संस्था लम्हे ज़िंदगी के’ का चतुर्थ वार्षिकोत्सव: ‘साहित्य मार्तंड’ और सम्मान समारोह

 दिल्ली : हिंदी भवन में “लम्हे जिंदगी के” भव्य साहित्यिक सम्मेलन में “साहित्य मार्तंड” और सम्मान समारोह का शानदार आयोजन किया गया, जिसमें दिल्ली और देश के विभिन्न प्रदेशों से संस्था से जुड़े साहित्यकारों ने हिस्सा लिया । “लम्हें जिंदगी के” ने अपनी वार्षिक साहित्यिक पत्रिका रुचिरा के द्वितीय वार्षिकांक का भी लोकार्पण किया ।

“साहित्य मार्तण्ड” के नाम से चिन्हित  “लम्हे जिंदगी के” चौथे वार्षिकोत्सव का शुभारंभ सरस्वती माँ के चरणों में, मुख्य अतिथि और विशिष्ट अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित करते हुए सरस्वती वंदना के साथ हुआ l भगवान कृष्ण की नगरी मथुरा से आए बाल कलाकार, यशस्वी और शिवांशी ने संस्कृत में गायन प्रस्तुत किया, गाजियाबाद से आई बालिका लाभ्या ने कत्थक नृत्य की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि, वरिष्ठ साहित्यकार और दिल्ली पुलिस के एसीपी डॉ आदेश त्यागी जी का स्वागत एवं सम्मान किया गया । 

हिंदी के प्रख्यात विद्वान डॉ. विमलेश कांति वर्मा जी,वरिष्ठ साहित्यकार इंदिरा मोहन जी और बहुमुखी प्रतिभावान, रवि प्रकाश शर्मा जी तथा कलकत्ता से आए वरिष्ठ विमान अभियंता एवं साहित्यकार, लम्हे जिंदगी संस्था के संरक्षक, आदरणीय प्राणेंद्र नाथ मिश्र  जी का भी स्वागत और सम्मान किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार और संस्था के महासचिव डॉ. विनय कुमार जी ने की। उसके पश्चात संस्था की संस्थापिका डॉ.पूजा भारद्वाज ने स्वागत अभिभाषण देते हुए सभी अतिथियों का अभिवादन किया । 

‘लम्हे जिंदगी के’ संस्था की साहित्य पत्रिका, रुचिरा के द्वितीय अंक  का सभी अतिथियों ने विमोचन किया ।  श्री प्राणेंद्र नाथ मिश्र जी द्वारा संस्था को समर्पित पुस्तक ,”कैसे लिखें ….कविता” , डॉ. विनय कुमार जी की पुस्तक “दिल से …” और डॉ. सरोजिनी चौधरी  जी की पुस्तक “चिंतन की धूप” का भी लोकार्पण हुआ।

मुख्य वक्ता  ने  पिछले वर्ष में संस्था द्वारा किए गए कार्यों और उपलब्धियों के बारे में बताते हुए कहा कि ‘लम्हे जिंदगी के’संस्था पिछले चार वर्षों में उभरते हुए साहित्यकारों का उत्साहवर्धन करती है और उनको आगे बढ़ने के लिए एक पटल देती है। समाज सेवा की ओर संस्था निरंतर अग्रसर है। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि इंदिरा मोहन जी ने महिलाओं के सशक्तिकरण की बात करते हुए संस्था से जुड़ी सभी महिला साहित्यकारों को शब्द  के साथ संस्कार और समाज के लिए अपने दायित्वों को निभाने का आह्वान किया। 

समारोह में बाल कवियों का काव्य पाठ मुख्य आकर्षण रहा। आए हुए बाल कवि, शीर्षों दत्ता ने अपनी अध्यापिका भावना अरोड़ा ‘मिलन’ जी को समर्पित काव्य पाठ किया और 10 वर्षीय बाल कवयित्री प्रांशी चोपड़ा ने मातृ भाषा हिंदी को राष्ट्र भाषा बनाने के लिए एक कविता प्रस्तुत की। बाल कवयित्री चरिताक्षी और आराध्या ने सभी का मन मोह लिया।

