मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव में भाजपा ने जबरदस्त जीत दर्ज करते हुए समाजवादी पार्टी को करारा झटका दिया। भाजपा के चंद्रभानु पासवान ने सपा प्रत्याशी को 61,000 से अधिक वोटों से हराकर यह सीट अपने नाम की। चुनाव आयोग के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, चंद्रभानु पासवान को 1,46,397 वोट मिले। यह उपचुनाव भाजपा के लिए बेहद अहम था क्योंकि मिल्कीपुर, फैजाबाद लोकसभा सीट का एक प्रमुख विधानसभा क्षेत्र है, जिसे पार्टी ने 2024 के आम चुनावों में चौंकाने वाली हार के रूप में गंवा दिया था।

फैजाबाद, जिसमें अयोध्या भी शामिल है, भाजपा के लिए न केवल राजनीतिक बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी बेहद महत्वपूर्ण क्षेत्र रहा है, खासकर राम मंदिर आंदोलन की पृष्ठभूमि के चलते। 2024 में यहां मिली हार को भाजपा के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक बड़ी असफलता के रूप में देखा गया था। ऐसे में मिल्कीपुर में मिली यह जीत पार्टी के लिए न केवल खोई हुई जमीन वापस पाने का मौका थी, बल्कि अपनी राजनीतिक पकड़ को फिर से मजबूत करने का संदेश भी दे रही है।
इस उपचुनाव में भाजपा और सपा, दोनों के लिए यह चुनाव सिर्फ एक सीट जीतने की लड़ाई नहीं थी, बल्कि यह प्रतिष्ठा, प्रभाव और वर्चस्व की लड़ाई थी। राम जन्मभूमि आंदोलन की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के चलते यह क्षेत्र हमेशा से उत्तर प्रदेश की राजनीति के केंद्र में रहा है।
DMK ने इरोड ईस्ट सीट पर मारी बाजी
तमिलनाडु के इरोड (ईस्ट) विधानसभा उपचुनाव में द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) के उम्मीदवार वीसी चंद्रकुमार ने शानदार जीत दर्ज की। उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी पर 91,558 वोटों से भारी बढ़त बनाकर यह सीट जीत ली। यह उपचुनाव कांग्रेस विधायक ईवीकेएस इलंगोवन के 14 दिसंबर 2024 को हुए निधन के कारण हुआ था।
DMK के लिए इस सीट पर कब्जा बरकरार रखना बेहद महत्वपूर्ण था क्योंकि इससे पार्टी ने तमिलनाडु की राजनीति में अपनी मजबूत पकड़ को और अधिक पुख्ता किया है। वीसी चंद्रकुमार, जो पहले भी विधायक रह चुके हैं, को DMK ने मैदान में उतारा था, जहां उनका मुकाबला नाम तमिझर काच्ची (NTK) की एमके सीतालक्ष्मी से था। यह मुकाबला मुख्य रूप से दो प्रमुख प्रत्याशियों के बीच सिमट गया था, जबकि अन्य 44 प्रत्याशी निर्दलीय थे।
इन चुनावी नतीजों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भाजपा ने उत्तर प्रदेश में अपनी पकड़ फिर से मजबूत कर ली है, जबकि DMK ने तमिलनाडु में अपनी स्थिति को और भी मजबूत किया है।