यह महत्वपूर्ण है कि विचार से प्रोटोटाइप और फिर उत्पाद तक की यात्रा कम से कम समय में पूरी हो: प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज नई दिल्ली के भारत मंडपम में युग्म इनोवेशन सम्मेलन को संबोधित किया। इस अवसर पर उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने सरकारी अधिकारियों, शिक्षाविदों और विज्ञान एवं अनुसंधान पेशेवरों के महत्वपूर्ण समूह पर विशेष रूप से गौर किया और हितधारकों के संगम को “युग्म” करार दिया – एक सहयोग जिसका उद्देश्य विकसित भारत के लिए भविष्य की प्रौद्योगिकियों को आगे बढ़ाना है। प्रधानमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि इस आयोजन के माध्यम से भारत की नवाचार क्षमता और डीप-टेक में इसकी भूमिका को बढ़ाने के प्रयासों को गति मिलेगी। प्रधानमंत्री ने वाधवानी फाउंडेशन, आईआईटी और इन पहलों में शामिल सभी हितधारकों को बधाई दी। उन्होंने निजी और सार्वजनिक क्षेत्रों के बीच सहयोग के माध्यम से देश की शिक्षा प्रणाली में सकारात्मक बदलावों को बढ़ावा देने में उनके समर्पण और सक्रिय भूमिका के लिए श्री रोमेश वाधवानी की विशेष सराहना की।

श्री मोदी ने संस्कृत के धर्मग्रंथों का हवाला देते हुए कहा कि सेवा और निस्वार्थ भाव से सच्चा जीवन जिया जाता है। उन्होंने कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी को भी सेवा के माध्यम के रूप में काम करना चाहिए। उन्होंने वाधवानी फाउंडेशन जैसी संस्थाओं और श्री रोमेश वाधवानी और उनकी टीम के प्रयासों को देखकर संतोष व्यक्त किया, जिन्होंने भारत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी को सही दिशा में आगे बढ़ाया। उन्होंने श्री वाधवानी की उल्लेखनीय यात्रा पर प्रकाश डाला, जिसमें विभाजन के बाद की स्थिति, अपने जन्मस्थान से विस्थापन, बचपन में पोलियो से जूझना और इन चुनौतियों से ऊपर उठकर एक विशाल व्यापारिक साम्राज्य का निर्माण करना शामिल है। श्री मोदी ने श्री वाधवानी की भारत के शिक्षा और अनुसंधान क्षेत्रों को अपनी सफलता समर्पित करने के लिए सराहना की और इसे एक अनुकरणीय कार्य बताया। उन्होंने स्कूल शिक्षा, आंगनवाड़ी प्रौद्योगिकियों और कृषि-तकनीक पहलों में फाउंडेशन के योगदान को स्वीकार किया। उन्होंने वाधवानी इंस्टीट्यूट ऑफ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की स्थापना जैसे कार्यक्रमों में अपनी पिछली भागीदारी का उल्लेख किया और विश्वास व्यक्त किया कि फाउंडेशन भविष्य में अनेक उपलब्धियां हासिल करना जारी रखेगा और वाधवानी फाउंडेशन को उनके प्रयासों के लिए अपनी शुभकामनाएं दीं।

