प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने उत्तराखंड के हर्षिल में शीतकालीन पर्यटन कार्यक्रम को संबोधित किया

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने उत्तराखंड के हर्षिल में ट्रेक और बाइक रैली को हरी झंडी दिखाने के बाद शीतकालीन पर्यटन कार्यक्रम में भाग लिया। उन्होंने मुखवा में मां गंगा के शीतकालीन गद्दी स्थल पर पूजा-अर्चना और दर्शन भी किए। उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने माणा गांव में हुई दुखद घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया और दुर्घटना में जान गंवाने वालों के परिवारों के प्रति अपनी संवेदना प्रकट की। उन्होंने कहा कि संकट की इस घड़ी में देश के लोग एकजुटता के साथ खड़े हैं, जिससे प्रभावित परिवारों को काफी ताकत मिली है।

उत्तराखंड की आध्यात्मिक शक्ति और पर्यटन

प्रधानमंत्री ने कहा, “उत्तराखंड की भूमि, जिसे देवभूमि के रूप में जाना जाता है, आध्यात्मिक ऊर्जा से ओतप्रोत है और चार धाम तथा अनगिनत अन्य पवित्र स्थलों से धन्य है।” उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि यह क्षेत्र जीवनदायिनी मां गंगा का शीतकालीन निवास स्थान है। उन्होंने अपनी यात्रा के अवसर को आशीर्वाद बताया और कहा कि मां गंगा की कृपा से ही उन्हें दशकों तक उत्तराखंड की सेवा करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।

उन्होंने यह भी कहा, “मां गंगा के आशीर्वाद ने मुझे काशी तक पहुंचाया, जहां मैं अब सांसद के रूप में कार्य करता हूं।” उन्होंने काशी में दिए अपने वक्‍तव्‍य को याद करते हुए कहा कि मां गंगा ने उन्हें बुलाया है और अब उन्हें अपने रूप में स्वीकार कर लिया है।

स्थानीय संस्कृति और आर्थिक विकास

प्रधानमंत्री ने हर्षिल की धरती पर अपनी यात्रा के बारे में चर्चा करते हुए, स्थानीय महिलाओं यानी “दीदी-भुलिया” द्वारा दिखाए गए स्नेह की मधुर यादों को साझा किया। उन्होंने हर्षिल की राजमा और अन्य स्थानीय उत्पादों पर प्रकाश डाला और उनकी गर्मजोशी, जुड़ाव और उपहारों के लिए अपना आभार व्यक्त किया।

उन्होंने बाबा केदारनाथ की अपनी यात्रा को याद करते हुए कहा था, “यह दशक उत्तराखंड का दशक होगा।” उन्होंने बताया कि बाबा केदारनाथ के आशीर्वाद से यह विजन धीरे-धीरे वास्तविकता बन रहा है। उत्तराखंड की प्रगति के लिए नए रास्ते खुल रहे हैं, जिससे राज्य के विकास की आकांक्षाएं पूरी हो रही हैं। उन्होंने शीतकालीन पर्यटन को आर्थिक क्षमता को दोहन करने में सहायक बताया और उत्तराखंड सरकार को इस अभिनव प्रयास के लिए बधाई दी।

उत्तराखंड में सालभर पर्यटन की संभावनाएं

प्रधानमंत्री ने कहा, “पर्यटन क्षेत्र में विविधता लाना और इसे साल भर चलने वाली गतिविधि बनाना उत्तराखंड के लिए आवश्यक है।” उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में कोई “ऑफ-सीजन” नहीं होना चाहिए और पर्यटन को हर मौसम में फलना-फूलना चाहिए।

वर्तमान स्थिति:

  • मार्च से जून तक पर्यटन चरम पर रहता है।
  • इसके बाद पर्यटकों की संख्या में भारी गिरावट आती है।
  • इस असंतुलन के कारण आर्थिक ठहराव बना रहता है और पर्यावरणीय चुनौतियां उत्पन्न होती हैं।

