परीक्षा पे चर्चा’ निराशा को अवसरों में बदलने की खिड़की

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ‘परीक्षा पे चर्चा’ के दौरान दिया उद्बोधन एवं गुरु मंत्र छात्रों के लिये ऐसा आलोक स्तंभ है जो भविष्य की अजानी राहों एवं परीक्षा के जटिल क्षणों में पांव रखते समय उस आलोक को साथ में रख लिया गया तो उनके मार्ग में कहीं भी अवरोध, तनाव एवं संकट नहीं आ सकेगा। क्योंकि मोदी के ये गुरुमंत्र उनकी समर्थता, सिद्धता, अनुभव एवं साधना से उपजे हैं जो छात्रों के साथ-साथ शिक्षकों और अभिभावकों के लिये भी रामबाण औषधि की तरह है। बोर्ड परीक्षाओं को लेकर छात्रों के अंदर डर और तनाव दोनों होता है, ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बच्चों के भीतर से इस डर और तनाव को समाप्त करने के लिए हर साल ‘परीक्षा पे चर्चा’ कार्यक्रम करते हैं। इस वर्ष भारत मंडपम, आईटीपीओ, नई दिल्ली में हुए इस अनूठे एवं प्रेरक कार्यक्रम में जहां तकरीबन 4,000 छात्रों ने हिस्सा लिया, वहीं लगभग 2.26 करोड़ रजिस्ट्रेशन हुए थे, जो एक रिकार्ड है। यह परीक्षा पर चर्चा का 7वां संस्करण है, जिसमें छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों के साथ प्रधानमंत्री मोदी ने बातचीत करते हुए परीक्षाओं को तनाव का कारण न बनने देने की सीख दी।

इस विलक्षण प्रयोग एवं उपक्रम में छात्रों ने अपनी जिज्ञासाओं के पंख खोले। वे परीक्षा से जुड़े अनेक संदेहों, शंकाओं एवं डर को लेकर यहां आये, लेकिन लौटते समय उन चेहरों पर संतोष की झलक थी। उन्होंने कुछ अद्भुत या मौलिक, समाधानकारी एवं प्रभावी पाया या नहीं, लेकिन जितना पाया वह उनकी उम्मीद से अधिक था। वे ही नहीं, भारत के असंख्य छात्रों एवं परीक्षार्थियों के लिये यह आयोजन नवऊर्जा एवं नयी दिशाओं के उद्घाटन का माध्यम बना है, जहां से छात्रों के जीवन में व्यापक परिवर्तन, उत्साह एवं जिजीविषा की ज्योति प्रज्ज्वलित हुई है। प्रधानमंत्री इस बात को बखूबी समझते है की पढ़ाई और परीक्षा का तनाव छात्रों के लिए अभिशाप है। वे शिक्षा के स्तर को तो सुधार ही रहे है, लेकिन ‘परीक्षा पे चर्चा’ के माध्यम से छात्रों का मनोबल भी बढ़ा रहे हैं ताकि परीक्षा तनावमुक्त हो और मोदी के गुरु मंत्रों का सीधा फायदा छात्रों को मिले। ‘परीक्षा पे चर्चा’ की विशेषता यह है कि इससे जुड़े प्रतिभागी किसी खास वर्ग, क्षेत्र, उम्र, जाति या धर्म के न होकर भारत के सभी राज्यों से लेकर विदेश तक के जूनियर और सीनियर कक्षाओं के विद्यार्थी के साथ-साथ प्रतियोगी परीक्षाओं के अभ्यर्थी होते हैं। प्रधानमंत्री मोदी के संवाद की व्यापकता विद्यार्थियों द्वारा पूछे प्रश्नों के उत्तर में अपनी बात को केवल परीक्षा तक ही सीमित न कर उसे जीवन से जोड़ देती है। विद्यार्थी जीवन में आने वाली अनेक समस्याएं प्रायः किसी न किसी रूप में जीवन के दूसरे पड़ाव में भी जरूर आती हैं।