किसी भी राष्ट्र का भविष्य उसके युवाओं पर निर्भर करता है और उन्हें भविष्य के लिए तैयार करने के महत्व पर जोर देते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि इस तैयारी में शिक्षा प्रणाली महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और 21वीं सदी की जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत की शिक्षा प्रणाली को आधुनिक बनाने के प्रयासों पर जोर दिया। उन्होंने वैश्विक शिक्षा मानकों को ध्यान में रखते हुए तैयार की गई नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की शुरूआत पर प्रकाश डाला और भारतीय शिक्षा प्रणाली में इसके द्वारा लाए गए महत्वपूर्ण बदलावों का उल्लेख किया। उन्होंने राष्ट्रीय पाठ्यक्रम की रूपरेखा, शिक्षण सामग्री और कक्षा एक से सात तक के लिए नई पाठ्यपुस्तकें तैयार करने पर टिप्पणी की। उन्होंने पीएम ई-विद्या और दीक्षा प्लेटफार्मों के तहत एआई-आधारित और स्केलेबल डिजिटल शिक्षा बुनियादी ढांचा मंच – ‘एक राष्ट्र, एक डिजिटल शिक्षा अवसंरचना’ तैयार करने पर प्रकाश डाला, जिससे 30 से अधिक भारतीय भाषाओं और सात विदेशी भाषाओं में पाठ्यपुस्तकों की तैयारी संभव हो सकी। प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय क्रेडिट फ्रेमवर्क ने छात्रों के लिए एक साथ विभिन्न विषयों का अध्ययन करना आसान बना दिया है, जिससे आधुनिक शिक्षा मिल रही है और करियर के नए रास्ते खुल रहे हैं। उन्होंने राष्ट्रीय लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए भारत के अनुसंधान इकोसिस्‍टम को मजबूत करने के महत्व पर जोर दिया, जिसमें अनुसंधान एवं विकास पर सकल व्यय को 2013-14 में ₹60,000 करोड़ से दोगुना करके ₹1.25 लाख करोड़ से अधिक करने, अत्याधुनिक अनुसंधान पार्कों की स्थापना और लगभग 6,000 उच्च शिक्षा संस्थानों में अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठों के निर्माण पर प्रकाश डाला। उन्होंने भारत में नवाचार संस्कृति के तेजी से विकास पर टिप्पणी की, जिसमें 2014 में लगभग 40,000 से 80,000 से अधिक पेटेंट दाखिल करने की वृद्धि का हवाला दिया, जो युवाओं को बौद्धिक संपदा इकोसिस्‍टम द्वारा प्रदान किए गए समर्थन को दर्शाता है। प्रधानमंत्री ने अनुसंधान संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए ₹50,000 करोड़ के राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन की स्थापना और वन नेशन, वन सब्सक्रिप्शन पहल पर प्रकाश डाला, जिसने उच्च शिक्षा ग्रहण कर रहे छात्रों की विश्वस्तरीय शोध पत्रिकाओं तक पहुँच आसान कर दी है। उन्होंने प्रधानमंत्री अनुसंधान फैलोशिप पर जोर दिया, जो सुनिश्चित करता है कि प्रतिभाशाली व्यक्तियों को अपने करियर को आगे बढ़ाने में कोई बाधा न आए।

श्री मोदी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि आज के युवा न केवल अनुसंधान और विकास में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रहे हैं, बल्कि वे स्वयं भी मुस्तैद और बैचेन हो गए हैं। उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में अनुसंधान के लिए भारत की युवा पीढ़ी के परिवर्तनकारी योगदान पर जोर दिया। उन्होंने भारतीय रेलवे के सहयोग से आईआईटी मद्रास में विकसित 422 मीटर के दुनिया के सबसे लंबे हाइपरलूप टेस्ट ट्रैक के चालू होने जैसी महत्वपूर्ण उपलब्धि का हवाला दिया। उन्होंने नैनो-स्केल पर प्रकाश को नियंत्रित करने के लिए आईआईएससी बैंगलोर के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित नैनो तकनीक और आणविक फिल्म में 16,000 से अधिक चालन अवस्थाओं में डेटा संग्रहीत और संसाधित करने में सक्षम ‘ब्रेन ऑन ए चिप’ तकनीक जैसी अभूतपूर्व उपलब्धियों पर टिप्पणी की। उन्होंने कुछ सप्ताह पहले ही भारत की पहली स्वदेशी एमआरआई मशीन के विकास पर भी प्रकाश डाला। श्री मोदी ने कहा, “भारत के विश्वविद्यालय परिसर गतिशील केन्द्रों के रूप में उभर रहे हैं, जहां युवाशक्ति महत्वपूर्ण नवाचारों को आगे बढ़ा रही है”, जो उच्च शिक्षा प्रभाव रैंकिंग में दुनिया भर के सूचीबद्ध 2,000 संस्थानों में से 90 से अधिक विश्वविद्यालयों में भारत का प्रतिनिधित्व दर्शाता है। श्री मोदी ने कहा, उन्होंने क्यूएस विश्व रैंकिंग में वृद्धि का उल्लेख किया, जहां भारत में 2014 में नौ संस्थान थे, जो 2025 में बढ़कर 46 हो गए, साथ ही पिछले एक दशक में दुनिया के शीर्ष 500 उच्च शिक्षा संस्थानों में भारतीय संस्थानों का प्रतिनिधित्व भी बढ़ रहा है। उन्होंने विदेशों में परिसर स्थापित करने वाले भारतीय संस्थानों पर भी टिप्पणी की, जैसे कि अबू धाबी में आईआईटी दिल्ली, तंजानिया में आईआईटी मद्रास और दुबई में आगामी आईआईएम अहमदाबाद। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अग्रणी वैश्विक विश्वविद्यालय भी भारत में परिसर खोल रहे हैं, जिससे भारतीय छात्रों के लिए शैक्षणिक आदान-प्रदान, शोध सहयोग और अंतर-सांस्कृतिक सीखने के अवसरों को बढ़ावा मिल रहा है।

