केंद्रीय युवा कार्यक्रम और खेल मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने एफईआई एशियाई घुड़सवारी चैंपियनशिप 2025 में ऐतिहासिक पदक जीतकर लौटे भारतीय घुड़सवार खिलाड़ियों को सम्मानित किया। कार्यक्रम के दौरान उन्होंने घोषणा की कि भारत घुड़सवारी सहित उन खेलों में भी मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र तैयार कर रहा है, जिनमें पहले देश की वैश्विक उपस्थिति बेहद सीमित रही। खेल मंत्री ने देश लौटे विजेताओं की उपलब्धियों को भारत के बदलते खेल परिवेश का नया प्रतीक बताते हुए कहा कि यह बदलाव केवल खिलाड़ियों की प्रतिभा नहीं, बल्कि देश में खेलों के लिए तैयार किए गए नए तंत्र और सरकारी प्रतिबद्धता का परिणाम है।

ऐतिहासिक प्रदर्शन, पांच पदकों के साथ भारत की वापसी
चैंपियनशिप थाईलैंड के पटाया में आयोजित की गई, जिसमें छह सदस्यीय भारतीय टीम ने इवेंटिंग और ड्रेसेज वर्ग में शानदार प्रदर्शन कर कुल पांच पदक जीते। प्रमुख उपलब्धियों में आशीष लिमये का नाम विशेष रूप से उभरकर सामने आया, जिन्होंने इवेंटिंग व्यक्तिगत वर्ग में स्वर्ण तथा टीम इवेंटिंग में रजत पदक हासिल किया। ड्रेसेज स्पर्धा में भारतीय घुड़सवारी की प्रतिनिधि श्रुति वोरा ने तीन रजत पदक जीतकर इस चैंपियनशिप में देश की सफलताओं को नई ऊंचाई दी। टीम स्पर्धा के अन्य सदस्यों में शशांक सिंह कटारिया, शशांक कनमुरी, दिव्यकृति सिंह और गौरव पुंडीर शामिल रहे, जिन्होंने मिलकर भारत के घुड़सवारी इतिहास में अभूतपूर्व उपलब्धि दर्ज की।
खेल पारिस्थितिकी तंत्र में बड़े बदलाव
सम्मान समारोह में संबोधित करते हुए डॉ. मांडविया ने कहा कि भारत अब उन खेलों में भी अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज करा रहा है, जिनमें पहले कोई विशेष आधार तैयार नहीं था। घुड़सवारी उनमें से एक प्रमुख उदाहरण है। उन्होंने माना कि भारत में घुड़सवारी के लिए पारिस्थितिकी तंत्र अभी सीमित है, लेकिन पिछले दशक में खेलों के क्षेत्र में जो परिवर्तन आया है, उसने खिलाड़ियों के आत्मविश्वास को बढ़ाया है और यह परिवर्तन अब परिणामों के रूप में सामने दिखाई दे रहा है।
उन्होंने खेल प्रतिभाओं को भरोसा दिया कि सरकार किसी भी खिलाड़ी और उसके पदक के सपने के बीच आने वाली बाधाओं को दूर करेगी। उन्होंने कहा कि अब समय केवल चुनिंदा खिलाड़ियों को अवसर देने का नहीं, बल्कि पूरे खेल समुदाय को समान सुविधा उपलब्ध कराने का है। घुड़सवारी के लिए आवश्यक संसाधनों और प्रशिक्षण ढांचे को देश में ही मजबूत करने पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि भारत में ऐसा व्यापक तंत्र विकसित किया जाएगा, जिससे खिलाड़ियों को विदेशों में प्रशिक्षण या घोड़ों को प्रतियोगिताओं के लिए निर्यात करने में आने वाली बाधाओं का सामना न करना पड़े।
घोड़ों के रोग-मुक्त क्षेत्र और क्वारंटाइन कर्सेंट्र की स्थापना
डॉ. मांडविया ने कहा कि घुड़सवारी के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धाओं से जुड़े प्रावधानों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। इसी संदर्भ में उन्होंने एक महत्वपूर्ण घोषणा करते हुए बताया कि सरकार एक वर्ष के भीतर देश में घोड़ों के लिए क्वारंटाइन केंद्र स्थापित करने जा रही है। यह सुविधा अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए घोड़ों को ले जाने और लाने के लिए लंबे समय से मांगी जा रही थी। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत को अब केवल खिलाड़ियों को विदेश भेजने की आवश्यकता नहीं, बल्कि पूरे खेल समुदाय को सुविधाजनक वातावरण प्रदान करने का लक्ष्य है।
चैंपियनशिप के दौरान तीन रजत पदक हासिल करने वाली घुड़सवार श्रुति वोरा ने भी खेल मंत्री के त्वरित निर्णयों और संवेदनशीलता की प्रशंसा की। उन्होंने बताया कि एथलीटों ने जब अपनी समस्याएं बताईं, तो खेल मंत्री ने तुरंत निर्णय लेकर घोड़ों के रोग-मुक्त क्षेत्र और संबंधित सुविधाओं को लेकर नीति-निर्माण पर जोर दिया।
समान अवसर, मजबूत आधार
खेल मंत्री ने कहा कि खेल केवल मेडल जीतने की प्रतिस्पर्धा भर नहीं हैं। यह देश की इच्छाशक्ति, परिश्रम और खेल अनुशासन का प्रतिनिधित्व करते हैं। भारत अब छोटे क्षेत्रों और सीमित संसाधनों वाले खेलों को भी वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। घुड़सवारी जैसे खेलों में सरकारी निवेश और आधारभूत संरचना का विकास यह सुनिश्चित करेगा कि आने वाले वर्षों में भारत अंतरराष्ट्रीय मंच पर कई और ऐतिहासिक प्रदर्शन दर्ज करे और युवा खिलाड़ी विश्वस्तरीय मंच पर अपने कौशल का प्रदर्शन कर सकें।