अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस हर साल 8 मार्च को मनाया जाता है, जो महिलाओं की उपलब्धियों को राष्ट्रीय, जातीय, भाषाई, सांस्कृतिक, आर्थिक और राजनीतिक सीमाओं से परे पहचान देने का अवसर प्रदान करता है। 2025 का विषय है ‘सभी महिलाओं और लड़कियों के लिए: अधिकार, समानता, सशक्तिकरण।’ यह विषय समान अधिकार, शक्ति और अवसर सुनिश्चित करने के लिए एक समावेशी भविष्य की दिशा में काम करने का आह्वान करता है।

बीजिंग घोषणापत्र की 30वीं वर्षगांठ: एक महत्वपूर्ण पड़ाव
2025 बीजिंग घोषणापत्र और कार्रवाई मंच की 30वीं वर्षगांठ है, जो महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों के लिए सबसे प्रगतिशील दस्तावेजों में से एक है। इसने महिला अधिकारों को कानूनी सुरक्षा, सेवाओं की पहुंच, सामाजिक मानदंडों और रूढ़ियों में बदलाव के रूप में मजबूत किया है।
प्रधानमंत्री की विशेष पहल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 3 मार्च 2025 को ‘नमो ऐप ओपन फ़ोरम’ पर महिलाओं को अपनी प्रेरणादायक जीवन यात्रा साझा करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने घोषणा की कि चयनित महिलाएं 8 मार्च को उनके सोशल मीडिया अकाउंट संभालेंगी, जिससे उनकी सफलता की कहानियां व्यापक रूप से फैल सकेंगी।
भारत में महिला सशक्तिकरण की दिशा में सरकारी प्रयास
संवैधानिक और कानूनी सुरक्षा
भारतीय संविधान लैंगिक समानता की गारंटी देता है:
- अनुच्छेद 14: कानून की नजर में समानता सुनिश्चित करता है।
- अनुच्छेद 15: लिंग के आधार पर भेदभाव को प्रतिबंधित करता है।
- अनुच्छेद 51(ए)(ई): महिलाओं की गरिमा को बनाए रखने के लिए नागरिकों को प्रेरित करता है।
- अनुच्छेद 39 और 42: समान वेतन और मातृत्व राहत पर जोर देते हैं।
महिला उत्थान हेतु प्रमुख सरकारी योजनाएँ
1. शिक्षा और कौशल विकास
शिक्षा महिला सशक्तिकरण की कुंजी है:
- बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ: बाल लिंग अनुपात में सुधार और शिक्षा को बढ़ावा।
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020: लैंगिक समानता और समावेशन को प्राथमिकता।
- एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय: आदिवासी लड़कियों के लिए शिक्षा को बढ़ावा।
- विज्ञान ज्योति (2020): लड़कियों के लिए STEM शिक्षा को बढ़ावा।
- प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY): व्यावसायिक प्रशिक्षण।

2. स्वास्थ्य और पोषण
सरकार ने मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य में सुधार के लिए कई पहल की हैं:
- प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (PMMVY): गर्भवती महिलाओं को नकद प्रोत्साहन।
- मातृ मृत्यु दर में गिरावट: 130 (2014-16) से घटकर 97 (2018-20)।
- जल जीवन मिशन: 15.4 करोड़ घरों को पीने योग्य जल उपलब्ध कराया।
- स्वच्छ भारत मिशन: 11.8 करोड़ शौचालयों का निर्माण।
- उज्ज्वला योजना: 10.3 करोड़ से अधिक रसोई गैस कनेक्शन।

3. आर्थिक सशक्तिकरण और वित्तीय समावेशन
- प्रधानमंत्री जन धन योजना: 30.46 करोड़ से अधिक खाते, जिनमें 55% महिलाओं के।
- स्टैंड-अप इंडिया योजना: 84% ऋण महिला उद्यमियों को स्वीकृत।
- मुद्रा योजना: 69% सूक्ष्म ऋण महिलाओं को दिए गए।
- महिला स्वयं सहायता समूह: 10 करोड़ महिलाएं जुड़ीं।
- सशस्त्र बलों में महिलाएं: एनडीए प्रवेश और लड़ाकू भूमिकाओं में भागीदारी।
- नागरिक विमानन: भारत में 15% महिला पायलट, जो वैश्विक औसत 5% से अधिक।

4. डिजिटल और तकनीकी सशक्तिकरण
- PMGDISHA: 60 मिलियन ग्रामीण नागरिकों को डिजिटल साक्षरता।
- आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन: स्वास्थ्य सेवा की पहुंच में वृद्धि।
- सामान्य सेवा केंद्र (CSC): 67,000 महिला उद्यमी डिजिटल सेवाओं से जुड़ीं।
5. सुरक्षा और संरक्षा
महिलाओं की सुरक्षा के लिए कठोर कानून और पहल:
- निर्भया फंड: 11,298 करोड़ रूपए आवंटित।
- वन स्टॉप सेंटर: 802 केंद्र, 10 लाख से अधिक महिलाओं को सहायता।
- फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालय: 750 न्यायालय, 408 विशेष रूप से POCSO मामलों के लिए।
- सुरक्षित शहर परियोजनाएं: 8 शहरों में महिलाओं की सुरक्षा के लिए कार्यान्वित।
- भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023: लैंगिक न्याय को मजबूत किया।
- तीन तलाक प्रतिबंध (2019): तत्काल तलाक को अपराध घोषित।
- पुलिस स्टेशनों में महिला सहायता डेस्क: 14,658 में से 13,743 महिला प्रमुख।
भारत में महिला सशक्तिकरण की दिशा में निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य, आर्थिक और डिजिटल समावेशन में सुधार से महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2025 पर, यह संकल्प लेना आवश्यक है कि हम एक ऐसे समाज का निर्माण करें, जहां महिलाएं न केवल समर्थित हों बल्कि वे राष्ट्र के भविष्य को आकार देने में अग्रणी भूमिका निभाएं।