प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा, “प्रतिभा, स्वभाव और प्रौद्योगिकी की त्रिमूर्ति भारत के भविष्य को बदल देगी”, उन्होंने अटल टिंकरिंग लैब्स जैसी पहलों पर प्रकाश डाला, जिसमें 10,000 प्रयोगशालाएँ पहले से ही चालू हैं, और इस वर्ष के बजट में बच्चों को शुरुआती अनुभव प्रदान करने के लिए 50,000 और प्रयोगशालाओं की घोषणा की गई है। उन्होंने छात्रों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए पीएम विद्या लक्ष्मी योजना के शुभारंभ और छात्रों के सीखने को वास्तविक दुनिया के अनुभव में बदलने के लिए 7,000 से अधिक संस्थानों में इंटर्नशिप सेल की स्थापना का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि युवाओं में नए कौशल विकसित करने के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है, जिनकी संयुक्त प्रतिभा, स्वभाव और तकनीकी ताकत भारत को सफलता के शिखर पर ले जाएगी।

अगले 25 वर्षों में विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के महत्व पर जोर देते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा, “यह महत्वपूर्ण है कि विचार से प्रोटोटाइप और फिर उत्पाद तक की यात्रा कम से कम समय में पूरी हो”। उन्होंने जोर देकर कहा कि प्रयोगशाला से बाजार तक की दूरी कम करने से लोगों तक शोध के परिणाम तेजी से पहुँचते हैं, शोधकर्ताओं को प्रेरणा मिलती है और उनके काम के लिए ठोस प्रोत्साहन मिलता है। इससे शोध, नवाचार और मूल्य संवर्धन के चक्र में तेजी आती है। प्रधानमंत्री ने एक मजबूत शोध इकोसिस्टम का आह्वान किया और शैक्षणिक संस्थानों, निवेशकों और उद्योग से शोधकर्ताओं का समर्थन और मार्गदर्शन करने का आग्रह किया। उन्होंने युवाओं को सलाह देने, वित्त पोषण प्रदान करने और सहयोगात्मक रूप से नए समाधान विकसित करने में उद्योग के नेताओं की संभावित भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने इन प्रयासों को आगे बढ़ाने के लिए नियमों को सरल बनाने और मंजूरी को तेज़ करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता की फिर से पुष्टि की।