नरेन्द्र मोदी के शब्दों का जादू और भारत की शिक्षा को ऊंचाई तक ले जाने की तड़प ने एक-एक छात्र एवं शिक्षक को भीतर तक हिला दिया। इस अभिक्रम को देख कुछ लोग तो आश्चर्य में डूब गये क्योंकि मोदी ने शुरूआत में ही कहा कि छात्र पहले से कहीं अधिक नवोन्मेषी हो गए हैं, इसलिये यह कार्यक्रम मेरे लिए भी एक परीक्षा की तरह है। उन्होंने माता पिता से कहा कि आपको किसी बच्चे की तुलना किसी दूसरे से नहीं करनी चाहिए क्योंकि यह उसके भविष्य के लिए हानिकारक हो सकता है। कुछ माता-पिता अपने बच्चे के ‘रिपोर्ट कार्ड’ को अपना ‘विजिटिंग कार्ड’ मानते हैं, यह ठीक नहीं है। अपने संबोधन उन्होंने कहा कि प्रतिस्पर्धा और चुनौतियां जीवन में प्रेरणा का काम करती हैं, लेकिन प्रतिस्पर्धा स्वस्थ होनी चाहिए। इसके लिये उन्होंने प्रेरणा, आत्मविश्वास, एकाग्रता, आशा, उत्साह, समय और तनाव प्रबंधन आदि ऐसे अनेक विषयों पर बोला जो विद्यार्थी से लेकर आम व्यक्ति के जीवन को उजालने के लिये जरूरी है।

‘परीक्षा पे चर्चा’ कार्यक्रम के दौरान मोदी से सवाल हुआ कि छात्रों को प्रेरित करने में शिक्षकों की क्या भूमिका होनी चाहिए और छात्रों को किस तरह से तनावमुक्त रखना चाहिए? मोदी ने कहा कि किसी भी शिक्षक और छात्र के बीच परीक्षा को लेकर सिर्फ नाता नहीं होना चाहिए, अगर ऐसा है तो उसे ठीक करने की जरूरत है। शिक्षक और छात्र का नाता पहले दिन से ही निरंतर प्रगाढ़ता से बढ़ते रहना चाहिए। अगर ऐसा होता है तो परीक्षा के दिनों में तनाव की नौबत ही नहीं आएगी। उन्होंने कहा कि बच्चों के तनाव को कम करने में शिक्षक की अहम भूमिका होती है। इसलिए शिक्षक और छात्रों के बीच हमेशा सकारात्मक रिश्ता रहना चाहिए। शिक्षक का काम सिर्फ जॉब करना नहीं, बल्कि जिंदगी को संवारना है, जिंदगी को सामर्थ्य देना है, यही परिवर्तन लाता है। उन्होंने कहा कि शिक्षक को सिलेबस से आगे बढ़कर छात्रों से संग रिश्ता बनाना चाहिए। इसी से छात्रों के उन्नत, सक्षम, प्रखर एवं चरित्रसम्पन्न जीवन की संभावनाओं का धरातल मजबूत होगा और इसी से वे वर्चस्वी और यशस्वी बनेंगे, उनकी रचनात्मक एवं सृजनात्मक प्रतिभा निखरेगी। संभवतः इसी से सशक्त भारत एवं विकसित भारत का सपना आकार ले सकेगा।

ग्रामीण छात्रों की पसंद विज्ञान एवं तकनीकी विषयों की बजाय आर्ट्स विषय ही होना, शिक्षा के प्रति उपेक्षा एवं शिक्षकों की उदासीनता को ही दर्शा रहा है। समस्या गणित या भाषा नहीं है, ग्रामीण क्षेत्रों की पढ़ाई में यह पिछड़ापन अपने देश के लिए कोई नई बात नहीं। यह चुनौती बड़ी इसलिए है कि नवीन शिक्षा नीति घोषित होने के बावजूद स्कूली पढ़ाई की नियमित प्रक्रिया में इसका इलाज नहीं तलाशा गया है। जाहिर है, विशेष प्रयास करने पड़ेंगे, ग्रामीण एवं पिछडे़ क्षेत्रों में शिक्षा को प्राथमिकता देनी होगी अन्यथा दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी इकॉनमी बनने की राह पर बढ़ रहे देश के लिये यह चुनौती एक अंधेरा ही है। इसके लिये शिक्षकों एवं छात्रों के रिश्ते को नये आकार में ढालने की अपेक्षा है।

