दयालुता मुस्कानों से भरकर ईश्वरतुल्य बनाती है

-विश्व दयालुता दिवस -13 नवम्बर, 2024-

विश्व दयालुता दिवस दुनिया के मानव समुदायों में अच्छे कार्यों को उजागर करने के लिए मनाया जाता है, जिसमें सकारात्मक शक्ति, मानवीय संवेदनाओं और दयालुता के सामान्य जीवन-सूत्र पर ध्यान केंद्रित करते हुए इंसान से इंसान को जोड़ने का उपक्रम किया जाता है। दयालुता मानवीय स्थिति का एक मूलभूत हिस्सा है जो जाति, धर्म, नस्ल, राजनीति, लिंग, भाषा, गरीबी-अमीरी और स्थान के विभाजन को पाटती है। आज दुनिया में प्रेम, करुणा, दया एवं उदारता रूपी संवेदनाओं का स्रोत सूखता जा रहा है। इनमें दया एवं दयालुता ही ऐसा मानवीय मूल्य है जिस पर मानव की मुस्कान छिपी है। दयालुता एक ऐसा भाव है जो न केवल दूसरों के प्रति प्रेम जगाता है बल्कि ईश्वर के करीब भी ले जाता है। मानव जीवन के इस सौन्दर्य एवं खूबसूरत भाव को बल देने के लिये  प्रतिवर्ष 13 नवंबर को विश्व दयालुता दिवस के रूप में मनाया जाता है। सकारात्मक शक्ति और दया की डोर पर आधारित इस अनूठे एवं अलौकिक दिवस पर समाज में अच्छे कामों को उजागर करने के साथ हमें अच्छे, परोपकारी काम करने को प्रेरित किया जाता है।

हिंसा, युद्ध, आतंक, आर्थिक प्रतिस्पर्धा की गलाकाट प्रतियोगिता के दौर में दयालुता ही ऐसा हथियार जो मानव होने के अर्थ को नई ऊंचाई प्रदान करता है। ऐसे कई तरीके हैं जिनसे कोई व्यक्ति अपनी दयालुता प्रदर्शित कर सकता है और दूसरों को भी उसका अनुसरण करने के लिए प्रेरित कर सकता है। यह दिन समाज में अच्छी गतिविधियों, सेवा-परोपकार और दयालुता का भाव रखने वालों का सम्मान करने के लिए मनाया जाता है। दयालुता एक ऐसा भाव है जो हर मनुष्य के अंदर संवेदनशीलता एवं मानवीयता की अलख जगाते हुए हमेशा दयालु एवं परोपकारी कार्य करने, हमेशा लोगों की मदद करने, हमेशा अच्छा करने का मौका देता है। यह दिवस न केवल हमारे अंदर बदलाव लाता है बल्कि हमारे आसपास की दुनिया को भी बदल कर जीने लायक बना देता है।

विश्व दयालुता दिवस की शुरुआत 1998 में वर्ल्ड किंडनेस मूवमेंट संगठन द्वारा की गई थी, जिसकी स्थापना 1997 के टोक्यो सम्मेलन में दुनिया भर के दयालु संगठनों द्वारा की गई थी। साल 2019 में, इस संगठन को स्विस कानून के तहत एक आधिकारिक एनजीओ के रूप में पंजीकृत किया गया था। वर्तमान में वर्ल्ड किंडनेस मूवमेंट में 28 से अधिक राष्ट्र शामिल हैं जिनका किसी भी धर्म या राजनीतिक गतिविधियों से कोई संबद्धता नहीं है। इसे 1998 में विश्व दयालुता आंदोलन, राष्ट्रों की दयालुता वाले गैर सरकारी संगठनों के गठबंधन द्वारा पेश किया गया था। यह कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, नाइजीरिया और संयुक्त अरब अमीरात सहित कई देशों में मनाया जाता है। सिंगापुर ने पहली बार 2009 में यह दिन मनाया। इटली और भारत में भी यह दिन मनाया जाता है। यूके में, इसका नेतृत्व डेविड जेमिली ने किया, जिन्होंने लुईस बर्फिट-डॉन्स के साथ काइंडनेस डे यूके की सह-स्थापना की।

