केंद्रीय मंत्री श्री भूपेंद्र यादव ने कहा, प्रोजेक्ट लायन की सफलता के पीछे प्रधानमंत्री मोदी का नेतृत्व है

पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने गुजरात सरकार के वन एवं पर्यावरण विभाग के सहयोग से आज गुजरात के देवभूमि द्वारका जिले के बरदा वन्यजीव अभयारण्य में विश्व शेर दिवस – 2025 मनाया। इस समारोह में गुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र पटेल, केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेंद्र यादव, गुजरात के वन मंत्री श्री मुलुभाई बेरा, सांसद, राज्य के विधायक और अन्य जनप्रतिनिधि शामिल हुए।

उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए, केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री, श्री भूपेंद्र यादव ने भारत में शेरों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि पर प्रसन्नता व्यक्त की, जो 2020 में 674 से बढ़कर 891 हो गई है। केंद्रीय मंत्री श्री यादव ने आगे कहा, ‘‘एशियाई शेर (पैंथेरा लियो पर्सिका) सफल वन्यजीव संरक्षण का एक वैश्विक प्रतीक है, और इस विश्व शेर दिवस पर, हम उनकी उल्लेखनीय वृद्धि का जश्न मना रहे हैं। 1990 में केवल 284 शेरों से बढ़कर, 2025 में इनकी संख्या बढ़कर 891 हो गई है – जो 2020 से 32 प्रतिशत और पिछले एक दशक में 70 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि है।’’

इसे ‘‘संरक्षण की आश्चर्यजनक सफलता’’ बताते हुए, मंत्री ने इस उपलब्धि का श्रेय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व को दिया, जिन्होंने पहले गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में और बाद में प्रधानमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट लायन को कार्य का प्राथमिक क्षेत्र बनाया।

केंद्रीय मंत्री श्री यादव ने इस सफलता की कहानी में उनकी भूमिका के लिए प्रत्येक वन अधिकारी, वन्यजीव प्रेमी और पर्यावरण प्रेमी को बधाई दी। उन्होंने कहा, ‘‘यह जानकर खुशी हो रही है कि यह उल्लेखनीय प्रगति सामूहिक इच्छाशक्ति, समर्पण और सह-अस्तित्व पर आधारित नीतियों से ही संभव हो पाई है।’’

मंत्री ने एक ऐसे विकसित भारत के निर्माण के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई, जहां मानव और वन्यजीव एक साथ फल-फूल सकें तथा यह सुनिश्चित हो कि संरक्षण की गति आने वाली पीढ़ियों के लिए भी जारी रहे।

श्री यादव ने यह भी कहा, ‘‘यह अत्यंत राष्ट्रीय गौरव की बात है कि यदि एशियाई शेर आज दुनिया में कहीं मौजूद हैं, तो वह गुजरात के गिर में है। हमारे अथक संरक्षण प्रयासों ने पिछले एक दशक में उनकी आबादी को दोगुना कर दिया है, जिससे वैश्विक वन्यजीव संरक्षण की आशा जगी है। आइए, आज का उद्घाटन सभी को इस भव्य पशु की रक्षा के लिए प्रेरित करे—जो गुजरात की विरासत और भारत की पारिस्थितिक शक्ति का सच्चा प्रतीक है।’’

इस अवसर पर बोलते हुए, मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्र पटेल ने एशियाई शेरों की आबादी के संरक्षण और वृद्धि के लिए गुजरात की प्रतिबद्धता दोहराई और कहा कि राज्य इस प्रतिष्ठित प्रजाति के वैश्विक घर के रूप में कार्य करता रहेगा।

मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी मार्गदर्शन में वैज्ञानिक संरक्षण उपायों और सतत सामुदायिक सहभागिता के माध्यम से वर्तमान वर्षों में गुजरात में शेरों की आबादी 674 से बढ़कर 891 हो गई है।

श्री भूपेंद्र पटेल ने कहा कि 180 करोड़ रुपये की लागत से नए आवासों, उन्नत पशु चिकित्सा सुविधाओं और इको-टूरिज्म अवसंरचना का उद्घाटन राज्य में शेर संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। उन्होंने कहा कि 143 वर्षों के बाद, शेर बरदा क्षेत्र में वापस लौट आए हैं – जिससे पारिस्थितिक संतुलन बहाल हुआ है और राज्य की प्राकृतिक विरासत में वृद्धि हुई है।

