भारत की शासन प्रणाली आज नवाचार, प्रौद्योगिकी और पारदर्शिता का वैश्विक उदाहरण बन चुकी है। इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल के तहत केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह, केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी; पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) तथा प्रधानमंत्री कार्यालय, परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन राज्य मंत्री, ने भारतीय लोक प्रशासन संस्थान (IIPA), नई दिल्ली में आयोजित एक विशेष सत्र में 19 देशों के प्रतिनिधियों से शासन नवाचार और प्रौद्योगिकी-संचालित प्रशासन पर विचार साझा किए।

यह संवाद भारतीय तकनीकी एवं आर्थिक सहयोग (ITEC) कार्यक्रम के अंतर्गत हुआ, जिसमें विभिन्न देशों के 34 प्रतिभागी अधिकारी शामिल थे। इस अवसर पर डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारत की उन नीतियों और पहलों पर प्रकाश डाला जिन्होंने शासन को नागरिक-केंद्रित, पारदर्शी और परिणामोन्मुख बनाया है।
शासन नवाचार: भारत का बदलता चेहरा
डॉ. जितेंद्र सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि भारत की शासन पद्धति अब नवाचार आधारित हो गई है, जहाँ तकनीक और रचनात्मकता के माध्यम से प्रशासनिक दक्षता को नए आयाम मिले हैं। उन्होंने बताया कि आज भारत सरकार की लगभग 90 प्रतिशत सेवाएँ डिजिटल माध्यम से संचालित हैं, जिससे पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित हुई है।
उन्होंने कहा, “भारत में शासन अब केवल प्रशासनिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि एक तकनीकी रूप से सक्षम सेवा प्रणाली बन चुका है। महामारी के दौरान भी हमारी डिजिटल अवसंरचना ने यह सिद्ध किया कि तकनीक के माध्यम से सेवा वितरण कभी रुक नहीं सकता।”
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में नवाचार की दिशा में परिवर्तन
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में शासन के हर क्षेत्र में दक्षता और नवाचार को जीवन-पद्धति का हिस्सा बना दिया गया है। “प्रधानमंत्री मोदी जी हमेशा इस बात पर ज़ोर देते रहे हैं कि शासन व्यवस्था में नवाचार केवल विकल्प नहीं, बल्कि आवश्यकता है। चाहे वह आधार-सक्षम डिजिटल पहचान प्रणाली हो, पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान हो या जीईएम (Government e-Marketplace) जैसे प्लेटफॉर्म — इन सभी ने शासन को पारदर्शी, तीव्र और जवाबदेह बनाया है।”
उन्होंने बताया कि “नवाचार अब शासन की संस्कृति का हिस्सा बन चुका है”, जहाँ हर नीति में तकनीकी दृष्टिकोण को प्राथमिकता दी जाती है।
आईटीईसी कार्यक्रम: अंतरराष्ट्रीय सहयोग की नई दिशा
आईटीईसी कार्यक्रम को भारत की कूटनीति और वैश्विक सहयोग का एक महत्वपूर्ण स्तंभ बताया गया। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि अब तक इस कार्यक्रम के तहत 2,500 से अधिक विदेशी अधिकारियों को प्रशिक्षित किया जा चुका है। यह कार्यक्रम न केवल प्रशिक्षण का माध्यम है, बल्कि विभिन्न देशों के बीच विचारों और अनुभवों के आदान-प्रदान का भी एक सशक्त मंच है।
उन्होंने कहा, “मैं यहाँ केवल अपने अनुभव साझा करने नहीं, बल्कि आप सभी से सीखने भी आया हूँ। यह दोतरफा संवाद हमारे प्रशासनिक ढांचे को और समृद्ध करेगा।”
डॉ. सिंह ने प्रतिभागियों से आग्रह किया कि वे अपने देशों के सर्वोत्तम प्रशासनिक और तकनीकी नवाचार भारत के साथ साझा करें, ताकि सहयोग और सीखने की वैश्विक संस्कृति को बढ़ावा मिल सके।
तकनीक से सशक्त शासन: भारत का मॉडल
सत्र के दौरान जब प्रतिभागियों ने भारत में शहरी यातायात प्रबंधन जैसी चुनौतियों पर चर्चा की, तो डॉ. जितेंद्र सिंह ने स्मार्ट निगरानी प्रणालियों, ऑनलाइन प्रवर्तन प्रणाली और डेटा-आधारित निर्णय प्रक्रिया का उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि ये तकनीकें प्रशासन को अधिक कुशल, उत्तरदायी और नागरिक-केंद्रित बना रही हैं।
“भारत का शासन मॉडल अब तकनीक और नागरिक भागीदारी के समन्वय पर आधारित है। यह न केवल शासन की गति बढ़ा रहा है, बल्कि नागरिकों के बीच विश्वास भी स्थापित कर रहा है।”
सतत विकास और नागरिक भागीदारी की दिशा में पहल
आईटीईसी प्रतिनिधियों के साथ बातचीत के बाद डॉ. जितेंद्र सिंह ने प्रतिभागियों को ‘स्वच्छता ही सेवा’ अभियान और ‘एक पेड़ माँ के नाम’ कार्यक्रम के अंतर्गत वृक्षारोपण अभियान में शामिल किया। इन अभियानों ने सरकार की सतत विकास और पर्यावरणीय उत्तरदायित्व के प्रति प्रतिबद्धता को फिर से रेखांकित किया।
इस अवसर पर मंत्री ने कहा, “स्वच्छता और हरियाली केवल अभियानों का हिस्सा नहीं, बल्कि भारत की विकास यात्रा का अभिन्न तत्व हैं। जब शासन में समाज की भागीदारी बढ़ती है, तब स्थायी परिवर्तन संभव होता है।”
आईटीईसी प्रतिभागियों ने भी इस पहल में उत्साहपूर्वक भाग लिया, जिससे वैश्विक नागरिकता और साझा पर्यावरणीय जिम्मेदारी की भावना मजबूत हुई।
डिजिटल कनेक्टिविटी से सीमाओं के पार सहयोग
डॉ. जितेंद्र सिंह ने प्रतिभागियों को प्रोत्साहित किया कि वे प्रशिक्षण के बाद भी भारतीय संस्थानों — विशेष रूप से आईआईपीए और विदेश मंत्रालय — के साथ वर्चुअल संपर्क में बने रहें। उन्होंने कहा, “आज की तकनीक ने भौतिक सीमाओं को अप्रासंगिक बना दिया है। हम निरंतर ऑनलाइन संवाद और सहयोग के माध्यम से साझा समाधान खोज सकते हैं।”
इस दिशा में उन्होंने सुझाव दिया कि भारत और भागीदार देश मिलकर शासन-संबंधी चुनौतियों के लिए डिजिटल नॉलेज नेटवर्क का निर्माण कर सकते हैं।
साझा विकास और सामूहिक नवाचार का दृष्टिकोण
अपने समापन वक्तव्य में डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत, प्रधानमंत्री मोदी की “वसुधैव कुटुंबकम्” की भावना को शासन नवाचार के माध्यम से साकार कर रहा है। “आईटीईसी जैसे कार्यक्रम वैश्विक साझेदारी और सामूहिक विकास के प्रतीक हैं। यह केवल तकनीकी सहयोग नहीं, बल्कि मानवता के साझा प्रगति की दिशा में एक संकल्प है।”
उन्होंने यह भी कहा कि भारत का अनुभव और उसका नवाचार मॉडल अन्य देशों के लिए व्यवहारिक प्रेरणा बन सकता है, जो प्रशासन में पारदर्शिता, जवाबदेही और दक्षता लाना चाहते हैं।