‘हम जैसे भी है, अपने आप में बेहतरीन है और हमारी बेहतरी इसी में है कि हम दुनिया को बेहतर बनाये’- यही भावना आत्मसम्मान और विश्वास जगाएं और अपने गुण-दोषों का आंकलन करें। वास्तव में दया की भावना ही वास्तविक धर्म है। दलाई लामा ने कहा कि “मैं इस आसान धर्म में विश्वास रखता हूं। मन्दिरों की कोई आवश्यकता नहीं, जटिल दर्शनशास्त्र की कोई आवश्यकता नहीं। हमारा मस्तिष्क, हमारा हृदय ही हमारा मन्दिर है, और दयालुता जीवन-दर्शन है।” इस दुनिया में दया से बढ़कर कुछ भी नहीं है। हालांकि यह सच है कि जघन्य अपराधों, आतंकवाद, युद्ध, हिंसा, मिलावट, नारी शोषण एवं उत्पीड़न की गतिविधियों के मामले दिन-ब-दिन बढ़ते जा रहे हैं, लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि दयालुता अभी भी मौजूद है और दुनिया पर राज कर रही है।

किसी ने एक बार कहा था कि ‘दया उन लोगों को आशा दे रही है जो सोचते हैं कि वे इस दुनिया में बिल्कुल अकेले हैं। लेकिन बड़ा प्रश्न है कि हम दयालुता की बात क्यों कर रहे हैं? क्योंकि दयालुता की भावना ही यह परिभाषित करती है कि व्यक्ति अच्छा है या बुरा। एक व्यक्ति में यह गुण अवश्य होना चाहिए क्योंकि दूसरों के साथ व्यवहार करने का यही एकमात्र सही एवं प्रभावी तरीका है, जो सीधा मनुष्य के दिल को छूता है। यदि आप उन लोगों में से हैं जो दयालुता का कोई भी कार्य करने के बाद अच्छा महसूस करते हैं, तो आप समझते हैं कि वास्तव में दयालुता क्या है! 1990 के दशक के मध्य में, लघु दयालुता आंदोलन ने दुनिया भर से प्रतिभागियों को आमंत्रित करने के लिए एक सम्मेलन आयोजित किया और अपने-अपने देशों में शुरू किए गए दयालुता आंदोलनों के बारे में अपनी कहानियाँ साझा कीं। सम्मेलन सफल रहा और दूसरा सम्मेलन 1997 में आयोजित किया गया। इन सम्मेलनों ने विश्व दयालुता आंदोलन को बल मिला।

विश्व दयालुता दिवस मनाने का उद्देश्य लोगों, समाज और समुदाय को अच्छे काम करने और सभी के प्रति दयालु होने के लिए प्रोत्साहित करना है। साथ ही, यह दिन एक अनुस्मारक प्रदान करता है कि दयालुता के गुण में एक साथ रहने और एक दयालु दुनिया बनाने की शक्ति है जहां सभी लोग एक साथ काम कर सकते हैं, समानतापूर्वक एक साथ रह सकते है। इसमें कोई शक नहीं कि इसे समझना आसान नहीं है लेकिन एक छोटा सा कार्य भी बदलाव ला सकता है। आज एक दयालु दुनिया को निर्मित करने की ज्यादा अपेक्षा है, जिसके नागरिकों में समानुभूति हो, सुनने का अच्छा कौशल हो, सामाजिक सहयोग की भावना हो एवं दान करने की प्रवृत्ति हो। उदारता, परोपकार, मदद की वृत्ति, विनम्रता की भावना से दुनिया को अधिक मानवीय बनाय जा सकता है। इसी एक भाव में दुनिया की जटिल समस्याओं के समाधान निहित है, चाहे वह युद्ध हो, हिंसा हो, भूख हो, गरीबी हो, अभाव हो, पीड़ा एवं परेशानी हो।  खलील जिब्रान ने कहा भी है कि दया बर्फ की तरह है, यह जिस चीज को ढक लेती है उसे सुंदर बना देती है।  