श्री मोदी ने एआई, क्वांटम कंप्यूटिंग, एडवांस्ड एनालिटिक्स, स्पेस टेक, हेल्थ टेक और सिंथेटिक बायोलॉजी को लगातार बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर देते हुए एआई विकास और अपनाने में भारत की अग्रणी स्थिति पर प्रकाश डाला। उन्होंने विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचे, उच्च गुणवत्ता वाले डेटासेट और अनुसंधान सुविधाओं के निर्माण के लिए भारत-एआई मिशन के शुभारंभ का उल्लेख किया। उन्होंने अग्रणी संस्थानों, उद्योगों और स्टार्टअप के समर्थन से विकसित किए जा रहे एआई उत्कृष्टता केन्द्रों की बढ़ती संख्या पर टिप्पणी की। उन्होंने “भारत में एआई बनाएं” के विजन और “भारत के लिए एआई को काम करने लायक बनाएं” के लक्ष्य के प्रति प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने आईआईटी सीट क्षमताओं का विस्तार करने और आईआईटी और एम्स के सहयोग से चिकित्सा और प्रौद्योगिकी शिक्षा को मिलाकर मेडिटेक पाठ्यक्रम शुरू करने के बजटीय निर्णय का भी उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने भविष्य की प्रौद्योगिकियों में भारत को “दुनिया में सर्वश्रेष्ठ” के रूप में स्थान देने पर ध्यान केन्‍द्रित करते हुए इन पहलों को समय पर पूरा करने का आग्रह किया। अपने संबोधन का समापन करते हुए, प्रधानमंत्री ने टिप्पणी की कि शिक्षा मंत्रालय और वाधवानी फाउंडेशन के बीच सहयोग से युग्म जैसी पहल भारत के नवाचार परिदृश्य को पुनर्जीवित कर सकती है। उन्होंने वाधवानी फाउंडेशन के निरंतर प्रयासों के लिए आभार व्यक्त किया तथा इन उद्देश्यों को आगे बढ़ाने में आज के आयोजन के महत्वपूर्ण प्रभाव पर प्रकाश डाला।

इस कार्यक्रम में केन्द्रीय मंत्री श्री धर्मेन्द्र प्रधान, डॉ. जितेन्द्र सिंह, श्री जयंत चौधरी, डॉ. सुकांत मजूमदार समेत अन्य लोग मौजूद थे। सम्मेलन को संबोधित करते हुए, श्री धर्मेन्द्र प्रधान ने विकसित भारत के लक्ष्य को पूरा करने के लिए शिक्षा, उद्योग और नवोन्मेषकों को एक मंच पर लाने के प्रयास के रूप में इसके महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह प्रधानमंत्री के नेतृत्व में भारत की नवाचार क्षमता को बढ़ाने और डीप टेक में देश की भूमिका को मजबूत करने के प्रयासों को और गति देगा।

श्री प्रधान ने बताया कि शिक्षा जगत, उद्योग जगत और नवोन्मेषकों के बीच समन्वय, सहयोग और तालमेल बढ़ाने के लिए 1,400 करोड़ रुपये की नई परियोजनाओं की आधारशिला रखी गई है। उन्होंने कहा कि इसका सबसे बड़ा लाभ नेशनल रिसर्च फाउंडेशन फॉर रिसर्च (एएनआरएफ), आईआईटी, आईआईएससी और देश के युवा नवोन्मेषकों को होगा। उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के विजन को आगे बढ़ाने की दिशा में इस पहल के लिए वाधवानी फाउंडेशन को धन्यवाद दिया।

मंत्री ने अपने विजन और नेतृत्व के माध्यम से देश में अनुसंधान और नवाचार के लिए एक प्रेरक वातावरण बनाने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के प्रति आभार व्यक्त किया, जिससे युवाओं में नया उत्साह पैदा हुआ है। श्री प्रधान ने यह भी बताया कि 2014 से पहले देश के शीर्ष शिक्षण संस्थानों में केवल तीन शोध पार्क थे, जो अब बढ़कर छह हो गए हैं। उन्होंने कहा कि भारत सरकार के सामूहिक प्रयासों से तेरह नए शोध पार्कों की परिकल्पना की गई है। श्री प्रधान ने यह भी बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन अनुसंधान के एक मजबूत स्तंभ के रूप में कार्य कर रहा है। श्री प्रधान ने कहा कि अटल इनोवेशन मिशन के तहत, अटल टिंकरिंग लैब वर्तमान में 10,000 स्कूलों में काम कर रही हैं और उनकी सफलता को देखते हुए 2025-26 के बजट में 50,000 और अटल टिंकरिंग लैब स्थापित करने की मंजूरी दी गई है।

श्री प्रधान ने यह भी बताया कि इसका उद्देश्य देश के युवाओं को देश की आवश्यकताओं और प्राथमिकताओं को केन्द्र में रखते हुए नवाचार में अधिक योगदान देना है। उन्होंने कहा कि संकल्प भारत के भीतर ही संपूर्ण विचार-से-उत्पाद श्रृंखला विकसित करने का है। उन्होंने यह भी उम्मीद जताई कि युग्म सम्मेलन देश के युवाओं के बीच ‘नवाचार की संस्कृति’ को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

