प्राण: चाचा चौधरी और हास्य के अमर चित्रकार
नई दिल्ली स्थित इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में विख्यात लेखक डॉ. विनोद शर्मा द्वारा लिखित पुस्तक “आप भी बन सकते हैं चाचा चौधरी” का भव्य विमोचन समारोह संपन्न हुआ। इस पुस्तक का प्रकाशन सुप्रसिद्ध प्रकाशन डायमंड बुक्स ने किया है, जो वर्षों से हिंदी साहित्य और कॉमिक्स के क्षेत्र में विशेष योगदान दे रही है।
इस अवसर पर डायमंड बुक्स के चेयरमैन नरेंद्र कुमार वर्मा ने बताया कि हिन्दी सीखने की ओर लोगों को आकर्षित करने में डायमंड बुक्स का विशेष योगदान रहा है। यह प्रकाशन चाचा चौधरी, चन्द्रकांता और गुलशन नन्दा जैसे लोकप्रिय लेखको का प्रकाशक है, इन लोगो ने ही हिंदी पाठकों को अपनी ओर आकर्षित किया जो हमारे लिए गर्व की बात है। चाचा चौधरी के निर्माण में प्राण साहब की सोच न केवल एक लेखक के रूप में बल्कि एक कलाकार के रूप में भी निहित है। प्राण साहब, जो चाचा चौधरी के रचयिता के रूप में प्रसिद्ध हैं, अपने पात्रों और कहानियों के लिए प्रेरणा अपने आसपास की दुनिया से लिया करते थे। वे एक कवि की तरह जीवन के छोटे-छोटे क्षणों को अपनी कल्पना से जीवंत करते थे। जिस प्रकार एक कवि अपने भावों को कविता में पिरोता है, उसी प्रकार प्राण साहब ने अपने कार्टून के माध्यम से समाज को मनोरंजन और संदेश दोनों प्रदान किए।

चाचा चौधरी के साथ-साथ उन्होंने बिल्लू, पिंकी, रमन, चन्नी चाची जैसे अनेक पात्रों की रचना की, जो हर वर्ग के पाठकों के बीच अत्यंत लोकप्रिय रहे। उनका हास्य केवल हँसाने तक सीमित नहीं था, बल्कि उसमें सामाजिक सरोकार, देशभक्ति और शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण पहलू भी शामिल थे। प्राण साहब की कला इतनी प्रभावशाली थी कि उन्होंने अपनी कॉमिक्स के माध्यम से बच्चों को सोचने और सीखने की दिशा दिखाई।
लेखक डॉ. विनोद शर्मा ने बताया कि यह किताब एक सेल्फ-हेल्प और लर्निंग बुक है — जो पाठकों को और विशेषकर बच्चों को अपने दिमाग को तेज करने, याददाश्त बढ़ाने और तनाव को नियंत्रित करने, सही निर्णय लेने और सफल होने की तकनीकें सिखाती है। इसमें चित्रों के माध्यम से याद करने की विधि, विषयों को टुकड़ों में बांटकर समझने की कला, और रचनात्मकता व कल्पना के ज़रिए पढ़ाई को आसान बनाने के तरीके शामिल हैं। ये सब बातें बच्चों को रोचक ढंग से समझाई गई हैं। यह किताब आज की पीढ़ी को चाचा चौधरी से फिर से जोड़ने का एक प्रयास है — ताकि वे उनकी सोच, आदर्शों और समस्याओं से जूझने की कला को अपने जीवन में अपनाएं। यह किताब हर छात्र, अभिभावक और शिक्षक के लिए उपयोगी है। इसमें एक ऐसा संदेश है जो हर पाठक को यह कहने की प्रेरणा देगा ।
प्राण साहब ने 1980 में ऐसी कॉमिक्स भी बनाई जिसमें चाचा चौधरी अंतरिक्ष यात्रा पर जाते हैं। उनकी प्रसिद्ध राका श्रृंखला ने कॉमिक्स के क्षेत्र में नई ऊँचाइयाँ छूई। इसके लिए उन्हें कई पुरस्कार भी प्राप्त हुए, उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्म श्री से भी सम्मानित किया गया था। उन्हें विदेशों में भी कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। उन्हें अपने काम से इतना लगाव था कि पुरस्कार लेने के लिए भी उन्हें समय निकालना पड़ता था। वह समय के पाबंद और एक नेक इंसान थे। उनके जैसा स्पष्ट व्यक्तित्व और मौजी स्वभाव वाला व्यक्ति शायद ही देखने को मिले।
नरेंद्र कुमार वर्मा ने याद करते हुए बताया कि प्राण साहब का जीवन बेहद अनुकरणीय था। वे अक्सर दिल्ली पुस्तक मेले में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित होते थे और बच्चों के साथ आत्मीयता से मिलते थे। कैंसर जैसी गंभीर बीमारी ने प्राण जी को हमसे छीन लिया, लेकिन उनकी कला आज भी हमारे बीच जीवित है। वो कहा करते थे – “हँसाना सबसे कठिन कार्य है।” और यह बात आज भी प्रासंगिक है क्योंकि जीवन की आपाधापी में हँसी कहीं पीछे छूट गई है। उन्होंने कहा, “जब हर तरफ़ अंधेरा घना लगे, तब भी रौशनी की संभावना बनी रहती है।” ऐसे विचार आज के समय में अत्यंत प्रेरणादायक हैं।

नरेंद्र कुमार वर्मा ने प्राण साहब की प्रिय पंक्तियों को दोहराया –“कौन कहता है खुदा दिखाई नहीं देता,एक वो ही तो दिखता है, जब कोई दिखाई नहीं देता।” उन्होंने यह भी कहा कि यह पुस्तक केवल एक श्रद्धांजलि नहीं, बल्कि प्रेरणा का स्रोत है। प्राण साहब की कला, उनके किरदार और उनका दृष्टिकोण आज भी हमारे लिए सीख का विषय हैं। यह पुस्तक हर उस व्यक्ति के लिए है जो सोचता है, समझता है और सीखना चाहता है कि कैसे जीवन को सरल, विनम्र और रचनात्मक बनाया जा सकता है। साथ ही, सभी साहित्यप्रेमियों से यह आग्रह किया गया कि वे पढ़ने और लिखने की परंपरा को बनाए रखें, क्योंकि यही हमारी सच्ची सांस्कृतिक धरोहर है।