भारत जैसे देश में शिक्षा और उसके पढ़ाई के स्तर पर ऐसी कई पेचीदिगियां एवं चुनौतियां हैं। पढ़ाई का स्तर और पढ़ाई के ढंग की वजह का सीधा असर छात्रों के परीक्षा पर पड़ता है। ये भी हकीकत है कि 2014 में केंद्र में मोदी सरकार के आने के बाद से शिक्षा के क्षेत्र में आमूल चूल परिवर्तन की शुरुआत की गयी है, नयी शिक्षा नीति घोषित की गयी है, लेकिन अभी भी शिक्षा में कई क्रांतिकारी परिवर्तन की जरूरत है। भारत में परीक्षा का तनाव इतना घातक है कि इसके तनाव से छात्र ख़ुदकुशी तक कर लेते है। एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक परीक्षा में फेल होने के कारण साल 2014 से साल 2020 के बीच कुल 12,582 छात्रों ने आत्महत्याएं की हैं। आधुनिक शिक्षा के सामने आज अनेक चुनौतियां हैं। जबकि हमारी शारीरिक, मानसिक, भौतिक और आध्यात्मिक शक्तियों तथा क्षमताओं का निरंतर सामंजस्यपूर्ण विकास करके हमारे स्वभाव को परिवर्तित करने का सशक्त माध्यम है। हमने प्राचीन शिक्षा प्रणाली की इन विशेषताओं को भूला दिया है। आजादी के बाद से चली आ रही शिक्षा प्रणाली में शिक्षालय मिशन न होकर व्यवसाय बन गया था। मोदी ‘परीक्षा पे चर्चा’ से शिक्षा के गौरव को स्थापित करने को भी तत्पर है।

‘परीक्षा पे चर्चा’ में अनेक छोटी-छोटी बातों पर भी ध्यान आकर्षित किया गया। जैसे हाथ से लिखने की आदत का कम होना। आईपैड और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों पर समय बिताने के कारण बहुत से छात्रों की कलम से कागज पर लिखने की आदत छूट गई है। दैनिक आधार पर छात्रों को लिखने का अभ्यास करना चाहिए। एक विषय लें और उस पर लिखें, और फिर उसमें खुद ही सुधार करें। यह अभ्यास आपको अपनी गलतियों को सुधारने में मदद करेगा और आपको सही तरीके से रणनीति बनाने में भी मदद करेगा। आज परीक्षा में सबसे बड़ी चुनौती हाथ से लिखना ही है, इसके लिये निरन्तर लिखने का अभ्यास जरूरी है। क्योंकि अगर आपको तैरना आता है तो पानी में जाने से डर नहीं लगता। जो प्रैक्टिस करता है उसे भरोसा होता कि मैं पार कर जाऊंगा। छात्रों एवं परीक्षा के लिये एक स्वतंत्र आयोजन, निश्चित ही दूरगामी सोच का परिणाम है। नरेन्द्र मोदी शिक्षा में नये मूल्यों की स्थापना कर उसे सुन्दर शक्ल देने की बड़ी जिम्मेदारी मानते हुए ही ऐसे आयोजन को महत्व दे रहे हैं। उनको खुद को इसका बेसब्री से इंतजार रहता है। वे परीक्षाओं को मनोरंजक और तनाव मुक्त बनाने से संबंधित नये-नये तरीके प्रस्तुत कर छात्रों की निराशाओं को अवसरों की खिड़की बना कर उससे ताजी हवा का अहसास कराते हैं।

ललित गर्ग
ललित गर्ग
आपका सहयोग ही हमारी शक्ति है! AVK News Services, एक स्वतंत्र और निष्पक्ष समाचार प्लेटफॉर्म है, जो आपको सरकार, समाज, स्वास्थ्य, तकनीक और जनहित से जुड़ी अहम खबरें सही समय पर, सटीक और भरोसेमंद रूप में पहुँचाता है। हमारा लक्ष्य है – जनता तक सच्ची जानकारी पहुँचाना, बिना किसी दबाव या प्रभाव के। लेकिन इस मिशन को जारी रखने के लिए हमें आपके सहयोग की आवश्यकता है। यदि आपको हमारे द्वारा दी जाने वाली खबरें उपयोगी और जनहितकारी लगती हैं, तो कृपया हमें आर्थिक सहयोग देकर हमारे कार्य को मजबूती दें। आपका छोटा सा योगदान भी बड़ी बदलाव की नींव बन सकता है।
Book Showcase

Best Selling Books

The Psychology of Money

By Morgan Housel

₹262

Book 2 Cover

Operation SINDOOR: The Untold Story of India's Deep Strikes Inside Pakistan

By Lt Gen KJS 'Tiny' Dhillon

₹389

Atomic Habits: The life-changing million copy bestseller

By James Clear

₹497

Never Logged Out: How the Internet Created India’s Gen Z

By Ria Chopra

₹418

Translate »