दिखे। बड़े व व्यस्त राजनेता होने के बावजूद विभिन्न धर्मों एवं सांस्कृतिक गतिविधियों में सहज भागीदारी- उनके जीवन के विविध आयाम थे। जितना वे दलित हित की चिन्ता करते उतनी ही आदिवासी उत्थान के लिये तत्पर रहते। गुजरात के बडौदा-छोटा उदयपुर के आदिवासी क्षेत्रों में गणि राजेन्द्र विजयजी के नेतृत्व में एवं सुखी परिवार फाउण्डेशन के द्वारा संचालित गतिविधियों में उनका भरपूर सहयोग मिला। बिहार में जैन तीर्थंकरों की कल्याण भूमि को लेकर उनके मन में बड़ी योजना थी। बिहार के जैन तीर्थंकरों के सरोकारों, संस्कृति और इतिहास से जुड़ा शायद ही कोई पहलू ऐसा रहा हो जो उनके दिलों की धड़कन में न धड़कता रहा हो। उनकी गिनती बिहार की मिट्टी से जुड़े कद्दावर नेताओं में थी और उनके सभी दलों के साथ अच्छे संबंध थे।

रामविलास पासवानजी बहुत ही जुझारू नेता थे, सभी के प्रति उनका भाव हमेशा सृजनात्मक रहा, यही उन्हें दूसरों से हमेशा अलग बनाता रहा। उनका रूख हमेशा सकारात्मक राजनीति के प्रति रहता था। उनके सुझाव इतने गंभीर होते थे कि हर किसी का ध्यान खींचते थे। वे राजनीति से एक कदम आगे विकास की दिशा में बढ़ने के लिए सुझाव देते थे। वह एनडीए गठबंधन के सहयोगी ही नहीं, बल्कि उसकी सफलता के मुख्य सूत्रधार थे। वे गठबंधन की राजनीति के अहम किरदार रहे। उनकी कोशिश होती थी कि समाज के वंचित वर्ग को न्याय मिले और उसके अधिकारों का सम्मान किया जाए। रामविलास पासवान ने अपनी समन्वय नीति, सादगी एवं सरलता से राजनीति को एक नया दिशाबोध दिया। वे बिहार की सांस्कृतिक विरासत को जीवंतता देने एवं बिहार की जैन-बौद्ध संस्कृति के लिए अपनी आवाज उठाने और उसके हक में लड़ने वाले विशिष्ट नेताओं में से एक थे। वे लोगों के दिलों पर राज करने वाले राजनेता थे, वे साधारण कार्यकर्ता की तरह कहीं भी रह जाते थे।

उनके दिलो-दिमाग में बिहार एवं वहां की जनता हर समय बसी रहती थी। काश! सत्ता के मद, करप्शन के कद, व अहंकार के जद्द में जकड़े-अकड़े रहने वाले राजनेता उनसे बोधपाठ लें। निराशा, अकर्मण्यता, असफलता और उदासीनता के अंधकार को उन्होंने अपने आत्मविश्वास और जीवन के आशा भरे दीपों से पराजित किया। उनके जीवन की कोशिश रही कि लोग उनके होने को महसूस ना करें बल्कि उन्होंने काम इस तरह किया कि लोग तब याद करें, जब वे उनके बीच में ना हों। इस तरह उन्होंने अपने जीवन को एक नया आयाम दिया और जनता के दिलों पर छाये रहे। उनका व्यक्तित्व एक ऐसा आदर्श राजनीतिक व्यक्तित्व हैं जिन्हें सर्वहारा वर्ग के विकास, संस्कृति, सेवा और सुधारवाद का अक्षय कोश कहा जा सकता है।

ललित गर्ग
ललित गर्ग

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