वस्तु एवं सेवा कर (GST) लागू होने के बाद से समय-समय पर जीएसटी काउंसिल द्वारा दरों, छूटों और प्रशासनिक प्रावधानों में बदलाव किए जाते रहे हैं। इसी क्रम में 56वीं जीएसटी काउंसिल बैठक, जो नई दिल्ली में आयोजित हुई, ऐतिहासिक मानी जा रही है। इस बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय वित्त मंत्री ने की और इसमें सभी राज्यों तथा केंद्रशासित प्रदेशों के वित्त मंत्री शामिल हुए।

बैठक का मुख्य उद्देश्य था –
- दर संरचना का सरलीकरण
- करदाताओं और उपभोक्ताओं को राहत
- उद्योग जगत के लिए प्रतिस्पर्धात्मक माहौल तैयार करना
- इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) चेन को सुरक्षित रखना
- राजस्व संतुलन और राज्यों को उचित हिस्सेदारी सुनिश्चित करना
नीचे हम इस बैठक में लिए गए प्रमुख निर्णयों, उनके तर्कों और संभावित प्रभावों का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत कर रहे हैं।
जीएसटी दरों में बदलाव की प्रभावी तिथि
काउंसिल ने निर्णय लिया कि 22 सितम्बर 2025 से नई दरें प्रभावी होंगी।
- यह बदलाव अधिकांश वस्तुओं और सेवाओं पर लागू होगा।
- सिगरेट, जर्दा, बीड़ी, बिना निर्मित तंबाकू जैसी वस्तुओं पर अभी वर्तमान दरें ही लागू रहेंगी।
- इन उत्पादों पर नई दरें तब लागू होंगी जब तक कि क्षतिपूर्ति उपकर (Compensation Cess) से संबंधित ऋण और ब्याज पूरी तरह चुकता नहीं हो जाता।
इससे सरकार का उद्देश्य यह है कि राज्यों को दिए गए क्षतिपूर्ति ऋण की वसूली पूरी हो जाए और उसके बाद दरों को अंतिम रूप दिया जाए।
पंजीकरण की सीमा में कोई बदलाव नहीं
सीजीएसटी अधिनियम, 2017 के तहत पंजीकरण सीमा में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है। इसका अर्थ यह है कि मौजूदा नियमों के तहत व्यवसायों को पंजीकरण कराना होगा, कोई नई सीमा लागू नहीं होगी।
वस्तुओं पर कर दरों में परिवर्तन
1. खाद्य पदार्थ और आवश्यक उपभोक्ता वस्तुएँ
- दूध और उससे संबंधित उत्पाद:
- पहले केवल साधारण दूध कर-मुक्त था, अब यूएचटी (Ultra High Temperature) दूध को भी कर-मुक्त कर दिया गया।
- प्लांट-बेस्ड मिल्क (सोया मिल्क सहित) पर दर घटाकर 5% कर दी गई।
- भारतीय ब्रेड (Indian Breads):
- पहले रोटी, पराठा, पिज्जा ब्रेड, परोट्टा आदि पर अलग-अलग दरें थीं।
- अब सभी प्रकार की भारतीय ब्रेड को पूरी तरह कर-मुक्त कर दिया गया।
- फूड प्रिपरेशन (NES):
- ऐसी खाद्य वस्तुएँ जिन्हें अलग से वर्गीकृत नहीं किया गया था, अब 5% दर पर करयोग्य होंगी।
- कॉस्मेटिक और टॉयलेटरीज़:
- टॉयलेट सोप बार, फेस पाउडर, शैम्पू, शेविंग क्रीम – इन पर दर घटाकर 5% कर दी गई।
- इसका उद्देश्य गरीब और मध्यमवर्गीय उपभोक्ताओं के मासिक खर्च को कम करना है।
- हालांकि, ब्रांडेड या महंगे उत्पादों पर भी यही दर लागू होगी।
- डेंटल हाइजीन:
- टूथपेस्ट, टूथब्रश और डेंटल फ्लॉस पर दर घटाकर 5% कर दी गई।
2. कृषि क्षेत्र
- कृषि मशीनरी:
- जैसे स्प्रिंकलर, ड्रिप इरिगेशन सिस्टम, हार्वेस्टर, बेलींग मशीन आदि पर दर 12% से घटाकर 5% की गई।
- इससे किसानों की लागत घटेगी और कृषि क्षेत्र में आधुनिकीकरण को प्रोत्साहन मिलेगा।
- कपास (Raw Cotton):
- इस पर रिवर्स चार्ज तंत्र (Reverse Charge Mechanism) जारी रहेगा।
- उद्देश्य – ITC चेन को बनाए रखना ताकि वस्त्र उद्योग को लाभ मिले।
- तेंदू पत्ता:
- तेंदू पत्ते (जिसका उपयोग बीड़ी निर्माण में होता है) पर दर घटाकर 5% कर दी गई।
