भारत ने स्वच्छ ऊर्जा और सतत परिवहन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए एनआईएसई–टोयोटा फ्यूल सेल वाहन पायलट प्रोजेक्ट का शुभारंभ किया। नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री श्री प्रल्हाद जोशी ने इस परियोजना की औपचारिक शुरुआत करते हुए इसे भारत की स्वच्छ ऊर्जा प्रगति का नया अध्याय बताया। यह परियोजना परिवहन क्षेत्र में हरित हाइड्रोजन के उपयोग के वास्तविक फील्ड ट्रायल को आगे बढ़ाएगी और देश की सतत गतिशीलता नीति को मजबूत करेगी।

श्री जोशी ने कहा कि वैश्विक ऊर्जा परिदृश्य में हरित हाइड्रोजन भविष्य की ऊर्जा प्रणालियों की आधारशिला के रूप में तेजी से उभर रहा है। इस सहयोग के अंतर्गत टोयोटा की मिराई फ्यूल सेल इलेक्ट्रिक व्हीकल को व्यापक परीक्षण के लिए राष्ट्रीय सौर ऊर्जा संस्थान (एनआईएसई) को सौंपा गया है। उन्होंने कहा कि यह साझेदारी नवाचार, उद्योग विशेषज्ञता और वैज्ञानिक विश्लेषण का संयोजन है, जो भारत के ऊर्जा आत्मनिर्भरता अभियान को मजबूती प्रदान करेगा और कम उत्सर्जन वाले परिवहन समाधानों को प्रोत्साहित करेगा। यह कदम भारत की पंचामृत जलवायु प्रतिबद्धताओं के अनुरूप भी है, जिसमें देश ने स्वच्छ ऊर्जा आधारित भविष्य की दिशा में अग्रसर होने का संकल्प लिया है।
टोयोटा की मिराई फ्यूल सेल इलेक्ट्रिक व्हीकल की शुरुआत को सतत गतिशीलता के नए चरण के रूप में रेखांकित करते हुए श्री जोशी ने कहा कि मिराई का जापानी भाषा में अर्थ भविष्य है, और यह वाहन भारत की स्वच्छ, हरित और सतत परिवहन प्रणाली के प्रति आकांक्षा को अभिव्यक्त करता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि फ्यूल सेल वाहनों से केवल जल उत्सर्जित होता है और यह तकनीक वैश्विक स्तर पर कारों, ट्रकों, बसों, ट्रेनों और जहाजों सहित कई क्षेत्रों में ऊर्जा का स्वच्छ विकल्प बनती जा रही है।
भारतीय परिस्थितियों में व्यापक वास्तविक मूल्यांकन
समझौते के अंतर्गत एनआईएसई अगले दो वर्षों में इस वाहन का परीक्षण करेगा। यह परीक्षण भारतीय सड़कों की विविध स्थितियों जैसे अत्यधिक तापमान, धूल, घनी यातायात स्थितियाँ और विभिन्न भू-भागों में किया जाएगा। श्री जोशी ने कहा कि इन परीक्षणों से प्राप्त आंकड़े देशभर में हाइड्रोजन आधारित मोबिलिटी को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण आधार तैयार करेंगे। इसके साथ ही यह पहल उद्योग, शोध संस्थानों और नीति निर्माताओं के बीच जागरूकता बढ़ाने और तकनीकी क्षमता विकसित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

उन्होंने कहा कि हाइड्रोजन वाहन को स्वयं चलाकर संसद पहुंचने का उद्देश्य यह संदेश देना है कि यह तकनीक भारतीय परिस्थितियों के लिए पूरी तरह उपयुक्त है और बड़े पैमाने पर लागू किए जाने के लिए तैयार है। उन्होंने टोयोटा किर्लोस्कर मोटर की कार्बन तटस्थता के प्रति प्रतिबद्धता की प्रशंसा की और एनआईएसई की विशेषज्ञता को सराहा।
राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन को देगा नई गति
नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री श्री श्रीपाद येसो नाइक ने इस पहल को भारत के स्वच्छ, हरित और आत्मनिर्भर ऊर्जा भविष्य की दिशा में निर्णायक कदम बताया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने ऊर्जा परिवर्तन में अभूतपूर्व प्रगति की है, जिसमें राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। उन्होंने यह भी कहा कि मिराई वाहन का वास्तविक परीक्षण हाइड्रोजन आधारित परिवहन प्रणाली के नीति निर्माण से लेकर व्यावसायीकरण तक की यात्रा को गति देगा।
उन्होंने उद्योग, शोध संस्थानों और सरकार के मध्य मजबूत साझेदारी की प्रशंसा की और विश्वास व्यक्त किया कि एनआईएसई द्वारा किया गया मूल्यांकन भविष्य में इस तकनीक के बड़े पैमाने पर विस्तार के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण सिद्ध होगा। यह परियोजना न केवल स्वच्छ परिवहन को बढ़ावा देगी, बल्कि वायु गुणवत्ता सुधार और सतत विकास में भी योगदान देगी।
उद्योग जगत की भूमिका
टोयोटा किर्लोस्कर मोटर के कंट्री हेड और कार्यकारी उपाध्यक्ष श्री विक्रम गुलाटी ने कहा कि यह साझेदारी भारत के हरित हाइड्रोजन मिशन को समर्थन देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा कि हाइड्रोजन फ्यूल सेल तकनीक अन्य सतत परिवहन तकनीकों के साथ मिलकर भारत को नेट-जीरो और ऊर्जा स्वतंत्रता के लक्ष्यों के करीब ले जाएगी। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यह पहल भारतीय गतिशीलता इकोसिस्टम में व्यापक परिवर्तन लाएगी।
इस अवसर पर एमएनआरई के सचिव श्री संतोष कुमार सारंगी, एनआईएसई के महानिदेशक डॉ. मोहम्मद रिहान और राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के मिशन निदेशक श्री अभय बकरे भी उपस्थित थे।
नए संसद भवन तक हाइड्रोजन वाहन की यात्रा
कार्यक्रम के बाद श्री जोशी ने हाइड्रोजन वाहन चलाकर संसद भवन तक पहुँचकर यह प्रदर्शित किया कि यह तकनीक न केवल व्यवहारिक है, बल्कि भारत की ऊर्जा और परिवहन प्रणाली को भविष्य की आवश्यकताओं के अनुरूप ढालने में सक्षम है। उन्होंने कहा कि नया संसद भवन, जो ऊर्जा दक्षता के सिद्धांतों पर आधारित है, हाइड्रोजन मोबिलिटी के प्रदर्शन के लिए सर्वाधिक उपयुक्त स्थान है।