भारत के रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में तेजी से बढ़ते कदमों का उल्लेख करते हुए रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि “ऑपरेशन सिंदूर भारत की बढ़ती स्वदेशी शक्ति का एक ज्वलंत प्रमाण है।” उन्होंने कहा कि यह सफलता सरकार के उन सतत प्रयासों का परिणाम है, जिनके माध्यम से देश में आत्मनिर्भर रक्षा विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित किया गया है।
श्री सिंह आज पुणे स्थित सिम्बायोसिस स्किल्स एंड प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में विद्यार्थियों को संबोधित कर रहे थे। अपने प्रेरक संबोधन में उन्होंने विद्यार्थियों से विश्वास, दृढ़ता और नवाचार जैसे गुणों को जीवन का आधार बनाने का आह्वान किया।

रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता: कठिन यात्रा से प्राप्त बड़ी सफलता
रक्षा मंत्री ने कहा कि जब भारत ने रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने का निर्णय लिया था, तब यह मार्ग कठिन प्रतीत होता था। किंतु प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने न केवल संकल्प लिया बल्कि उसे वास्तविकता में बदलने के लिए ठोस नीतिगत और औद्योगिक कदम उठाए।
उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता के बाद भारत लंबे समय तक हथियारों के लिए विदेशी देशों पर निर्भर रहा। यह प्रवृत्ति केवल तकनीकी कमी के कारण नहीं, बल्कि राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी के कारण भी थी। हमारे पास रक्षा विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक नीतिगत ढांचा और कानून नहीं थे।
श्री राजनाथ सिंह ने स्पष्ट शब्दों में कहा, “अब हमारा संकल्प है कि भारत अपने सैनिकों के लिए स्वदेश में निर्मित हथियार बनाए। ऑपरेशन सिंदूर ने यह सिद्ध कर दिया है कि भारतीय सेनाएँ स्वदेशी तकनीक के बल पर विश्वस्तरीय मिशन को सफलता पूर्वक पूरा कर सकती हैं।”
उन्होंने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पूरी दुनिया ने भारतीय सैनिकों की वीरता और आत्मनिर्भर भारत की तकनीकी क्षमता दोनों को एक साथ देखा। यह अभियान भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता यात्रा में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर है।
रक्षा उत्पादन में ऐतिहासिक वृद्धि
रक्षा मंत्री ने बीते दशक में भारत के रक्षा उत्पादन में हुई उल्लेखनीय वृद्धि का विवरण देते हुए कहा कि पिछले दस वर्षों में भारत का वार्षिक रक्षा उत्पादन 46,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 1.5 लाख करोड़ रुपये तक पहुँच गया है। इसमें निजी क्षेत्र का योगदान लगभग 33,000 करोड़ रुपये का है।
उन्होंने यह भी कहा कि सरकार का लक्ष्य वर्ष 2029 तक रक्षा उत्पादन को 3 लाख करोड़ रुपये तक पहुँचाने और 50,000 करोड़ रुपये के रक्षा निर्यात का है। यह न केवल देश की सुरक्षा को सशक्त बनाएगा, बल्कि रक्षा क्षेत्र में लाखों युवाओं के लिए नए अवसर भी सृजित करेगा।
युवाओं से नवाचार और सृजन की अपील
श्री राजनाथ सिंह ने विद्यार्थियों से कहा कि वे अपनी शैक्षणिक उपलब्धियों को केवल डिग्री तक सीमित न रखें, बल्कि ज्ञान को समाज के हित में उपयोगी बनाएं। उन्होंने कहा, “सच्ची सफलता केवल उपाधि प्राप्त करने में नहीं, बल्कि ज्ञान को समाज के कल्याण के लिए सार्थक रूप में उपयोग करने में निहित है।”
कौशल विकास: ज्ञान और कार्य के बीच की कड़ी
रक्षा मंत्री ने कहा कि आज का युग केवल यह नहीं पूछता कि “आप क्या जानते हैं?” बल्कि यह पूछता है कि “आप क्या कर सकते हैं?” इस संदर्भ में उन्होंने कौशल विकास को अत्यंत महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि कौशल ही सीखने और कार्य के बीच का सेतु है।
उन्होंने कहा कि भारत को “कौशल आधारित अर्थव्यवस्था” की दिशा में अग्रसर करने के लिए शिक्षा संस्थानों की भूमिका निर्णायक है। इस दिशा में सिम्बायोसिस जैसी संस्थाओं का योगदान सराहनीय है, जो छात्रों को उद्योग-आधारित प्रशिक्षण और व्यावहारिक ज्ञान प्रदान कर रही हैं।
कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मानवीय संवेदनशीलता
प्रौद्योगिकी और विशेष रूप से कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के प्रभाव पर बोलते हुए श्री राजनाथ सिंह ने यह स्पष्ट किया कि एआई से मानव श्रम का स्थान नहीं लिया जा सकता। उन्होंने कहा, “आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मानव श्रम की जगह नहीं लेगा, बल्कि जो लोग एआई का उपयोग करेंगे, वे उन लोगों की जगह लेंगे जो इसका उपयोग नहीं करेंगे।”
उन्होंने तकनीक के साथ मानवीय संवेदनशीलता, नैतिक मूल्यों और सामाजिक जिम्मेदारी को बनाए रखने की आवश्यकता पर बल दिया। रक्षा मंत्री ने सोशल मीडिया के नकारात्मक प्रभावों पर भी टिप्पणी करते हुए युवाओं से कहा कि वे तुलनाओं में उलझने की बजाय अपने सपनों पर केंद्रित रहें और आत्मविश्वास के साथ अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर हों।
2047 का लक्ष्य: विकसित भारत के लिए युवा शक्ति
भारत के अमृत काल के संदर्भ में श्री सिंह ने कहा कि वर्ष 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य केवल सरकार का नहीं, बल्कि हर नागरिक का है। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि वे अपने जीवन के सबसे निर्णायक दौर में हैं और आने वाले 20–25 वर्ष न केवल उनके करियर, बल्कि राष्ट्र के भविष्य को भी आकार देंगे।
उन्होंने कहा, “अपनी महत्वाकांक्षा को केवल व्यक्तिगत सफलता तक सीमित न रखें। इसे देश में सकारात्मक बदलाव का माध्यम बनाएं। यही सच्ची देशभक्ति है।”
नई पहल: स्कूल ऑफ डिफेंस एंड एयरोस्पेस टेक्नोलॉजी का उद्घाटन
कार्यक्रम के अंत में रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री श्री देवेंद्र फडणवीस ने स्कूल ऑफ डिफेंस एंड एयरोस्पेस टेक्नोलॉजी का उद्घाटन किया। इस अवसर पर राज्य सरकार के वरिष्ठ मंत्री, विश्वविद्यालय के कुलपति तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
यह नया संस्थान रक्षा अनुसंधान, विनिर्माण तकनीक और एयरोस्पेस शिक्षा को एकीकृत करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इससे न केवल युवाओं को अत्याधुनिक तकनीकी प्रशिक्षण मिलेगा, बल्कि देश के रक्षा उद्योग को भी नई ऊर्जा प्राप्त होगी।