बिहार राज्य वित्त पर सीएजी रिपोर्ट 2023-24: एक विस्तृत और समग्र विश्लेषण

भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट वर्ष 2023-24 के लिए बिहार राज्य की वित्तीय स्थिति का गहन मूल्यांकन प्रस्तुत करती है। यह रिपोर्ट संविधान के अनुच्छेद 151 के तहत राज्यपाल को सौंपी गई है, और इसका मुख्य उद्देश्य वित्तीय प्रदर्शन का विश्लेषण कर राज्य विधानमंडल को सुशासन हेतु दिशा-निर्देश देना है। इस लेख में रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्षों, आंकड़ों और पाई गई वित्तीय अनियमितताओं व प्रणालीगत खामियों का समावेश किया गया है।

राज्य प्रोफाइल – बिहार की वित्तीय और सामाजिक पृष्ठभूमि

  • बिहार एक भूमि-बंद राज्य है, जिसकी जनसंख्या 12.86 करोड़ (भारत में दूसरा स्थान) और क्षेत्रफल 94,163 वर्ग किमी है।
  • जनसंख्या घनत्व 1,366 व्यक्ति/वर्ग किमी (राष्ट्रीय औसत से 3 गुना अधिक)।
  • साक्षरता दर: 61.8% (2011), गरीबी दर: 33.74% (राष्ट्रीय औसत 21.92% से अधिक)।
  • प्रति व्यक्ति GSDP: ₹66,828 (पश्चिम बंगाल ₹1,71,184, झारखंड ₹1,15,960, यूपी ₹1,07,468)।
  • 2023-24 में GSDP के अनुसार यह भारत का 13वाँ सबसे बड़ा राज्य है।

आर्थिक प्रदर्शन और GSDP विश्लेषण

  • 2023-24 में GSDP वृद्धि दर 14.47% रही, जो 2020-21 में -2.41% थी।
  • प्रति व्यक्ति GSDP वृद्धि: 12.80% (GDP वृद्धि से अधिक)।
  • सेवा क्षेत्र का GSDP में योगदान: 57.06% — प्राथमिक (24.23%) और द्वितीयक (18.16%) क्षेत्रों से अधिक।
  • केवल प्राथमिक क्षेत्र ने 2023-24 में 10.66% की वृद्धि दर दिखाई।

राजकोषीय प्रदर्शन और राजस्व विश्लेषण

  • राजस्व प्राप्तियां: ₹1,93,347.23 करोड़ (11.96% वृद्धि)
  • राजस्व व्यय: ₹1,90,514.17 करोड़ (3.55% वृद्धि)
  • राजस्व अधिशेष: ₹2,833.06 करोड़ (2018-19 के बाद पहली बार)
  • राजकोषीय घाटा: ₹35,659.88 करोड़ (GSDP का 4.17%) — BFRBM लक्ष्य (3.5%) से अधिक।
  • कुल व्यय: ₹2,29,103.05 करोड़ (5.31% वृद्धि)
  • पूंजीगत व्यय: ₹36,453.02 करोड़ (बजटीय अनुमानों से 24.59% अधिक)

राजकोषीय स्थिरता पर सवाल

  • लेखा परीक्षा के बाद राजस्व अधिशेष घटकर ₹2,154.88 करोड़ और घाटा बढ़कर ₹36,360.38 करोड़ हो गया।
  • बकाया देनदारियाँ: ₹3,32,794.38 करोड़ (GSDP का 38.94%) — 72% वृद्धि (2019-24 में)।
  • वृद्धिशील उधारी: ₹39,433.73 करोड़ — निर्धारित सीमा से अधिक (GSDP का 4.62%)।
  • सब्सिडी व्यय: ₹16,244.61 करोड़ — 81.02% ऊर्जा क्षेत्र को, 9.70% वृद्धि।
  • गारंटी मोचन निधि (GRF) का अभाव: सिफारिशों के बावजूद, राज्य ने ₹28,040.96 करोड़ की बकाया गारंटी पर संभावित देनदारियों को कवर करने के लिए गारंटी मोचन निधि का गठन नहीं किया है।
  • खराब नकद प्रबंधन: राज्य ने ₹36,982.18 करोड़ का भारी भरकम नकद शेष बनाए रखा, जबकि साथ ही महंगे बाजार ऋण भी जुटाए, जो कि अकुशल वित्तीय प्रबंधन का संकेत है।

बजट प्रबंधन में गड़बड़ियाँ और वित्तीय असंगतियाँ

  • बजट व्यय अनुमान: ₹3,26,230.12 करोड़ → वास्तविक व्यय: ₹2,60,718.07 करोड़ → ₹65,512.05 करोड़ की बचत।
  • 13 मामलों में ₹11,042.66 करोड़ का अनुपूरक बजट अनावश्यक साबित हुआ।
  • मार्च में व्यय की भीड़: वित्तीय वर्ष के अंतिम महीने, मार्च 2024 में, कुल व्यय का 15.48% (₹40,353.67 करोड़) खर्च किया गया, जो वित्तीय अनुशासन के उल्लंघन को दर्शाता है।
  • CSS योजनाओं में भारी बचत: केंद्र प्रायोजित योजनाओं (CSS) में ₹31,663.68 करोड़ की बचत हुई, जो कुल बचत का 48.33% है ।