संस्था ने  कार्यक्रम के दूसरे सत्र में साहित्यकारों और पत्रकारों को पुरस्कृत कर के सम्मानित किया। “लम्हे जिंदगी के” संस्था की पत्रिका रुचिरा में संस्था से जुड़े और सभी आगंतुक साहित्यकारों को “साहित्य श्री” पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 

संस्था के लिए पिछले वर्ष में  विशेष योगदान देने वाले साहित्यकारों में संगीता चौहान जी को “तारा बाई शिंदे सम्मान”, रेखा चौहान ‘राज’ जी को “साहित्य कर्मयोगी सम्मान”, डॉ. कामिनी मिश्रा जी को “कोकिला सम्मान” से सम्मानित किया गया। चार रचनाकारों को संस्था के “ज्ञान पुंज सम्मान” से सम्मानित किया गया; डॉ. ओंकार त्रिपाठी जी, रमा त्यागी ‘एकाकी’, पूजा श्रीवास्तव जी एवम् डॉ. मनीषा मनी जी।

कार्यक्रम में शामिल होने वाले साहित्यकारों में  रश्मि चौबे,बबली सिन्हा ‘वान्या’,रेखा चौहान, कामिनी मिश्रा, शालिनी मिश्रा, अवधेश कनोजिया,डॉ. अवधेश तिवारी, डॉ. संतोष संप्रीति,अर्चना शर्मा, गोल्डी गीतकार, हरि नारायण जाट, नानक चंद खंडेलवाल, दीपिका वल्दिया, शिवम झा, संगीता चौहान,शोभा सचान, जितेंद्र यादव, लीना जैन,स्मृति श्रीवास्तव, इंदु श्रीवास्तव, कुमार राघव, रजनी बाला, नलिनी राज ‘मौसम’, सुनील शर्मा,डॉ. कामना मिश्रा, हेमंत अग्रवाल, देवेंद्र शर्मा ‘देव’, नेहा शर्मा, प्रेरणा सिंह, सुमन मोहिनी, शांत्वना सिंह शुक्ला, दिनेश तिवारी, सचिन परवाना, हिमांशु शुक्ल, स्मिता चौहान एवम् अमरीश राजन को सम्मानित किया गया। 

कार्यक्रम के संचालन की शुरुआत ज्योति जुल्का जी और अनीता त्रिपाठी जी ने की। इसके बाद पूनम मल्होत्रा जी ने कार्यक्रम के आगे का संचालन भार सम्भाला। कार्यक्रम संयोजन में पंकज भारद्वाज, ईशा भारद्वाज एवम् अभिषेक भारद्वाज ने विशेष सहयोग दिया।

 मीडिया जगत से, सलाम भारत के मुख्य संपादक ए.क्यू. खुर्रम जी, मोहिनी कश्यप जी, राष्ट्रीय वन के अजित राज जी और अन्य पत्रकारों को भी साहित्यिक पत्रकारिता पुरस्कार से सम्मानित किया गया। साहित्यिक संस्था सुवासितम की ओर से अवधेश कनौजिया जी द्वारा लम्हें की संस्थापिका डॉ. पूजा भारद्वाज का सम्मान किया गया।

कार्यक्रम के अंत में “लम्हे जिंदगी के ” की संस्थापिका डॉ.पूजा भारद्वाज ने मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथियों एवम् समारोह में पहुँचे सभी साहित्यकारों, पत्रकारों और  अतिथियों का कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए धन्यवाद दिया।

भावना अरोड़ा 'मिलन' अध्यापिका, लेखिका, मोटिवेशनल स्पीकर
भावना अरोड़ा ‘मिलन’ अध्यापिका, लेखिका, मोटिवेशनल स्पीकर
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