दिल्ली देश की साहित्यिक संस्था हिंदी की गूँज द्वारा बसंती काव्य संध्या का आयोजन सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। इस कार्यक्रम में देश के विभिन्न कोनों से संस्था के शाखा प्रभारी, परिवारी गण एवं प्रबुद्धजन उपस्थित रहे। कार्यक्रम का शुभारंभ डा. ममता श्रीवास्तव की मधुर आवाज में केदारनाथ अग्रवाल द्वारा रचित वसंत गीत “हवा हूँ हवा मै वसंती हवा ” से हुआ तत्पश्चात् हिंदी की गूंज के संयोजक नरेंद्र सिंह नीहार ने सभी साहित्य मनीषियों का स्वागत करते हुए वसंत काव्य संध्या के उद्देश्य तथा हिंदी की गूंज संस्था के कार्यों के बारे में सभी को बताया। हल्द्वानी शाखा प्रभारी निर्मला जोशी ने वसंत का स्वागत करते हुए”पीत वर्णी आभा लिए आ गया बसंत, बाल वृद्ध युवा सभी को भा गया बसंत”

गीत सुनाया तो वहीं महिपाल सिंह ने “चलेगी जब तेरी यादों की पुरवाई तो क्या होगा “गीत सुना कर माहौल को खुशनुमा बना दिया। हाथरस से जुड़ी मंजू शर्मा ने अपनी कोकिल कंठ से “ऐसा लाग्यो आया बसंत रे वसंत विरज की शोभा लाग्यो न्यारी है” गीत सुनकर सभी का मन मोह लिया तो वही डॉ वर्षा सिंह ने बसंत के दोहे सुनाए। इस अवसर पर नरेंद्र सिंह नीहार द्वारा रचित एवं रानी गुप्ता की स्वर लहरियों में गाए गीत का वीडियो प्रसारित हुआ। अतुल खरे ने “खोज रहा हूं उन शब्दों को जिनसे कोई गीत लिखूं” गीत सुना कर शब्दों के महत्व को बताया तो वहीं नरेंद्र सिंह नीहार ने “तीर नैनों के चले किस ओर से उड़ गया आंचल हवा के जोर से” गीत सुनाकर कार्यक्रम को हास्य से सराबोर कर दिया। कार्यक्रम का कुशल संचालन डॉ. ममता श्रीवास्तव ने किया तथा अपने अध्यक्षीय भाषण में श्याम सुंदर श्रीवास्तव ने सभी की प्रस्तुतियों की प्रशंसा की तथा हिंदी की गूंज द्वारा आयोजित इतने सुंदर कार्यक्रम की प्रशंसा करते हुए संस्था के उज्जवल भविष्य की लिए शुभकामना दी, उन्होंने अपने गीत “भोरे मंडराने लगे मृदु कलियों के पास, लगता है।
सखी आ गया भू तल पर मधुमास” गीत सुनकर बसंत ऋतु के आगमन की घोषणा की। गिरीश चंद्र जोशी, डॉ संजय सिंह तथा संस्था के अन्य सदस्यों ने अपने संदेशों के माध्यम से कार्यक्रम में चार चांद लगाए, लगभग डेढ़ घंटे चले कार्यक्रम मे सभी आनंदित हुए। नरेंद्र सिंह नीहार ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कार्यक्रम के समापन की घोषणा की।

अध्यापिका, लेखिका, मोटिवेशनल स्पीकर