– सुरेश सिंह बैस

बिलासपुर जिले की सात प्रतिशत आबादी डायबिटीज से ग्रसित है। अब यह बीमारी आदिवासी अंचल में भी तेजी से फैल रही है। इसके बढ़ने की रफ्तार यही रही तो यहाँ दस साल में मरीजों की संख्या दुगुनी हो जाएगी। वर्तमान में जिले की जनसंख्या करीब साढ़े 22 लाख है। इसमें से एक लाख 45 हजार डायबिटीज से ग्रसित हैं। इतने ही लोग प्री डायबिटीक श्रेणी में हैं। यदि ये लोग समय रहते बचाव के जरूरी उपाय नहीं करते तो उन्हें भी मधुमेह हो जाएगा। एक शोध में कहा गया कि भारत की 15.3% आबादी (कम से कम 13.6 करोड़ लोग) प्री-डायबिटीज हैं। यह आंकड़ा पूर्व में डायबिटीज को लेकर लगाए गए अनुमानों से काफी अधिक है, जिसने स्वास्थ्य विशेषज्ञों को चिंता में दिया है।
छत्तीसगढ़ में फैलता डायबिटीज
अब यह बीमारी अछूते क्षेत्रों को भी फैल रही है। राष्ट्रीय आंकड़ों की बात करें तो देश के किसी भी राज्यों या केंद्रशासित प्रदेश में मधुमेह रोगियों की संख्या इस रफ्तार से नहीं बढ़ी है। गत वर्षों में देश में नए चिन्हित किए गए मधुमेह मरीज़ों की संख्या 5 लाख 59 हज़ार 718 थी। फिर इसमें मामूली परिवर्तन हुआ और यह आंकड़ा 5 लाख 74 हज़ार 215 पर जा पहुंचा। अभी तक यह माना जाता रहा है कि मधुमेह यानी डायबिटीज़ खूब खाने पीने और और कम शारीरिक श्रम करने वालों को अपनी चपेट में लेता है। लेकिन छत्तीसगढ़ में आश्चर्यजनक रुप से बेहद ग़रीब और श्रमिक वर्ग मधुमेह का शिकार हो रहा है। ग्रामीण इलाकों में भी मधुमेह तेज़ी से फैल रहा है। छत्तीसगढ़ में देश के कुल डायबिटीज रोगियों का तीन प्रतिशत से अधिक है। आने वाले दिनों में छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में टाइप वन डायबिटीज पेशेंट की संख्या में और अधिक इजाफा हो सकता है। रिसर्च सोसायटी फॉर द स्टडी ऑफ डायबिटीज इन इंडिया (आरएसएसडीआई) छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष डॉ. जवाहर अग्रवाल के मुताबिक हमारे राज्य में टाइप वन डायबिटीज मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है।
टाइप वन मरीजों की संख्या भी अब 12 हजार से अधिक हो चुकी है। इनमें भी 200 से ज्यादा मरीज बच्चे हैं। दरअसल, देश और प्रदेश के विशेषज्ञ डॉक्टरों की संस्था आरएसएसडीआई पूरे देश में डायबिटीज और इससे जुड़े तमाम पहलुओं पर व्यापक रूप से रिसर्च और स्टडी करती है। छत्तीसगढ़ के परिप्रेक्ष्य में की गई रिसर्च और स्टडी में ये बात उभरकर सामने आई हैं।
कोविड के बाद नई तरह का डायबिटीज
कोविड के बाद नई तरह की डायबिटीज के मामले भी डॉ. जवाहर अग्रवाल बताते हैं कि डायबिटीज की बीमारी अलग-अलग लोगों में अलग-अलग तरह से हो सकती है। डायबिटीज स्थायी और अस्थायी दोनों तरह की हो सकती है। इसलिए कोविड के बाद डायबिटीज के स्वरूप में भी बदलाव देखने को मिला है। डॉक्टरों को आशंका है कि यह स्थिति कुपोषण के कारण हो सकती है। इसके अलावा ग्रामीणों में विभिन्न तरह के दबाव के कारण भी मधुमेह की बीमारी फैली है। राज्य के शहरी इलाकों में भी जीवनचर्या के कारण मधुमेह के रोगियों की संख्या बढ़ रही है।