डॉ. जितेन्द्र सिंह ने अपने भाषण में इस बात पर जोर दिया कि 21वीं सदी और 2020 का दशक भारत का है। उन्होंने कहा कि केवल तथाकथित विकसित देशों में किए गए प्रयोगों को अपनाने से आगे बढ़कर भारत अब उन अग्रणी देशों में से एक बन गया है जो नवाचार कर रहे हैं और जिनका अनुसरण दुनिया कर रही है। डॉ. जितेन्द्र सिंह ने अपने भाषण में इस बात पर जोर दिया कि 21वीं सदी और 2020 का दशक भारत का है। उन्होंने कहा कि केवल तथाकथित विकसित देशों में किए गए प्रयोगों को अपनाने से आगे बढ़कर भारत अब उन अग्रणी देशों में से एक बन गया है जो नवाचार कर रहे हैं और जिनका अनुसरण दुनिया कर रही है। डॉ. सिंह ने कहा कि भारत की प्रगति विज्ञान और नवाचारों के माध्यम से होगी। उन्होंने यह विश्वास पैदा करने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के प्रति आभार व्यक्त किया कि भारत वैश्विक भूमिका निभा सकता है। डॉ. सिंह ने कहा कि अब एकाकीपन का युग समाप्त हो चुका है और अब एकीकृत रूप से आगे बढ़ने का समय है। 

वाधवानी फाउंडेशन के संस्थापक डॉ. रोमेश वाधवानी ने अपने वर्चुअल संबोधन में शिक्षा जगत, उद्योग और सरकार के बीच सहयोग को बढ़ावा देने में सम्मेलन के महत्व पर जोर दिया, जिससे भारत के लिए नवाचार में वैश्विक नेता के रूप में उभरने का मार्ग प्रशस्त होगा। वाधवानी इनोवेशन नेटवर्क और कार्यक्रम के दौरान आदान-प्रदान किए गए समझौता ज्ञापनों के महत्व पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि ये पहल भारत के लिए एक राष्ट्रीय रोजगार मंच बनाने में योगदान देंगी।

सम्मेलन के दौरान, वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के नेतृत्व में उच्चस्तरीय गोलमेज/पैनल चर्चाएँ आयोजित की गईं, जिसमें उद्योग और शिक्षा जगत के शीर्ष नेता शामिल हुए। सम्मेलन का उद्देश्य भारत के नवाचार इकोसिस्टम में बड़े पैमाने पर निजी निवेश को बढ़ावा देना; अग्रणी तकनीक में अनुसंधान से व्यावसायीकरण पाइपलाइनों में तेजी लाना; शिक्षा-उद्योग-सरकार साझेदारी को मजबूत करना; एएनआरएफ और एआईसीटीई नवाचार जैसी राष्ट्रीय पहलों को आगे बढ़ाना; संस्थानों में नवाचार की पहुँच को लोकतांत्रिक बनाना; और विकसित भारत@2047 की दिशा में राष्ट्रीय नवाचार संरेखण को बढ़ावा देना था।

पृष्ठभूमि

युग्म (संस्कृत में जिसका अर्थ है “संगम”) अपनी तरह का पहला रणनीतिक सम्मेलन है जिसमें सरकार, शिक्षा जगत, उद्योग और नवाचार इकोसिस्‍टम से जुड़े प्रमुख व्यक्ति शामिल होते हैं। यह वाधवानी फाउंडेशन और सरकारी संस्थानों के संयुक्त निवेश के साथ लगभग 1,400 करोड़ रुपये की सहयोगी परियोजना द्वारा संचालित भारत की नवाचार यात्रा में योगदान देगा।