विशिष्ट बजटों की समीक्षा: लैंगिक, बाल और हरित बजट में खामियां

रिपोर्ट में तीन विशिष्ट बजटों का विश्लेषण किया गया, जिसमें योजनाओं के क्रियान्वयन में गंभीर कमियां पाई गईं:

  • लैंगिक बजट: महिलाओं पर 100% केंद्रित ‘श्रेणी A’ की योजनाओं पर वास्तविक व्यय का हिस्सा घटकर केवल 7.75% रह गया । बजट का अधिकांश हिस्सा ‘श्रेणी B’ (न्यूनतम 30% महिला केंद्रित) की योजनाओं पर खर्च किया गया।
  • बाल कल्याण बजट: समग्र शिक्षा अभियान (58.10%) और पीएम पोषण शक्ति निर्माण (57.85%) जैसी प्रमुख योजनाओं में भारी बजट का उपयोग नहीं हुआ, जिससे कुल ₹18,108.29 करोड़ की बचत हुई ।
  • हरित बजट: उच्च प्राथमिकता वाली श्रेणियों (A, B, C) के लिए मूल बजट का 81.49% आवंटित किया गया था, लेकिन वास्तविक व्यय का केवल 27.81% ही इन पर खर्च हुआ । अधिकांश खर्च कम प्राथमिकता वाली योजनाओं पर किया गया।

लेखांकन गुणवत्ता और पारदर्शिता का अभाव

  • समाधान में कमी: राज्य के बही-खातों और RBI द्वारा रिपोर्ट किए गए नकद शेष के बीच ₹746.62 करोड़ का एक महत्वपूर्ण अंतर पाया गया।
  • ऑफ-बजट देनदारियाँ: ₹53.48 करोड़ की उधारी को बजट दस्तावेजों से बाहर रखा गया, जिससे राज्य की वित्तीय स्थिति अपारदर्शी बनी रही।
  • ब्याज देनदारियों का भुगतान न करना: सरकार ने ब्याज-धारक जमा पर ₹144.29 करोड़ की अपनी ब्याज देनदारी का निर्वहन नहीं किया।
  • SNAs को सीधा हस्तांतरण: ₹18,617.17 करोड़ सीधे राज्य कार्यान्वयन एजेंसियों को हस्तांतरित किए गए, जिससे यह राशि राज्य के बजट और खातों से बाहर रही।
  • लंबित उपयोगिता और आकस्मिक बिल:
    • 49,649 उपयोगिता प्रमाणपत्र (₹70,877.61 करोड़) लंबित थे।
    • 22,130 सार आकस्मिक (AC) बिल (₹9,205.76 करोड़) बिना विस्तृत आकस्मिक (DC) बिल के लंबित थे।
  • PD खातों में धन का ठहराव: व्यक्तिगत जमा (PD) खातों में ₹2,180.46 करोड़ बिना उपयोग के पड़े रहे।
  • IGAS मानकों का पालन न करना: गारंटी, अनुदान, और ऋण एवं अग्रिम से संबंधित भारतीय सरकारी लेखा मानकों (IGAS) का पालन नहीं किया गया।
  • स्वायत्त निकायों के खाते लंबित: 53 स्वायत्त निकायों ने अपने वित्तीय विवरण ऑडिट के लिए प्रस्तुत नहीं किए, जिससे वित्तीय पारदर्शिता में बाधा आई।

स्रोत: भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की “State Finance Audit Report – बिहार 2023-24

आपका सहयोग ही हमारी शक्ति है! AVK News Services, एक स्वतंत्र और निष्पक्ष समाचार प्लेटफॉर्म है, जो आपको सरकार, समाज, स्वास्थ्य, तकनीक और जनहित से जुड़ी अहम खबरें सही समय पर, सटीक और भरोसेमंद रूप में पहुँचाता है। हमारा लक्ष्य है – जनता तक सच्ची जानकारी पहुँचाना, बिना किसी दबाव या प्रभाव के। लेकिन इस मिशन को जारी रखने के लिए हमें आपके सहयोग की आवश्यकता है। यदि आपको हमारे द्वारा दी जाने वाली खबरें उपयोगी और जनहितकारी लगती हैं, तो कृपया हमें आर्थिक सहयोग देकर हमारे कार्य को मजबूती दें। आपका छोटा सा योगदान भी बड़ी बदलाव की नींव बन सकता है।
Book Showcase

Best Selling Books

The Psychology of Money

By Morgan Housel

₹262

Book 2 Cover

Operation SINDOOR: The Untold Story of India's Deep Strikes Inside Pakistan

By Lt Gen KJS 'Tiny' Dhillon

₹389

Atomic Habits: The life-changing million copy bestseller

By James Clear

₹497

Never Logged Out: How the Internet Created India’s Gen Z

By Ria Chopra

₹418

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Translate »