तेजी से बढ़ रही डायबिटीज
डायबिटीज को लेकर खतरा इसलिए बढ़ता जा रहा है क्योंकि ये हर एज ग्रुप के लोग इससे पीड़ित हो रहे हैं। इसमें युवा, महिलाएं, बुजुर्ग सभी शामिल हैं। डायबिटीज के कारण बीपी यानि ब्लड प्रेशर और दिल संबंधी बीमारियां बढ़ जाती हैं। दुनिया का हर चौथा मरीज डायबिटीज से ग्रसित है। इस कारण से डायबिटीज से पीड़ित लोगों का देश और दुनिया में बढ़ता वाकई में चिंता जनक है। डायबिटीज के लक्षण- बार-बार पेशाब आना, नींद पूरी होने के बाद भी थकान महसूस होना, बार-बार भूख लगना, वजन कम होना, आंखों की रोशनी कम होना और धुंधला दिखाई देना, घाव का जल्दी न भरना आदि।
“स्वास्थ्य संबंधी अधिकांश सरकारी योजनाएं गंभीर प्रयासों के अभाव में विफल हो रही हैं। लेकिन अब जिस तेज़ी से ग़रीब और कमज़ोर वर्ग में मधुमेह रोग फैल रहा है, वह चिंताजनक है।”आरंभिक तौर पर जो समझ में आ रहा है, उससे तो यही लगता है कि मधुमेह के फैलाव के पीछे कुपोषण भी एक कारण है। गर्भावस्था में भी ग़रीबी रेखा से नीचे जीवन बसर करने वाली महिलाएं आम तौर पर केवल अनाज और ज़्यादातर चावल ही खाती हैं। इसके कारण शरीर के दूसरे हिस्सों की तरह पेंक्रियाज पर भी स्वाभाविक रूप से असर पड़ता है।” मधुमेह में जिस तरह की सावधानी और महंगे इलाज की ज़रूरत होती है, उसे वहन कर पाना किसी ग़रीब के लिए संभव नहीं है। इसके अलावा ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य को लेकर जागरुकता की भी कमी है। हर एज ग्रुप के लोग चपेट में आ रहे हैं।
– डॉ योगेश जैन
वरिष्ठ चिकित्सक बिलासपुर
क्या है डायबिटीज ?
डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है, जिसमें शरीर में ब शुगर की मात्रा बढ़ जाती है। यह तब होती है जब शरीर पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन हार्मोन नहीं बना पाता या इंसुलिन का अच्छी तरह से इस्तेमाल नहीं कर पाता। इंसुलिन पैंक्रियाज द्वारा बनाया गया एक हार्मोन है जो कार्बोहाइड्रेट के टूटने से बने ग्लूकोज को ऊर्जा के लिए उपयोग करने में मदद करता है।
डायबिटीज से बचने के उपाय
सही लाइफस्टाइल, संतुलित डाइट और नियमित एक्सरसाइज से हम कई बीमारियों के खतरे को कम कर सकते हैं। डायबिटीज आनुवांशिक कारणों से भी होता है। इसलिए कई बार इसे रोकना मुश्किल हो सकता है, लेकिन एहतियात बरतकर हम इसके खतरे को कम कर सकते हैं। रोजाना आधे घंटे चलकर डायबिटीज के खतरे को कम किया जा सकता है। डॉ. अंजना कहती हैं कि जिन राज्यों में डायबिटीज के मामले कम हैं वहां प्री-डायबिटीज के मामले अधिक हैं।
डायबिटीज एंड एंडोक्रिनोलॉजी, सकरा वर्ल्ड हॉस्पिटल, बेंगलुरु के डायरेक्टर डॉ. मंजुनाथ मलिंगे कहते हैं कि देश में डायबिटीज के मामले और तेजी से बढ़ेंगे। वो कहते हैं, ‘डायबिटीज के मामलों में बढ़ोतरी के कई कारण हैं जैसे- अनहेल्दी लाइफस्टाइल, मोटापा और तनाव। आने वाले समय में महिलाओं और पुरुषों दोनों में ही डायबिटीज के मामले तेजी से बढ़ेंगे।
