हिंदी अत्यंत समृद्ध और जीवंत भाषा है, इसका स्वरूप समावेशी हैं – ताराचंद सारस्वत
हिन्दी समूचे विश्व में लगभग पांच हजार भाषाओं में तीसरे स्थान पर है और देश विदेश में वह अपनी जड़ों को जमा रही है। अगर देश में कोई भाषा अपना सामर्थ्य, कोशिश, व्यवहार व व्यापार की इच्छा रखती है तो वो भाषा हिन्दी है। संस्कृति भवन में राष्ट्र भाषा हिन्दी प्रचार समिति व जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ, उदयपुर के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित हिन्दी दिवस समारोह में समारोह की अध्यक्षता करते हुए प्रख्यात साहित्यकार सूरज सिंह नेगी ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि दुःख की बात यह है कि हिंदी भाषा अपने देश में जिस समान की अधिकारिणी है वो सम्मान प्राप्त नहीं कर पा रही है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विधायक ताराचंद सारस्वत ने कहा कि हिन्दी का सम्मान करना इस देश के हर नागरिक का कर्तव्य है। वर्तमान काल में यह समझा जा रहा है की अगर अंग्रेजी नहीं आती है तो वह पिछड़ा हुआ है। लेकिन यह सोच गलत है। हिंदी और अधिक सुदृढ़ बने, इसमें अध्यापकों की बड़ी भूमिका हो सकती है। विशिष्ट अतिथि संस्कृतिकर्मी व समाजसेवी रतननगर के बसन्त हीरावत ने हिंदी और हिंदुस्तान को एक दूसरे का पर्याय बताते हुए कहा कि हिन्दी देश की एकता व अखंडता के साथ जुड़ी हुई है और इसके माध्यम से ही भारत विश्व गुरु के रूप में उदयमान होगा।
“वैश्विक भाषायी परिदृश्य और हिन्दी” विषय पर बीज भाषण करते हुए युवा आलोचक बृजरतन जोशी ने कहा कि हिन्दी हमें सनातन चेतना से जोड़ती है। भारतीय सांस्कृतिक परिदृश्य को वह अपने भीतर समाये हुए है। उन्होंने कहा कि वैश्विक उन्नति के मूल में भाषा की पूरी-पूरी उपस्थिति रहती है। लेखक प्रफुल्ल प्रभाकर ने कहा कि सरकार को साहित्य अकादमियों पर ध्यान देना चाहिए। रिंकल शर्मा ने कहा कि हिन्दी को अन्य भाषाओं से कोई ऐतराज नहीं है। बशर्ते की वे हिन्दी की सहयोगी बने। संस्था के अध्यक्ष श्याम महर्षि ने कहा कि यह संस्था साहित्यिक क्षेत्र में एक स्कूल की तरह कार्य कर रही है। भाषा और साहित्य के प्रतिबद्ध इस संस्था ने विगत 62 वर्षों में अनेक मानक स्थापित किए हैं। संस्था मंत्री रवि पुरोहित ने संस्था की गतिविधियों से अवगत करवाया और पुरस्कृत रचनाकारों का परिचय साझा किया। कार्यक्रम का संयोजन करते हुए साहित्यकार सत्यदीप ने हिंदी के बढ़ते आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक परिवेश को रेखांकित किया।