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करते हैं सम्मान तुम्हाराइस लोक छोड़ उस स्वर्गलोक तकबसी है तू हर कण-कण मेंजनमानस के हर कोने में,बातें होती सदा तुम्हारी लंबी-चौड़ीऊँची-ऊँची बंद किताबों के पन्नों जैसीसूरत की मूरत भी गढ़ते अतिश्योक्ति सेपूरी होती हर वक्तव्य और दोहा छंद,क्या सिर्फ़ किताबी बातों से हीं होगीक्या तुम्हारी सुंदर पहचानक्या ख़ामोशी में रह कर भीनहीं मिलेगी तुम्हें असली मुस्कान?कर हर सपने को साकार यहाँतूँ जननी है,भू धरा है,गंगा कीनिर्मल स्वच्छ श्वेत धारा है।अपनी शक्ति को पहचान जरा,सावित्री तू सत्यवान की,सीता तू राम की,पार्वती तू शिव कीहर रूपऔर हर रंग में जीवन केबहरूपी ढंग में,अपनी पहचान न खोने देहर गरिमा को हृदय से ढोने मेंतू अव्वल है ख़ुद मिटकरदूसरों की धड़कन बनकर जीने में,बहुत बुन लिए ताने बानेइक्कीसवीं सदी की आगाज़ हैअब बुलंद कर अपनी आवाज़ बसहर बंधन को तोड़कर,उनमुक्त होकर उड़ ज़रापहचान अपनी छोड़ जराइस नरभक्षी समाज से लड़ जराजो तेरा है उसे अधिकार से हासिल कर,अपनी आवाज़ को और भी बुलंद करहुंकार भर हर नाद में प्रचंड हो,गुमान हो अपने होने का अभिमान हो,तूँ नारी है,स्वाभिमानी है,तू दुर्गा है ,तू काली है,धरती के कण-कण मेंजानी है,पहचानी हैतू नारी है,तू नारी है…….तू नारी है।
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