विश्व दयालुता दिवस हमें यह विश्वास करने के लिए भी प्रेरित करता है कि दयालुता का एक कार्य हमारे बीच, समाज में और समुदाय में वैश्विक परिवर्तन ला सकता है। यह एक ऐसा गुण है जिसे मिलनसार, उदार और विचारशील होने के रूप में परिभाषित किया गया है। दयालुता से संबंधित शब्द स्नेह, गर्मजोशी, नम्रता, चिंता, देखभाल आदि हैं। दयालु होने के लिए साहस और शक्ति की आवश्यकता होती है। यह एक पारस्परिक कौशल एवं मानवीय संवेदना है। यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, बर्कले में ग्रेटर गुड साइंस सेंटर ने लिखा है कि कैसे दयालुता आपको खुश करती है और खुशी आपको दयालु बनाती है। वे एक अध्ययन के परिणामों का हवाला देते हैं जो दयालुता और खुशी के बीच एक ‘सकारात्मक प्रतिक्रिया पाश’ का सुझाव देते हैं, जिसमें एक दूसरे को प्रोत्साहित करता है।

दयालुता को शारीरिक और भावनात्मक लाभों की समृद्धि से जोड़ता है। दयालु होने से तनाव हार्माेन का स्तर कम होता है और लोग कम उदास, कम अकेले और कुल मिलाकर खुश रहते हैं। कुल मिलाकर ‘खुशी को चुनना’ याद रखें। दयालुता दूसरे की सफलता का जश्न मनाने और जरूरत पड़ने पर किसी जरूरतमंद, अभावग्रस्त एवं पीड़ित व्यक्ति की मदद करने की इच्छा की अभिव्यक्ति का माध्यम है। यह एक अलौकिक मानवीय गुण है जो हमें मुस्कानों से भरकर ताजा एवं ईश्वरतुल्य बना देता है। इसीलिये दयालुता पवित्र आभामंडल के ऊध्वारोहण का संवाहक है। आज जरूरत ऐसे दयालु चरित्रवाल व्यक्तियों की है जो प्रेम, संवेदनशीलता एवं सदाचार की फसल उगा सके। भीड़ में उभरते हुए ऐसे दयालु व्यक्तित्व ही वार्तमानिक समस्याओं का रचनात्मक समाधान देने में सक्षम हो सकते हैं। नये सोच के साथ नये रास्तों पर फिर एक बार उस सफर की शुरुआत करें जिसकी गतिशीलता जीवन-मूल्यों को फौलादी सुरक्षा दे सके।

ललित गर्ग
ललित गर्ग
आपका सहयोग ही हमारी शक्ति है! AVK News Services, एक स्वतंत्र और निष्पक्ष समाचार प्लेटफॉर्म है, जो आपको सरकार, समाज, स्वास्थ्य, तकनीक और जनहित से जुड़ी अहम खबरें सही समय पर, सटीक और भरोसेमंद रूप में पहुँचाता है। हमारा लक्ष्य है – जनता तक सच्ची जानकारी पहुँचाना, बिना किसी दबाव या प्रभाव के। लेकिन इस मिशन को जारी रखने के लिए हमें आपके सहयोग की आवश्यकता है। यदि आपको हमारे द्वारा दी जाने वाली खबरें उपयोगी और जनहितकारी लगती हैं, तो कृपया हमें आर्थिक सहयोग देकर हमारे कार्य को मजबूती दें। आपका छोटा सा योगदान भी बड़ी बदलाव की नींव बन सकता है।
Book Showcase

Best Selling Books

The Psychology of Money

By Morgan Housel

₹262

Book 2 Cover

Operation SINDOOR: The Untold Story of India's Deep Strikes Inside Pakistan

By Lt Gen KJS 'Tiny' Dhillon

₹389

Atomic Habits: The life-changing million copy bestseller

By James Clear

₹497

Never Logged Out: How the Internet Created India’s Gen Z

By Ria Chopra

₹418

Translate »