20 अगस्त सद्भावना दिवस पर विशेष-
हमारा देश जनसंख्या और भाषा की दृष्टि से विशाल राष्ट्र है। हमारे यह जितना भाषा बोली जाती है, उतनी विश्व के किसी भी अन्य देश में नहीं बोली जाती । इस विभिन्नता के रहते हुए भी यहां राष्ट्रीय सौहार्दता है सद्भावना है। इस देश को राष्ट्रीय एकता में बांधने के अनेक कारण है। जिसमें अनेकता में एकता दिखाई पड़ी है। भले ही इस देश में हिंदु मुस्लिम्, ईसाई, जैन, बौद्ध, पारसी सिख धर्म के लोग निवास करते हैं, पर यहां की धार्मिक भावना, आदर्श, संगीत और सांस्कृतिक विचारधारा में एकरूपता है. और यही एकरूपता राष्ट्रीय एकता का आधार है।
प्राचीनकाल से हमारे देश ने विभिन्नता है, और इस विभिन्नता में भी समन्वय की भावना है, एकता ही राष्ट्र की शक्ति होती है। बिना एकता के राष्ट्र राष्ट्र नहीं रह जाता है शक्ति कम होने पर राष्ट्र विखर जाता है और उसकी राष्ट्रीय चेतना विनष्ट हो जाती है। एकता ही राष्र्ट को बनाती है पर राष्ट्र को राष्ट्र नहीं बनाता। स्वतंत्र राष्ट्र ही शक्ति संपन्न होता है. उसकी अपनी भाषा होती है वह स्वतंत्र सभ्य और सुसंस्कृत भी होता है।

