अब बनने लगा है गांधी के सपनों का भारत

-गांधी निर्वाण दिवस -30 जनवरी 2025 पर विशेष-

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के निर्वाण दिवस जब हम नये भारत-सशक्त भारत को विकसित होते हुए देखते है तो प्रतीत होता है कि यह गांधी के ही सपनों का भारत बन रहा है। कांग्रेस की पूर्व सरकारों ने गांधी की केवल मूर्तियां स्थापित की, लेकिन भाजपा सरकार अपनी नीतियों में गांधी दर्शन को लागू कर रही है। गांधी के अहिंसा दर्शन को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी न केवल देश में बल्कि दुनिया में स्थापित कर रहे हैं। गांधी की अहिंसा ने भारत को गौरवान्वित किया है, भारत ही नहीं, दुनियाभर में अब उनकी जयन्ती को बड़े पैमाने पर अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जा रहा है।

महात्मा गांधी महानायक के रूप में ही नहीं, देवनायक के रूप में लोकतंत्र के मजबूत आधार एवं संकटमोचक है। संसद से लेकर सड़क तक, कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक और व्यक्ति से लेकर विचार बनने तक जीवन के हर नीति में, हर दृष्टिकोण में, हर मोड़ पर गांधी की व्याप्ति है। भारत का स्वतंत्रता संग्राम हो या फिर नये भारत की सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक परिस्थितियां हमारी हर सोच में, हर क्रियाएं में, हर नीति में गांधी का होना यह दर्शा रहा है कि आज गांधी पूर्व सरकारों की तुलना में ज्यादा जीवंत बने हैं।  

महात्मा गांधी के विचार एवं दर्शन पर ही मोदी सरकार की योजनाएं एवं नीतियां आगे बढ़ रही है। इस बात का खुलासा स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने करते हुए कहा है कि उनके सबका साथ, सबका विकास के विचार की प्रेरणा 1980 के दशक की है। मोदी ने अपने हाथ से लिखे एक नोट्स में इस विचार के बारे में काफी पहले ही लिख दिया था। मोदी द्वारा लिखे गए नोट्स से पता चलता है कि महात्मा गांधी के आदर्शों ने उनके जीवन पर गहरा प्रभाव छोड़ा है, जो केंद्र सरकार की कल्याणकारी योजनाओं में भी स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ता है। जिसमें युवा मोदी ने महात्मा गांधी के विचारों उद्धरत करके लिखा था, मैं सबसे बड़ी संख्या की सबसे बड़ी भलाई के सिद्धांत में विश्वास नहीं करता। यह 51 प्रतिशत की अच्छाई के लिए 49 प्रतिशत की भलाई का त्याग करना है। यह सिद्धांत एक क्रूर सिद्धांत है। इसके माध्यम से मानवता को काफी नुकसान हुआ है। मानवता के लिए एक मात्र सिद्धांत है कि सभी के लिए भलाई के काम में विश्वास करना।’ मोदी सरकार सभी की भलाई के लिये काम करते हुए गांधी दर्शन को ही आगे बढ़ा रही है।

मोदी का स्वच्छता मिशन गांधी की स्वच्छता सोच को ही आगे बढ़ाने का उपक्रम है। राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) भी गांधी के नाम पर चल रही योजना है। भारतीय मुद्रा से लेकर शासन-प्रशासन के हर कार्यस्थल पर गांधी है। हम गांधी के संवाद और सहिष्णुता के सिद्धान्तों को अपनाते हुए युद्ध, आतंकवाद और हिंसा को निस्तेज बना रहे हैं। दलित-आदिवासियों को न्याय और सम्मानपूर्ण जीवन प्रदत्त कर रहे हैं तो भारतीय संस्कृति एवं सांस्कृतिक पुनरुत्थान में जुटे हैं। भारत माता, गौ माता और गंगा माता के सांस्कृतिक एवं धार्मिक चिन्तन को आगे बढ़ाते हुए गांधी की मूल अवधारणा को ही आगे बढ़ते हुए देख रहे हैं। आज गांव, गरीब और स्वराज में गांधी की ही सोच आगे बढ़ रही है कि आज भारत में लोकतंत्र की चाल, चेहरा और चरित्र बदला जा रहा है तथा आस्थाओं की राजनीति को बल देते हुए जाति-धर्म का उन्माद नियंत्रित किया जा रहा है। महात्मा गांधी, आंबेडकर और दीनदयाल उपाध्याय आज इसलिए भारत निर्माण की नई व्याख्याओं में सबसे आगे हैं। वसुधैव कुटुम्बकम एवं सर्वधर्म सद्भाव का विचार आज सर्वाधिक बलशाली बन कर दुनिया के लिये आदर्श बन गया है।

