मधुमेह को दवा से ही नहीं, संतुलित जीवन से परास्त करें

-विश्व मधुमेह दिवस -14 नवम्बर, 2025-

दुनिया में बढ़ती मधुमेह की भयावहता इसलिये चिन्ताजनक है कि हर तीसरा शहरी वयस्क डायबिटीज से जूझ रहा है। यह बीमारी अनेक अन्य बीमारियों को भी बढ़ाने का बड़ा कारण है। मधुमेह के बढ़ने के कारणों में मुख्यतः खानपान में अनियमितता और शारीरिक निष्क्रियता सबसे बड़ी वजह है। विश्व मधुमेह दिवस हर वर्ष 14 नवम्बर को मनाया जाता है। यह दिन प्रसिद्ध वैज्ञानिक फ्रेडरिक बैंटिंग के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है, जिन्होंने 1922 में इंसुलिन की खोज कर दुनिया को मधुमेह से राहत देने का मार्ग दिखाया। अंतरराष्ट्रीय मधुमेह संघ और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 1991 में इसकी शुरुआत की थी। इस वर्ष का थीम है मधुमेह और समग्र कल्याण। यह थीम इस तथ्य पर केंद्रित है कि मधुमेह का उपचार केवल दवाइयों से नहीं बल्कि संतुलित और स्वस्थ जीवनशैली से संभव है।

मधुमेह आज एक वैश्विक स्वास्थ्य चुनौती बन चुका है। बदलती जीवनशैली, अनियमित भोजन, तनाव, मोटापा और शारीरिक निष्क्रियता इसके प्रमुख कारण हैं। यह बीमारी चुपचाप शरीर को भीतर से खोखला करती है और हृदय, गुर्दे, आंखों और नसों पर गहरा असर डालती है। मधुमेह को नियंत्रित करना केवल चिकित्सा का विषय नहीं, बल्कि यह जीवन जीने की एक कला है। इसके लिए सबसे पहले जीवन में संतुलन एवं सात्विक जीवनशैली की आवश्यकता होती है यानी संतुलित आहार, संतुलित नींद, संतुलित विचार और संतुलित आचरण। जीवन का यह संतुलन ही स्वास्थ्य का मूल मंत्र है। जब हम अपने जीवन को एक अनुशासन में ढालते हैं, तो रोग अपने आप दूर भागते हैं। मधुमेह  आज केवल रोग नहीं, बल्कि समग्र स्वास्थ्य चुनौती  बन चुका है।

मधुमेह को दवा से ही नहीं, संतुलित जीवन से परास्त करें

मधुमेह का प्रबंधन केवल दवा और आहार तक ही सीमित नहीं है; इसमें मानसिक स्वास्थ्य सहायता, तनाव प्रबंधन, जीवनशैली शिक्षा और सामुदायिक जुड़ाव भी शामिल है। इसका लक्ष्य रोगी को मधुमेह की चुनौतियों का सामना करते हुए एक स्वस्थ और संतुलित जीवन जीने के लिए सशक्त बनाना है। समग्र देखभाल, शीघ्र हस्तक्षेप और सहायक वातावरण को बढ़ावा देकर, मधुमेह रोग के बजाय व्यक्ति के उपचार के महत्व पर ज़ोर देना मधुमेह दिवस का उद्देश्य  है। यह दिवस मधुमेह से पीड़ित लोगों के शारीरिक स्वास्थ्य, भावनात्मक संतुलन और जीवन की गुणवत्ता के बीच महत्वपूर्ण संबंध पर प्रकाश डालता है। इस वर्ष का अभियान डॉक्टरों, नीति निर्माताओं और समुदायों से आग्रह करता है कि वे केवल रक्त शर्करा के स्तर से आगे बढ़कर रोगी के संपूर्ण कल्याण पर ध्यान केंद्रित करें।

डायबिटीज जैसी घातक एवं असाध्य बीमारी को नियंत्रित करने के लिये अफवाहों से बचना जरूरी है, इसके लिये बड़ा दिल नहीं, समझदार दिल होना चाहिए। मर्यादित आहार ही, इस बीमारी को रोकने का एक सस्ता और असरदार उपाय हो सकता है। डायबिटीज (मधुमेह) की समस्या भारत समेत पूरे विश्व में तेजी से बढ़ रही है। इसके चलते हमें कई स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। डायबिटीज पहले अमूमन अधेड़ उम्र के लोगों में होती थी, अब यह बच्चों एवं युवकों को भी शिकंजे में ले रही है। भारत में करीब 10 करोड़ लोगों को डायबिटीज है। वहीं विश्व में 44 करोड़ लोग इससे पीड़ित है। भारत में डायबिटीज की प्रचलित दर 11.5 प्रतिशत है, जबकि प्री डायबिटीज के मामलों की दर 15.3 प्रतिशत तक पहुँच गई है , यानी देश का हर 10 मंे से एक व्यक्ति इस बीमारी से प्रभावित है। एक अनुमान के अनुसार 85 करोड़ लोग दुनिया भर में डायबिटीज के मरीज 2050 तक हो जाएंगे।