3. स्वास्थ्य क्षेत्र
- दवाएँ और मेडिकल डिवाइस:
- दवाओं और अधिकांश चिकित्सा उपकरणों पर दर घटाकर 5% कर दी गई।
- इससे दवाओं की लागत घटेगी और मरीजों को सीधी राहत मिलेगी।
- सरकार ने स्पष्ट किया कि पूरी तरह छूट देने पर निर्माता ITC का लाभ नहीं ले पाएंगे और उत्पादन लागत बढ़ जाएगी। इसलिए 5% दर को ही संतुलित विकल्प चुना गया।
4. ऊर्जा और खनिज क्षेत्र
- कोयला:
- पहले 5% जीएसटी + ₹400/टन सेस लगाया जाता था।
- अब सेस समाप्त कर दिया गया और दर जीएसटी में मिला दी गई, ताकि कुल बोझ समान रहे।
- नवीकरणीय ऊर्जा उपकरण:
- सौर पैनल, पवन ऊर्जा उपकरण आदि पर दर 12% से घटाकर 5% कर दी गई।
- उद्देश्य – अक्षय ऊर्जा को प्रोत्साहन देना।
- मार्बल, ट्रैवर्टीन और ग्रेनाइट ब्लॉक्स:
- दर 12% से घटाकर 5% कर दी गई।
- ये मध्यवर्ती वस्तुएँ हैं, जिन पर कर भार कम करने से निर्माण उद्योग को राहत मिलेगी।
5. वाहन और परिवहन क्षेत्र
- छोटी कारें:
- पेट्रोल/एलपीजी/सीएनजी (1200 सीसी तक, 4000 मिमी लंबाई तक) और डीज़ल कारें (1500 सीसी तक, 4000 मिमी लंबाई तक) पर दर 28% से घटाकर 18%।
- मध्यम और बड़ी कारें, एसयूवी:
- इंजन क्षमता 1500 सीसी से ऊपर या लंबाई 4000 मिमी से अधिक – 40% दर (कोई सेस नहीं)।
- तीन-पहिया वाहन, बसें, ट्रक, एम्बुलेंस:
- सभी पर दर घटाकर 18%।
- मोटरसाइकिल:
- 350 सीसी तक – 18%,
- 350 सीसी से ऊपर – 40%।
- साइकिल और पार्ट्स:
- दर 12% से घटाकर 5%।
6. सेवा क्षेत्र
- यात्री परिवहन सेवाएँ:
- 5% (बिना ITC) या 18% (पूर्ण ITC के साथ) का विकल्प।
- हवाई यात्रा (इकोनॉमी – 5%, बिजनेस – 18%) में कोई बदलाव नहीं।
- जीटीए (Goods Transport Agency):
- 5% (बिना ITC) या 18% (पूर्ण ITC के साथ)।
- कंटेनर ट्रेन ऑपरेटर (CTO):
- 5% (बिना ITC) या 18% (पूर्ण ITC के साथ)।
- मल्टीमॉडल ट्रांसपोर्ट:
- यदि हवाई परिवहन शामिल नहीं है – 5% (सीमित ITC)।
- हवाई परिवहन शामिल है – 18% (पूर्ण ITC)।
- होटल आवास सेवाएँ:
- ₹7500 तक किराए वाले कमरों पर – 5% (बिना ITC)।
- ब्यूटी और फिटनेस सेवाएँ:
- जिम, योग, ब्यूटी पार्लर, सलून आदि पर दर 18% से घटाकर 5% (बिना ITC)।
- जॉब वर्क सेवाएँ:
- फार्मा, लेदर (Chapter 41) – 5% (पहले 12%)।
- अन्य सामान्य जॉब वर्क – 18%।
- अल्कोहल से जुड़े जॉब वर्क – 18% (कोई छूट नहीं)।
7. मनोरंजन और विशेष क्षेत्र
- लॉटरी, सट्टा, जुआ, कैसिनो, घुड़दौड़, ऑनलाइन गेमिंग – अब 40%।
- आईपीएल जैसे आयोजन – 40%।
- मान्यता प्राप्त खेल आयोजन (टिकट ₹500 तक) – छूट जारी।
आईटीसी और रिफंड प्रावधान
- यदि आपूर्ति दर बदलने से पहले हुई है, तो पुरानी दर लागू होगी।
- यदि आपूर्ति 22 सितम्बर 2025 के बाद होगी, तो नई दर लागू होगी।
- पहले से जमा ITC (इनपुट टैक्स क्रेडिट) का उपयोग किया जा सकेगा।
- Exempted supply के बाद शेष ITC को रिवर्स करना होगा।
- इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर की स्थिति में रिफंड की व्यवस्था बनी रहेगी।
निष्कर्ष
56वीं जीएसटी काउंसिल बैठक को जीएसटी सुधार यात्रा का एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
- उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए रोज़मर्रा की वस्तुओं पर कर घटाया गया।
- किसानों को सस्ती मशीनरी, दवाओं और चिकित्सा उपकरणों को सुलभ बनाया गया।
- वाहन उद्योग को सरल दरों की श्रेणी में लाकर जटिलता घटाई गई।
- सेवाओं के क्षेत्र में भी विकल्प आधारित कर ढाँचा दिया गया है।