-15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस पर विशेष-

भारत के लिये अगस्त का महीना अति महत्वपूर्ण माना जाता है। इसी माह में 15 अगस्त स्वाधीनता दिवस के रुप में मनाया जाता है। इसके लिये असंख्य लोगों ने अपने जीवन का त्याग व बलिदान किया था। इन शहीदों के आजादी के प्रति योगदान को अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। भारत की स्वतंत्रता के लिये सुभाष चंद्र बोस, लाल बहादुर शास्त्री, सरदार पटेल, रफीक अहमद, डॉ. राम मनोहर लोहिया जैसे सेनानियों का नाम अमर हो गया। महान नेताओं के इस महान देश में आज भी उनके नाम पर नगर, कस्बे और सड़कें बने हुये है। स्वाधीनता दिवस पर इन्ही नेताओं की कुर्बानियों का स्मरण कर स्वाधीनता संग्राम के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है। इतना बड़ा राष्ट्रीय पर्व जनता का त्यौहार नहीं बन पा रहा है। होली, रक्षाबंधन, दीपावली, क्रिसमस और ईद नहीं बन पा रहा है। दिल्ली सहित प्रदेश की राजधानियों के कार्यक्रम, जिलों के ब्लाक, ग्रामों के कार्यक्रमों में जो लोग भी शामिल होते हैं, उनमें से अधिकतर ऐसे होते हैं जो बस इस इंतजार में रहते हैं कि कब औपचारिकताएं पूरी हों और घर जाकर छुट्टी मनाएं। जिन शहरों और देहातों के लिये दूरदर्शन पुराना हो चला है, वहां के आम लोगों को भी इसे देखने और मनाने में कोई उल्लास नहीं रह गया है। इस दिन सरकारी प्रतिबंध न हों तो बाजार भी खुल जाते और लोग काम धन्धों में भी लगे रहते।

आखिर इस विरोधाभास की कि वजह क्या है? हमारा स्वाधीनता (स्वतंत्रता) दिवस तफरीह के लिये तय किया गया मेला भी नहीं है, जिसके साथ हम भावनात्मक रुप से न जुड़ सकें। इस दिन को पाने के लिये हमने अंग्रेजों से शताधिक वर्षो तक संघर्ष किया है। इस राह में हमारे कितने महापुरुषों ने धर्म जाति से ऊपर उठकर अंग्रेजों की यातनाएं सहीं है, खून बहाया है, जान की कुर्बानियां दी है। वस्तुतः इसका उत्तर खोजने के लिये हमें बहुत दूर नहीं जाना पड़ता, कुछ पीछे जाने पर ही इसके प्रति लोगों की उदासीनता का कारण ज्ञात हो जायेगा। बल्कि यह भी ज्ञात हो जायेगा। जिससे पर्व को नया अर्थ मिल सके।

