भारत के अंतर्देशीय जल परिवहन क्षेत्र ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (IWAI) ने वित्त वर्ष 2024-25 में 145.5 मिलियन टन माल की रिकॉर्ड-तोड़ ढुलाई दर्ज की है, जो देश में टिकाऊ और किफायती परिवहन प्रणाली को गति देने की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह सफलता सरकार की दूरदर्शी नीतियों और जलमार्गों के बुनियादी ढांचे में निरंतर निवेश का परिणाम है।

बीते दशक में जबरदस्त वृद्धि
2014 में जहां मात्र 18.10 मिलियन मीट्रिक टन (MMT) कार्गो का परिवहन हुआ था, वहीं 2025 तक यह आंकड़ा 145.5 MMT तक पहुँच गया है। 20.86 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) इस क्षेत्र की प्रगति को दर्शाती है। कोयला, लौह अयस्क, रेत और फ्लाई ऐश जैसे उत्पादों ने कुल परिवहन में 68 प्रतिशत से अधिक का योगदान दिया।
साथ ही, यात्रियों की संख्या में भी उछाल देखा गया है – 2023-24 में यह आंकड़ा 1.61 करोड़ को पार कर गया।
जलमार्गों का व्यापक विस्तार
2014 में जहाँ केवल 5 राष्ट्रीय जलमार्ग थे, वहीं 2023-24 तक इनकी संख्या बढ़कर 111 हो गई है। ऑपरेशनल जलमार्गों की लंबाई 2,716 किलोमीटर से बढ़कर 4,894 किलोमीटर हो चुकी है। इन जलमार्गों पर फेयरवे रखरखाव, सामुदायिक जेटी, फ्लोटिंग टर्मिनल, मल्टी-मॉडल टर्मिनल और नेविगेशनल लॉक जैसे कई महत्वपूर्ण कार्य किए गए हैं।
डिजिटल युग की ओर कदम
IWAI ने डिजिटल बदलाव की दिशा में कई कदम उठाए हैं जैसे LADIS, RIS, PANI पोर्टल और MIRS जैसे नवाचार। ये उपाय व्यवसाय करने की प्रक्रिया को सरल बनाते हैं और पारदर्शिता को बढ़ावा देते हैं।
हरित और हाइब्रिड पहल
पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए हाइब्रिड इलेक्ट्रिक कैटामारन और हाइड्रोजन चालित बड़ी नौकाओं की शुरुआत की गई है ताकि प्रदूषण कम किया जा सके और नदी पर्यटन को बढ़ावा मिले।
महत्वाकांक्षी लक्ष्य: 2047 तक 500 MMT
IWAI का लक्ष्य है कि 2030 तक माल ढुलाई का 5% हिस्सा जलमार्गों से हो और कुल कार्गो 200 MMT को पार करे। ‘समुद्री अमृतकाल विज़न 2047’ के तहत यह आंकड़ा 500 MMT से भी ऊपर ले जाने की योजना है।
नीतिगत पहलों का प्रभाव
1. जलवाहक योजना:
दिसंबर 2024 में ₹95.42 करोड़ की इस योजना के तहत कार्गो मालिकों को जलमार्ग से ढुलाई पर 35% लागत प्रतिपूर्ति मिलती है।
2. टन भार कर का विस्तार:
अब यह कर प्रणाली अंतर्देशीय जहाजों पर भी लागू होगी, जिससे कर भार कम होगा।
3. निजी निवेश हेतु नियामक ढांचा:
2025 में नया विनियमन अधिसूचित किया गया है जिससे जेट्टी और टर्मिनल निर्माण के लिए निजी निवेश को बढ़ावा मिलेगा।
4. बंदरगाह एकीकरण:
वाराणसी, साहिबगंज और हल्दिया जैसे टर्मिनलों को कोलकाता बंदरगाह प्राधिकरण के अंतर्गत लाकर संचालन को बेहतर बनाया गया है।
5. डिजिटलीकरण:
जहाजों और चालक दल के लिए केंद्रीकृत पोर्टल तैयार हो रहा है, जिससे पारदर्शिता और योजना में सुधार होगा।
क्षेत्रीय विकास और सहयोग
वाराणसी, साहिबगंज जैसे क्षेत्रों में कार्गो क्लस्टर और लॉजिस्टिक पार्क विकसित किए जा रहे हैं। भारत-बांग्लादेश प्रोटोकॉल के तहत नए मार्गों का परीक्षण भी सफलतापूर्वक किया गया है।
सार्वजनिक क्षेत्र की भागीदारी
सरकारी उपक्रमों को IWT के माध्यम से माल ढुलाई के लिए प्रेरित किया जा रहा है। पेट्रोलियम, कोयला, इस्पात और उर्वरक जैसे मंत्रालयों से सहयोग प्राप्त हो रहा है।
बुनियादी ढांचे में व्यापक कार्य
जलमार्ग-1 से लेकर जलमार्ग-110 तक, देशभर में दर्जनों टर्मिनल, फ्लोटिंग जेटी और लॉजिस्टिक्स केंद्रों का निर्माण हो चुका है या कार्य प्रगति पर है।
भारत का अंतर्देशीय जल परिवहन क्षेत्र अब विकास की नई धारा में बह रहा है। यह न केवल परिवहन को सस्ता और टिकाऊ बनाता है बल्कि क्षेत्रीय समावेशी विकास को भी गति देता है। सरकार के रणनीतिक प्रयासों, तकनीकी नवाचारों और व्यापक निवेश से यह क्षेत्र आने वाले वर्षों में भारत की आर्थिक वृद्धि का प्रमुख स्तंभ बनने की दिशा में अग्रसर है।