मानव ने ज्ञान-विज्ञान में आश्चर्यजनक प्रगति की है। परन्तु अपने और औरों के जीवन के प्रति सम्मान में कमी आई है। विचार-क्रान्तियां बहुत हुईं, किन्तु आचार-स्तर पर क्रान्तिकारी परिवर्तन कम हुए। शान्ति, अहिंसा और मानवाधिकारों की बातें संसार में बहुत हो रही हैं, किन्तु सम्यक्-आचरण का अभाव अखरता है। गांधीजी ने इन स्थितियों को गहराई से समझा और अहिंसा को अपने जीवन का मूल सूत्र बनाया। यदि अहिंसा, शांति और समता की व्यापक प्रतिष्ठा नहीं होगी तो भौतिक सुख-साधनों का विस्तार होने पर भी मानव शांति की नींद नहीं सोे सकेगा। महात्मा गांधी के सच्चे उत्तराधिकारी के रूप में नरेन्द्र मोदी हमारे सामने हैं, उनके प्रभावी एवं चमत्कारी नेतृत्व में हम अब वास्तविक आजादी का स्वाद चखने लगे हैं, आतंकवाद, जातिवाद, क्षेत्रीयवाद, अलगाववाद की कालिमा धूल गयी है, धर्म, भाषा, वर्ग, वर्ण और दलीय स्वार्थो के राजनीतिक विवादों पर भी नियंत्रण हो रहा है। इन नवनिर्माण के पदचिन्हों को स्थापित करते हुए हम गांधी को जीवंत बनाये हुए है, यही कारण है कि कभी हम स्कूलों में शोचालय की बात सुनते है तो कभी गांधी जयन्ती के अवसर पर स्वयं झाडू लेकर स्वच्छता अभियान का शुभारंभ करते हुए मोदी को देखते हैं। मोदी कभी विदेश की धरती पर हिन्दी में भाषण देकर राष्ट्रभाषा को गौरवान्वित करते है तो कभी “मेक इन इंडिया” का शंखनाद कर देश को न केवल शक्तिशाली बल्कि आत्म-निर्भर बनाने की ओर अग्रसर करते हैं। नई खोजों, दक्षता, कौशल विकास, बौद्धिक संपदा की रक्षा, रक्षा क्षेत्र में स्वदेशी उत्पादन, श्रेष्ठ का निर्माण-ये और ऐसे अनेकों गांधी के सपनों को आकार देकर सचमुच लोकतंत्र एवं राष्ट्रीयता को सुदीर्घ काल के बाद सार्थक अर्थ दिये जा रहे हैं।

हम देशवासियों के लिये अपूर्व प्रसन्नता की बात है कि गांधी की प्रासंगिकता चमत्कारिक ढंग से बढ़ रही है। देश एवं दुनिया उन्हें नए सिरे से खोज रही है। उनको खोजने का अर्थ है अपनी समस्याओं के समाधान खोजना, युद्ध, हिंसा एवं आतंकवाद की बढ़ती समस्या का समाधान खोजना। शायद इसीलिये कई विश्वविद्यालयों में उनके विचारों को पढ़ाया जा रहा है, उन पर शोध हो रहे हैं। आज भी भारत के लोग गांधी के पदचिन्हों पर चलते हुए अहिंसा, शांति, सह-जीवन, स्वदेशी का समर्थन करते हैं। गांधीजी आज संसार के सबसे लोकप्रिय भारतीय बन गये हैं, जिन्हें कोई हैरत से देख रहा है तो कोई कौतुक से। इन स्थितियों के बावजूद उनका विरोध भी जारी है। उनके व्यक्तित्व के कई अनजान और अंधेरे पहलुओं को उजागर करते हुए उन्हें पतित साबित करने के भी लगातार प्रयास होते रहे हैं, लेकिन वे हर बार ज्यादा निखर कर सामने आए हैं, उनके सिद्धान्तों की चमक और भी बढ़ी है।