मधुमेह से बचने और इसे नियंत्रित करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण है नियमित शारीरिक गतिविधि। सुबह-सुबह की सैर, हल्का व्यायाम, दौड़ना या साइकिल चलाना न केवल शरीर को सक्रिय रखता है बल्कि रक्त में ग्लूकोज के स्तर को भी संतुलित करता है। इसके साथ ही योग और ध्यान का अभ्यास मधुमेह के नियंत्रण में अत्यंत प्रभावी माना गया है। योग केवल शरीर को लचीला नहीं बनाता बल्कि मन को शांत करता है और तनाव को कम करता है। प्राणायाम, अनुलोम-विलोम, कपालभाति, भ्रामरी जैसे योग अभ्यास इंसुलिन के स्राव को संतुलित करते हैं और मन को स्थिर बनाते हैं। ध्यान से मन की अस्थिरता और चंचलता कम होती है, जिससे तनाव नियंत्रित रहता है। तनाव और अवसाद मधुमेह के छिपे हुए शत्रु हैं। जब मन तनावग्रस्त होता है तो शरीर में कोर्टिसोल जैसे हार्माेन बढ़ जाते हैं, जो रक्त में शर्करा का स्तर बढ़ाते हैं। इसलिए मन को शांत और प्रसन्न रखना उतना ही आवश्यक है जितना शरीर को स्वस्थ रखना।

मधुमेह के प्रबंधन में भोजन की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। खानपान में शुद्धता और संयम दोनों ही जरूरी हैं। आज के समय में फास्ट फूड, प्रोसेस्ड फूड, तले-भुने और मीठे खाद्य पदार्थों की भरमार ने लोगों के स्वास्थ्य को बिगाड़ दिया है। भोजन में सादा, ताजा और पौष्टिक आहार अपनाना ही सबसे बड़ी दवा है। साबुत अनाज, दालें, हरी सब्जियां, सलाद, फल, अंकुरित अनाज और पर्याप्त मात्रा में पानी-ये सब मिलकर शरीर को ऊर्जा तो देते ही हैं, मधुमेह को भी नियंत्रित रखते हैं। अधिक तला-भुना, मिठाई, नमक, और चाय-कॉफी जैसी चीजें सीमित मात्रा में लेनी चाहिए। समय पर भोजन करना और ओवरईटिंग से बचना भी आवश्यक है। खाना न केवल पेट भरने का माध्यम है बल्कि यह हमारे जीवन की गुणवत्ता को निर्धारित करता है। ‘जैसा अन्न वैसा मन’-यह कहावत मधुमेह के संदर्भ में बिल्कुल सत्य है।

संतुलित जीवनशैली का अर्थ केवल आहार-विहार का नियंत्रण नहीं बल्कि सकारात्मक सोच और अनुशासित दिनचर्या भी है। जो व्यक्ति अपने दिन का एक निश्चित समय योग, ध्यान और आत्मचिंतन में लगाता है, वह न केवल शारीरिक रूप से बल्कि मानसिक रूप से भी स्वस्थ रहता है। तनाव, क्रोध, ईर्ष्या, असंतोष जैसी भावनाएं मन में रासायनिक असंतुलन पैदा करती हैं जो धीरे-धीरे शरीर में रोगों का कारण बनती हैं। अति-विचार से बचना भी जरूरी है। मधुमेह से बचने के लिए इन मानसिक विषों को दूर रखना उतना ही आवश्यक है जितना दवा लेना। अपने मन को हल्का और हृदय को प्रसन्न रखने की कला सीखनी होगी। धार्मिक प्रवृत्तियाँ, सत्संग, संगीत, साहित्य, प्रकृति के निकट समय बिताना, परिवार के साथ हंसी-मजाक करना-ये सब जीवन को संतुलन और आनंद से भर देते हैं।

मधुमेह के रोगियों को नियमित रूप से अपने शुगर स्तर की जांच करनी चाहिए और डॉक्टर की सलाह का पालन करना चाहिए। दवा के साथ-साथ आत्म-निगरानी और जीवनशैली में निरंतर सुधार ही स्थायी स्वास्थ्य का आधार है। छोटी-छोटी बातों में सावधानी बड़ी बीमारियों से रक्षा करती है। शरीर को सक्रिय रखना, मन को शांत रखना और भोजन को संयमित रखना-ये तीन सूत्र मधुमेह नियंत्रण के त्रिदेव हैं। इस वर्ष के विश्व मधुमेह दिवस का संदेश यही है कि केवल दवा नहीं, बल्कि जीवन की दिशा बदलनी होगी। मधुमेह को नियंत्रण में रखने का सबसे कारगर उपाय है-“संतुलित जीवन।” जब मन, शरीर और आत्मा का समन्वय होता है तो स्वास्थ्य अपने आप खिल उठता है। इस 14 नवम्बर को हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि हम अपनी जीवनशैली को अनुशासित, सकारात्मक और स्वास्थ्य-केंद्रित बनाएंगे। नियमित योग और ध्यान करेंगे, भोजन में संयम रखेंगे, तनाव को दूर करेंगे और अपने शरीर को प्रेम से समझेंगे। क्योंकि स्वस्थ शरीर ही जीवन की सबसे बड़ी पूंजी है। मधुमेह जैसी बीमारी हमें भयभीत करने के लिए नहीं आई, बल्कि हमें सजग, अनुशासित और संतुलित जीवन जीने का संदेश देने के लिए आई है। अगर हम यह संदेश समझ जाएं तो मधुमेह भी जीवन के संतुलन की शिक्षक बन जाती है।

ललित गर्ग लेखक, पत्रकार, स्तंभकार
ललित गर्ग लेखक, पत्रकार, स्तंभकार
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