भारत के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेंद्र यादव ने राजधानी में आयोजित सीआईआई इंडिया@2025 कार्यक्रम में उद्योग और नीति-निर्माताओं की उपस्थिति में हरित विकास विषयक विशिष्ट पूर्ण सत्र को संबोधित किया। उनके वक्तव्य में आर्थिक विकास के आधुनिक प्रतिमान और भारत की वैश्विक पर्यावरणीय भूमिका की स्पष्ट झलक दिखाई दी। उन्होंने कहा कि उद्योग और सरकार के सहयोग से भारत ऐसा मॉडल तैयार कर रहा है जिसमें आर्थिक विस्तार और पर्यावरण संरक्षण एक-दूसरे के पूरक बनते हैं।
अपने संबोधन में श्री यादव ने विशेष रूप से यह रेखांकित किया कि भारत एक मज़बूत, टिकाऊ और प्रतिस्पर्धात्मक अर्थव्यवस्था की ओर आगे बढ़ रहा है, जो आने वाले दशकों में विश्व अर्थव्यवस्था के संतुलन को बदल सकती है। उन्होंने इस विकास यात्रा में सीआईआई और भारतीय उद्योग जगत के योगदान की सराहना की और हरित नीतिगत ढांचे के निर्माण में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका की प्रशंसा की।

उन्होंने कहा कि स्वच्छ और कम-कार्बन आधारित औद्योगिक प्रक्रियाएं किसी चुनौती का प्रतीक नहीं, बल्कि नवाचार एवं आर्थिक प्रगति का प्रेरक तत्व हैं। यादव ने सुझाव दिया कि कार्बन-मुक्त विनिर्माण प्रणाली भारतीय उद्योग के लिए आवश्यक निवेश है, जो न केवल निर्यात प्रतिस्पर्धा बढ़ाएगा, बल्कि भविष्य में कार्बन टैक्स या अन्य व्यापारिक अवरोधों से भी सुरक्षा देगा।
मंत्री ने स्पष्ट रूप से भारत के पर्यावरण नेतृत्व को मजबूत करने के लिए किए गए बहुआयामी सुधारों का उल्लेख किया। उन्होंने जीएसटी 2.0 से जुड़े संशोधनों की चर्चा करते हुए कहा कि नवीकरणीय ऊर्जा उपकरणों, बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक, वेस्ट-ट्रीटमेंट प्लांट और इलेक्ट्रिक वाहनों पर कर घटाकर 12 प्रतिशत से 5 प्रतिशत किया गया है, जो पर्यावरण-हितैषी निवेश को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने निर्माताओं और उद्योग संघों से पर्यावरण-अनुकूल सप्लाई चेन को अपनाने का आग्रह किया।
इसके अतिरिक्त, श्री यादव ने सिंटर्ड रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट उत्पादन को प्रोत्साहन देने की योजना, राष्ट्रीय महत्वपूर्ण खनिज मिशन 2025, संशोधित ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम और पर्यावरण ऑडिट नियम 2025 जैसी पहलों पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने उद्योग जगत से कहा कि देश के सतत विकास के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए उनकी भागीदारी निर्णायक होगी।
कॉप30 पर्यावरण सम्मेलन से लौटकर आए केंद्रीय मंत्री ने भारत की अंतरराष्ट्रीय भागीदारी और सफलताओं पर विचार व्यक्त करते हुए बताया कि इस सम्मेलन में भारत द्वारा उठाए गए मुद्दों को व्यापक समर्थन प्राप्त हुआ। जलवायु वित्त, वैश्विक तकनीकी सहयोग और न्यायसंगत परिवर्तन से जुड़ी व्यवस्थाओं से संबंधित निर्णय भारत की पर्यावरणीय रणनीति को मजबूत करते हैं।
उन्होंने विशेष रूप से सर्कुलर अर्थव्यवस्था और विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व यानी ईपीआर की भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि ईपीआर मॉडल न केवल रीसाइक्लिंग की संरचना को सुदृढ़ करता है, बल्कि अनौपचारिक कचरा श्रमिकों को औपचारिक क्षेत्र में शामिल कर 33 लाख तक नए रोजगार उत्पन्न कर सकता है। इसके साथ ही हरित-कुशल कार्यबल के निर्माण की दिशा में यह एक स्थायी आधार बन सकता है।
मंत्री यादव ने उद्योग जगत से स्वैच्छिक प्रतिबद्धताओं, अनुसंधान एवं विकास में निवेश, हरित विनिर्माण अपनाने और एमएसएमई सहयोग बढ़ाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि सतत विकास को प्रतिस्पर्धात्मकता के साथ जोड़कर भारत एक स्वनिर्भर और विश्व-प्रतिस्पर्धी औद्योगिक ढांचा निर्मित कर सकता है।
अपने उद्बोधन का समापन करते हुए उन्होंने कहा कि विकसित भारत@2047 की राह केवल भौतिक प्रगति का विषय नहीं, बल्कि यह एक ऐसे भविष्य की परिकल्पना है जिसमें समावेशी विकास, पर्यावरणीय संतुलन और दीर्घकालिक समृद्धि समानांतर रूप से स्थापित होती हैं। इस अवसर पर CII के महानिदेशक श्री चंद्रजीत बनर्जी, राष्ट्रीय पर्यावरण समिति के अध्यक्ष श्री शिव सिद्धांत नारायण कौल, तथा राष्ट्रीय अपशिष्ट-से-मूल्य समिति के अध्यक्ष श्री मसूद आलम मलिक सहित उद्योग जगत की कई प्रमुख हस्तियां उपस्थित थीं।