बस पूरी रफ्तार से दौड़ी चली रही थी, बस के अंदर बैठे मेरे विचारों की रफ्तार…
Category: कहानियां
स्नेहल रिश्तों की कहानी- बुलबुल
सन् 2025 के अप्रैल महीने की बात है, दिन के करीब बारह बज रहे थे। मैं…
पहली कविता: सुरेश सिंह बैस “शाश्वत”
मैं जब सन् 1983 में कक्षा ग्यारहवीं स्कूल लाल बहादुर शास्त्री हायर सेकेंडरी बिलासपुर में पढ़…
अंधेरी स्याह भीगती सर्द रात की वो सुबह….?
पूस की उस घनी अंधेरी स्याह और सर्द रात में मैं टीने के टपरी नुमा शेड…
कहानी: वो मास्टरनी
मैं उसे ‘मास्टरनी’ कहकर ही पुकारता था। वैसे तो वो डिग्री कालेज में प्रोफेसर थी मगर…