वैसे यह लम्बे शोध का विषय है कि आज जब हिंसा और शस्त्र की ताकत बढ़ रही है, बड़ी शक्तियां हिंसा को तीक्ष्ण बनाने पर तुली हुई हैं, उस समय अहिंसा की ताकत को भी स्वीकारा जा रहा है। यह बात भी थोड़ी अजीब सी लगती है कि पूंजी केन्द्रित विकास के इस तूफान में एक ऐसा शख्स हमें क्यों महत्वपूर्ण लगता है जो आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था की वकालत करता रहा, जो छोटी पूंजी या लघु उत्पादन प्रणाली की बात करता रहा। सवाल यह भी उठता है कि मनुष्यता के पतन की बड़ी-बड़ी दास्तानों के बीच आदमी के हृदय परिवर्तन के प्रति विश्वास का क्या मतलब है? जब हथियार ही व्यवस्थाओं के नियामक बन गये हों तब अहिंसा की आवाज कितना असर डाल पाएगी? एक वैकल्पिक व्यवस्था और जीवन की तलाश में सक्रिय लोगों को गांधीवाद से ज्यादा मदद मिल रही है।

आज जबकि समूची दुनिया में संघर्ष की स्थितियां बनी हुई हैं, हर कोई विकास की दौड़ में स्वयं को शामिल करने के लिये लड़ने की मुद्रा में है, कहीं सम्प्रदाय के नाम पर तो कहीं जातीयता के नाम पर, कहीं अधिकारों के नाम पर तो कहीं भाषा के नाम पर संघर्ष हो रहे हैं, ऐसे जटिल दौर में भी संघर्षरत लोगों के लिये गांधी का सत्याग्रह ही सबसे माकूल हथियार नजर आ रहा है। पर्यावरणवादी हों या अपने विस्थापन के विरुद्ध लड़ रहे लोग, सबको गांधीजी से ही रोशनी मिल रही है। गांधी की अहिंसा से सहयोग, सहकार, सहकारिता, समता और समन्वय जैसे उत्तम व उपयोगी मानवीय मूल्य जीवन्त हो रहे हैं। समस्त समस्याओं का समाधान भी एक ही है, वह है-अहिंसा। अहिंसा व्यक्ति में ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की विराट भावना का संचार करती है। मनुष्य जाति युद्ध, हिंसा और आतंकवाद के भयंकर दुष्परिणाम भोग चुकी है, भोग रही है और किसी भी तरह के खतरे का भय हमेशा बना हुआ है। मनुष्य, मनुष्यता और दुनिया को बचाने के लिए गांधी से बढ़कर कोई उपाय-आश्रय नहीं हो सकता।

ललित गर्ग
ललित गर्ग
आपका सहयोग ही हमारी शक्ति है! AVK News Services, एक स्वतंत्र और निष्पक्ष समाचार प्लेटफॉर्म है, जो आपको सरकार, समाज, स्वास्थ्य, तकनीक और जनहित से जुड़ी अहम खबरें सही समय पर, सटीक और भरोसेमंद रूप में पहुँचाता है। हमारा लक्ष्य है – जनता तक सच्ची जानकारी पहुँचाना, बिना किसी दबाव या प्रभाव के। लेकिन इस मिशन को जारी रखने के लिए हमें आपके सहयोग की आवश्यकता है। यदि आपको हमारे द्वारा दी जाने वाली खबरें उपयोगी और जनहितकारी लगती हैं, तो कृपया हमें आर्थिक सहयोग देकर हमारे कार्य को मजबूती दें। आपका छोटा सा योगदान भी बड़ी बदलाव की नींव बन सकता है।
Book Showcase

Best Selling Books

The Psychology of Money

By Morgan Housel

₹262

Book 2 Cover

Operation SINDOOR: The Untold Story of India's Deep Strikes Inside Pakistan

By Lt Gen KJS 'Tiny' Dhillon

₹389

Atomic Habits: The life-changing million copy bestseller

By James Clear

₹497

Never Logged Out: How the Internet Created India’s Gen Z

By Ria Chopra

₹418

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Translate »