केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने स्टार्टअप्स और जैव विनिर्माण को नई ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाने की घोषणा की है। उन्होंने राज्यों के सहयोग से देशभर में क्षेत्रीय बीआईआरएसी (बायोटेक इंडस्ट्री रिसर्च असिस्टेंस काउंसिल) केंद्रों की स्थापना की योजना का खुलासा किया। यह निर्णय जैव प्रौद्योगिकी विभाग की एक उच्च स्तरीय बैठक में लिया गया, जिसका उद्देश्य देश के विभिन्न हिस्सों में जैव प्रौद्योगिकी क्षमता का विस्तार करना है।

बायोटेक क्षेत्र में राज्यों की भूमिका होगी अहम
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने बायोटेक क्षमता के व्यापक मानचित्रण की आवश्यकता पर जोर दिया और विभाग को बायो ई3 (अर्थव्यवस्था, पर्यावरण एवं रोजगार) प्रकोष्ठों की स्थापना के लिए राज्यों के साथ सहयोग करने का निर्देश दिया। उन्होंने यह भी बताया कि असम, इस दिशा में कदम उठाने वाला पहला राज्य बन गया है।
स्टार्टअप्स के लिए नए अवसर, निवेश को मिलेगा बढ़ावा
डॉ. जितेंद्र सिंह ने बायोमैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में स्टार्टअप्स की अहम भूमिका को रेखांकित करते हुए, नए युग के बायोटेक उद्यमियों को अधिक समर्थन और इनक्यूबेटर सुविधाएं प्रदान करने की बात कही। उन्होंने बायोमैन्युफैक्चरिंग और बायो फाउंड्रीज में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को आकर्षित करने के महत्व को भी उजागर किया, जिससे भारत की बायोटेक क्रांति को वैश्विक स्तर पर मजबूती मिल सके।
अनुसंधान, स्टार्टअप और उद्योग के बीच तालमेल जरूरी
डॉ. जितेंद्र सिंह ने तीन प्रमुख क्षेत्रों—अनुसंधान अवसंरचना, स्टार्टअप और औद्योगिक अनुसंधान एवं विकास के बीच तालमेल को भारत के जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र के भविष्य के लिए आवश्यक बताया। उन्होंने जैव विनिर्माण क्षमताओं से युक्त अत्याधुनिक अनुसंधान एवं विकास सुविधाओं की स्थापना को प्राथमिकता देने के निर्देश दिए, ताकि जैव प्रौद्योगिकी नवाचारों के पायलट परीक्षण, उन्नयन और व्यावसायीकरण को सुगम बनाया जा सके।
केंद्र-राज्य साझेदारी से मिलेगा बायोटेक क्रांति को बल
दिल्ली में आयोजित केंद्र-राज्य भागीदारी शिखर सम्मेलन की याद दिलाते हुए, उन्होंने सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई कि सहयोग, ज्ञान-साझाकरण और तकनीकी सहायता के माध्यम से राज्यों में जैव प्रौद्योगिकी क्रांति को बढ़ावा दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि कई राज्यों ने जैव प्रौद्योगिकी पार्क स्थापित करने में रुचि दिखाई है, जिससे भारत की जैव-अर्थव्यवस्था और अधिक मजबूत होगी।
अंतरिक्ष क्षेत्र की तरह बायोटेक में भी वैश्विक नेतृत्व की तैयारी
डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र की सफलता को दोहराने के लिए जैव प्रौद्योगिकी में उद्योग जगत के अग्रणी लोगों के साथ साझेदारी करने पर बल दिया। उन्होंने विभाग को निर्देश दिया कि वह जैव प्रौद्योगिकी विकास में तेजी लाने के लिए उद्योग जगत के साथ मजबूत संपर्क स्थापित करे और 4पी मॉडल (सार्वजनिक-निजी-लोगों की भागीदारी) के तहत काम करे। इसके अलावा, उन्होंने वैश्विक स्तर पर बीआईआरएसी केंद्रों की स्थापना के प्रस्तावों का भी समर्थन किया।
भारत का जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र वैश्विक मंच पर चमक रहा
डॉ. जितेंद्र सिंह ने गर्व व्यक्त किया कि जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान में भारत दुनिया भर में तीसरे स्थान पर है और इसमें दो-तिहाई शोध पत्र जैव प्रौद्योगिकी विभाग से आते हैं। उन्होंने कहा, “यह भारत के बढ़ते वैश्विक प्रभाव और नेतृत्व को दर्शाता है।”
विकसित भारत @2047: बायोटेक से नया युग
इन रणनीतिक फैसलों के साथ, डॉ. जितेंद्र सिंह ने जैव प्रौद्योगिकी में भारत को विश्व में अग्रणी बनाने की सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराया। उन्होंने कहा कि जैव विनिर्माण, अनुसंधान और नवाचार से देश के आर्थिक और वैज्ञानिक विकास को नई गति मिलेगी, जिससे प्रधानमंत्री के विकसित भारत @2047 के दृष्टिकोण को प्राप्त किया जा सकेगा।
इस समीक्षा बैठक में जैव प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव, ब्रिक के महानिदेशक और बीआईआरएसी के अध्यक्ष डॉ. राजेश एस. गोखले, बीआईआरएसी के प्रबंध निदेशक श्री जितेंद्र कुमार और विभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारी व वैज्ञानिक उपस्थित थे।