प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर और नवाचार आधारित भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप, सम्मेलन के दौरान कई प्रमुख परियोजनाएं शुरू की जाएंगी। इनमें आईआईटी कानपुर (एआई और इंटेलिजेंट सिस्टम) और आईआईटी बॉम्बे (बायोसाइंसेज, बायोटेक्नोलॉजी, स्वास्थ्य और चिकित्सा) में सुपरहब शामिल हैं; शोध के व्यावसायीकरण को बढ़ावा देने के लिए शीर्ष शोध संस्थानों में वाधवानी इनोवेशन नेटवर्क (डब्ल्यूआईएन) केन्द्र; और अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए अनुसंधान राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (एएनआरएफ) के साथ साझेदारी।

सम्मेलन में उच्च स्तरीय गोलमेज सम्मेलन और पैनल चर्चाएं भी शामिल होंगी, जिनमें सरकारी अधिकारी, उद्योग जगत के शीर्ष नेता और अकादमिक क्षेत्र के लोग शामिल होंगे; शोध को तेजी से प्रभावी बनाने के लिए कार्रवाई-उन्मुख वार्ता; पूरे भारत में अत्याधुनिक नवाचारों को प्रदर्शित करने वाला डीप टेक स्टार्टअप शोकेस; तथा सहयोग और साझेदारी को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न क्षेत्रों में विशेष नेटवर्किंग के अवसर उपलब्ध कराए जाएंगे।

सम्मेलन का उद्देश्य भारत के नवाचार इकोस्टिम में बड़े पैमाने पर निजी निवेश को उत्प्रेरित करना; अग्रणी तकनीक में अनुसंधान से व्यावसायीकरण पाइपलाइनों में तेजी लाना; शिक्षा-उद्योग-सरकार साझेदारी को मजबूत करना; एएनआरएफ और एआईसीटीई नवाचार जैसी राष्ट्रीय पहलों को आगे बढ़ाना; संस्थानों में नवाचार की पहुंच का लोकतंत्रीकरण करना; और विकसित भारत@2047 की दिशा में राष्ट्रीय नवाचार संरेखण को बढ़ावा देना है।

आज आदान-प्रदान किए गए समझौता ज्ञापनों का विवरण:

वाधवानी स्कूल ऑफ एआई एंड इंटेलिजेंट सिस्टम्स: आईआईटी कानपुर के साथ साझेदारी में, कुल 500 करोड़ रुपये के वित्तपोषण के साथ, इसमें एक नया 150K वर्ग फुट एआई और आईएस स्कूल (बी.टेक, एम.टेक, पीएचडी और पोस्टडॉक प्रोग्राम के साथ) स्थापित करना शामिल होगा। साथ ही, एआई, साइबरसिक्यूरिटी, रोबोटिक्स और एआई नीति में उन्नत अनुसंधान केन्द्र और 50 बाहरी केन्द्र और 30 से अधिक संकाय और 150 से अधिक पीएचडी/पोस्टडॉक छात्रों को प्रवेश दिया जाएगा।

वाधवानी हब फॉर बायोसाइंसेज, बायोइंजीनियरिंग, हेल्थ एंड मेडिसिन: आईआईटी बॉम्बे के साथ साझेदारी में, कुल 300 करोड़ रुपये के वित्तपोषण के साथ, इसमें विस्तारित शैक्षणिक कार्यक्रमों के साथ बायोसाइंसेज और हेल्थ-टेक के लिए एक नया 120K वर्ग फुट हब स्थापित करना शामिल होगा। इसमें बायोटेक, स्वास्थ्य प्रणाली, चिकित्सा उपकरण और अनुवाद में अनुसंधान केंद्र और 10 बाहरी केन्द्र होंगे और 40 से अधिक संकाय और 500 से अधिक पीएचडी/पोस्टडॉक छात्रों को प्रवेश दिया जाएगा।

ट्रांसलेशनल रिसर्च के लिए राष्ट्रीय सह-वित्तपोषण ढांचा: एएनआरएफ के साथ साझेदारी में, कुल 200 करोड़ रुपये के वित्तपोषण के साथ, यह उच्च प्रभाव वाली परियोजनाओं को सह-वित्तपोषित करके महत्वपूर्ण क्षेत्रों में देर-चरण रिसर्च ट्रांसलेशन को सक्षम करेगा और कृत्रिम बुद्धिमत्ता, क्वांटम, जैव विज्ञान, स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी, स्मार्ट मोबिलिटी आदि पर ध्यान केन्द्रित करेगा। 

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