उन्होंने कहा, “सर्दियों के दौरान उत्तराखंड की यात्रा करने से देवभूमि की दिव्य आभा की सच्ची झलक मिलती है।” उन्होंने ट्रैकिंग, स्कीइंग जैसी गतिविधियों को पर्यटन के लिए महत्वपूर्ण बताया।

नए पर्यटन अवसर और बुनियादी ढांचे का विकास

प्रधानमंत्री ने बताया कि चार धाम ऑल वेदर रोड, एक्सप्रेसवे, रेलवे, हवाई और हेलीकॉप्टर सेवाओं का विस्तार उत्तराखंड को विकसित करने में सहायक होगा। उन्होंने केदारनाथ और हेमकुंड रोपवे परियोजनाओं को मंजूरी देने की घोषणा की, जिससे यात्रा के समय में भारी कमी आएगी और श्रद्धालुओं को सुविधा मिलेगी।

विशेष प्रयास:

  • पहाड़ियों में इको-लॉग हट्स, कन्वेंशन सेंटर, हेलीपैड विकसित किए जाएंगे।
  • माणा और जादुंग गांवों को फिर से बसाने का प्रयास।
  • चार धाम यात्रा में तीर्थयात्रियों की संख्या 18 लाख से बढ़कर 50 लाख हुई।
  • 50 पर्यटन स्थलों के विकास का बजट प्रावधान।
  • होमस्टे योजना के तहत स्थानीय निवासियों को आर्थिक अवसर।

वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम और सीमावर्ती क्षेत्रों का विकास

प्रधानमंत्री ने कहा कि जो गांव पहले “अंतिम गांव” कहे जाते थे, अब उन्हें “प्रथम गांव” कहा जाता है। वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम के तहत 10 गांवों को शामिल किया गया है। नेलोंग और जादुंग गांवों को फिर से बसाने का प्रयास शुरू किया गया है। उन्होंने बाइक रैली को हरी झंडी दिखाए जाने का भी उल्लेख किया।

शीतकालीन पर्यटन को बढ़ावा देने के सुझाव

  1. “घम तपो पर्यटन” – सर्दियों में धूप सेंकने की अवधारणा।
  2. कॉर्पोरेट जगत – उत्तराखंड में बैठकों, सम्मेलनों और प्रदर्शनियों का आयोजन।
  3. योग और आयुर्वेद – राज्य को वेलनेस डेस्टिनेशन बनाना।
  4. शादी पर्यटन – “भारत में शादी” अभियान के तहत सर्दियों में शादियों के लिए उत्तराखंड को प्राथमिकता देना।
  5. फिल्म उद्योग – उत्तराखंड को “सबसे ज्यादा फिल्म-अनुकूल राज्य” बनाने पर जोर।
  6. अंतरराष्ट्रीय अनुभव – शीतकालीन पर्यटन बढ़ाने के लिए अन्य देशों से सीख लेना।
  7. गर्म झरनों का विकास – वेलनेस स्पा में परिवर्तित करना।
  8. शीतकालीन योग शिविर – बर्फ से ढके क्षेत्रों में आयोजन।
  9. वन्यजीव सफारी – सर्दियों में विशेष सफारी की व्यवस्था।
  10. युवा कंटेंट क्रिएटर्स की भूमिका – उत्तराखंड के पर्यटन स्थलों का प्रचार।

प्रधानमंत्री ने पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए कंटेंट क्रिएटर्स को आगे आने का आह्वान किया। उन्होंने राज्य सरकार को लघु फिल्म प्रतियोगिता आयोजित करने का सुझाव दिया, जिससे पर्यटन को और बढ़ावा मिलेगा।

इस कार्यक्रम में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी, केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग राज्य मंत्री श्री अजय टम्टा सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

उत्तराखंड सरकार ने इस साल शीतकालीन पर्यटन कार्यक्रम शुरू किया है, जिसमें हजारों श्रद्धालु पहले ही गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ के शीतकालीन स्थलों की यात्रा कर चुके हैं। इस कार्यक्रम का उद्देश्य धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देना और स्थानीय अर्थव्यवस्था, होमस्टे, पर्यटन व्यवसाय आदि को सशक्त बनाना है।

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