उन्होंने इस बात पर बल दिया कि गुजरात सक्रिय आवास प्रबंधन, मानव-वन्यजीव संघर्ष शमन और स्थानीय समुदायों के लिए आजीविका के अवसरों के मामले में अग्रणी बना रहेगा, तथा यह सुनिश्चित करेगा कि ‘‘एशियाई शेर की दहाड़ गुजरात का गौरव और भारत की विरासत बनी रहे।’’

मुख्यमंत्री ने इन उपलब्धियों को हासिल करने में वन विभाग, स्थानीय समुदायों और संरक्षण भागीदारों की भूमिका पर खुशी जताई।

विश्व शेर दिवस, जो प्रतिवर्ष 10 अगस्त को मनाया जाता है का लक्ष्‍य दुनिया भर में शेरों के संरक्षण और सुरक्षा के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। गुजरात में, एशियाई शेर एक अद्वितीय पारिस्थितिक और सांस्कृतिक धरोहर है, जो केवल सौराष्ट्र क्षेत्र में पाया जाता है। प्रोजेक्ट लायन के तहत मंत्रालय और राज्य के निरंतर प्रयासों और गुजरात सरकार के नेतृत्व में इस प्रतिष्ठित प्रजाति के अस्तित्व और विकास को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है।

15 अगस्त, 2020 को लाल किले से 74वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर अपने संबोधन में, प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने एशियाई शेरों के दीर्घकालिक संरक्षण को सुनिश्चित करने के लिए प्रोजेक्ट लायन की घोषणा की। भारत सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने शेरों के संरक्षण हेतु 2,927.71 करोड़ रुपये के कुल बजट वाली 10 वर्षीय परियोजना को स्‍वीकृति दी है। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने वन्यजीव स्वास्थ्य सेवा के लिए एक राष्ट्रीय रेफरल केंद्र को मंज़ूरी दी है, जिसके लिए राज्य सरकार ने जूनागढ़ जिले के न्यू पिपलिया में 20.24 हेक्टेयर भूमि आवंटित की है। यह परियोजना वर्तमान में प्रगति पर है।

‘जंगल के राजा’ एशियाई शेर के संरक्षण और सुरक्षा के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए गुजरात के सौराष्ट्र के 11 जिलों में ‘विश्व शेर दिवस’ का भव्य आयोजन भी किया गया। ये राजसी जानवर सौराष्ट्र के 11 जिलों में लगभग 35,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में अपने प्राकृतिक आवास में स्वतंत्र रूप से विचरण करते हैं। गुजरात में शेरों की आबादी 2020 से 32 प्रतिशत  बढ़ी है, जो मई 2025 के शेरों की आबादी के अनुमान के अनुसार 2020 में 674 से बढ़कर 891 हो गई है।

बरदा वन्यजीव अभयारण्य पोरबंदर और देवभूमि द्वारका जिलों में 192.31 वर्ग किलोमीटर में फैला है। बरदा एशियाई शेरों के दूसरे घर के रूप में उभर रहा है। 2023 में इस क्षेत्र में शेरों के प्राकृतिक प्रवास के बाद, शेरों की संख्या बढ़कर 17 हो गई है, जिनमें 6 वयस्क और 11 शावक सम्मिलित हैं। यह अभयारण्य एक महत्वपूर्ण जैव विविधता हॉटस्पॉट और एशियाई शेरों के संरक्षण का एक प्रमुख क्षेत्र है। द्वारका-पोरबंदर-सोमनाथ पर्यटन सर्किट के पास होने के कारण, बरदा क्षेत्र में पर्यटन की बहुत संभावनाएं हैं। लगभग 248 हेक्टेयर क्षेत्र में एक सफारी पार्क बनाने की योजना है, जिसके लिए राज्य सरकार द्वारा भूमि आवंटित की गई है। इस कार्यक्रम में लगभग 180.00 करोड़ रुपये की लागत के वन्यजीव संरक्षण कार्यों का भी शुभारंभ किया जाएगा।

भारत सरकार ने बर्दा सफारी पार्क और चिड़ियाघर के विकास के लिए भी सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है, जिससे क्षेत्र में पर्यावरण पर्यटन को मजबूती मिलेगी और साथ ही बर्दा परिदृश्य में शेर संरक्षण प्रयासों को भी महत्वपूर्ण बढ़ावा मिलेगा।

इस कार्यक्रम में उपग्रह संचार के माध्यम से ग्रेटर गिर सिंह परिदृश्य के 11 जिलों के स्कूलों और कॉलेजों के लाखों छात्र भी शामिल हुए। 2024 में विश्व सिंह दिवस पर आयोजित इस कार्यक्रम में 18.63 लाख छात्र शामिल हुए।

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