प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने सामाजिक सुरक्षा के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। अंतर्राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा संघ (ISSA) ने भारत को ‘सामाजिक सुरक्षा में उत्कृष्ट उपलब्धि’ पुरस्कार 2025 से सम्मानित किया है। यह प्रतिष्ठित सम्मान भारत सरकार के उस व्यापक और समावेशी दृष्टिकोण की मान्यता है, जिसने बीते एक दशक में सामाजिक सुरक्षा कवरेज को अभूतपूर्व स्तर तक पहुंचाया है।

मलेशिया के कुआलालंपुर में आयोजित विश्व सामाजिक सुरक्षा मंच (WSSF) 2025 के दौरान केंद्रीय श्रम एवं रोजगार तथा युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने भारत की ओर से यह पुरस्कार प्राप्त किया। उन्होंने इस अवसर पर भारत के सामाजिक सुरक्षा ढांचे में आए ऐतिहासिक बदलावों और डिजिटल नवाचारों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह सम्मान प्रधानमंत्री मोदी के “अंत्योदय” के सिद्धांत और “पंक्ति में अंतिम व्यक्ति तक” लाभ पहुंचाने की प्रतिबद्धता का परिणाम है।
सामाजिक सुरक्षा कवरेज में ऐतिहासिक वृद्धि
भारत ने पिछले दशक में सामाजिक सुरक्षा कवरेज में उल्लेखनीय प्रगति की है। 2015 में जहां कवरेज केवल 19 प्रतिशत था, वहीं 2025 में यह बढ़कर 64.3 प्रतिशत तक पहुंच गया है, जिससे 940 मिलियन से अधिक नागरिक अब सामाजिक सुरक्षा के दायरे में आ गए हैं। इसी ऐतिहासिक विस्तार को मान्यता देते हुए भारत को ISSA द्वारा यह वैश्विक पुरस्कार प्रदान किया गया।
भारत ने न केवल सामाजिक सुरक्षा कवरेज बढ़ाने में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है, बल्कि इस क्षेत्र में नेतृत्व भी स्थापित किया है। आईएसएसए महासभा में भारत ने 30 सीटों के साथ सर्वोच्च वोट शेयर हासिल करते हुए वैश्विक नीति निर्माण में अपनी प्रभावशाली भूमिका दर्ज कराई।

डिजिटल नवाचारों से बनी नई पहचान
डॉ. मांडविया ने अपने संबोधन में भारत द्वारा सामाजिक सुरक्षा वितरण के लिए विकसित की गई डिजिटल अवसंरचना को भारत की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक बताया। उन्होंने विशेष रूप से ई-श्रम पोर्टल का उल्लेख किया, जो 31 करोड़ से अधिक असंगठित श्रमिकों को विभिन्न सामाजिक कल्याण योजनाओं से जोड़ने वाला “वन-स्टॉप सॉल्यूशन” है। यह पोर्टल बहुभाषी और सहज इंटरफेस के माध्यम से पंजीकरण, लाभ प्राप्ति और निगरानी को सरल और सुलभ बनाता है।
इसके साथ ही, उन्होंने राष्ट्रीय करियर सेवा (NCS) पोर्टल की भूमिका को भी रेखांकित किया। यह प्लेटफ़ॉर्म नौकरी चाहने वालों और नियोक्ताओं को जोड़ने के लिए मजबूत डिजिटल उपकरणों से लैस है और ई-श्रम पोर्टल के साथ एकीकृत है। एनसीएस न केवल कुशल कार्यबल का प्रमाणित डेटाबेस प्रदान करता है, बल्कि भारतीय युवाओं के लिए वैश्विक अवसरों तक पहुंच और सामाजिक सुरक्षा लाभों का संयोजन भी सुनिश्चित करता है।
ईपीएफओ और ईएसआईसी: सामाजिक सुरक्षा के स्तंभ
अपने संबोधन में डॉ. मांडविया ने कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) और कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ESIC) की भी सराहना की, जिन्होंने स्वास्थ्य सेवा, बीमा और पेंशन योजनाओं जैसी सामाजिक सुरक्षा सेवाओं की व्यापक श्रृंखला के माध्यम से भारत के कार्यबल को सुरक्षित और सशक्त बनाने में अग्रणी भूमिका निभाई है।
समग्र दृष्टिकोण से बदल रही है तस्वीर
तकनीकी बदलावों और श्रम बाजार के नए रुझानों के साथ तालमेल बिठाते हुए भारत अब सामाजिक सुरक्षा को एक समग्र दृष्टिकोण से देख रहा है। डॉ. मांडविया ने कहा कि भारत वित्तीय समावेशन, कौशल विकास, स्व-रोजगार और डिजिटल नवाचारों को जोड़कर न केवल सामाजिक सुरक्षा को मज़बूत बना रहा है बल्कि आय के नए अवसरों को भी सृजित कर रहा है।
उन्होंने कहा, “भारत भविष्य को आकार देने और दुनिया के युवाओं को प्रेरित करने के लिए तैयार है। यह पुरस्कार हमारी नीति, दृष्टि और प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है कि हम हर नागरिक को सुरक्षा और अवसर प्रदान करने के लिए निरंतर प्रयासरत हैं।”
वैश्विक मंच पर भारत की अग्रणी भूमिका
163 देशों के 1,200 से अधिक सामाजिक सुरक्षा नीति निर्माताओं और विशेषज्ञों की उपस्थिति वाले इस सम्मेलन में भारत की उपलब्धि को वैश्विक स्तर पर सराहा गया। अपनी स्थापना के बाद से यह पुरस्कार पाने वाला भारत अब उन अग्रणी देशों में शामिल हो गया है, जो सामाजिक सुरक्षा कवरेज के क्षेत्र में वैश्विक मानक स्थापित कर रहे हैं।
भारत की यह उपलब्धि न केवल एक पुरस्कार है, बल्कि यह एक नए भारत की परिकल्पना है — जहां हर नागरिक को सामाजिक सुरक्षा, गरिमा और अवसर प्राप्त हों। यह सम्मान भारत की सामाजिक सुरक्षा प्रणाली के विकास, डिजिटल नवाचार और अंत्योदय के मूल्यों पर आधारित नीति दृष्टिकोण का जीवंत प्रमाण है।