भारत और ब्रुनेई के बीच रक्षा सहयोग को सुदृढ़ बनाने के उद्देश्य से रक्षा सहयोग पर संयुक्त कार्य समूह (Joint Working Group on Defence Cooperation) की पहली बैठक 9 दिसंबर 2025 को नई दिल्ली में आयोजित की गई। यह बैठक दोनों देशों के बीच दीर्घकालिक सुरक्षा साझेदारी और रणनीतिक सहयोग को प्रोत्साहित करने में महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

बैठक में सैन्य आदान–प्रदान, संयुक्त प्रशिक्षण, समुद्री सुरक्षा, मानवीय सहायता, आपदा राहत (HADR), क्षमता निर्माण, रक्षा उद्योग में सहयोग और प्रौद्योगिकी साझेदारी जैसे प्रमुख क्षेत्रों पर विस्तृत चर्चा हुई। हिंद–प्रशांत क्षेत्र में बदलते रक्षा–सुरक्षा परिदृश्य को देखते हुए बैठक में समुद्री मार्गों की सुरक्षा और नियम–आधारित वैश्विक व्यवस्था को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया।
बैठक की सह–अध्यक्षता भारत के रक्षा मंत्रालय में संयुक्त सचिव अमिताभ प्रसाद और ब्रुनेई के रक्षा मंत्रालय की उप–स्थायी सचिव पोह कुई चून ने की। बैठक से पूर्व दोनों प्रतिनिधियों ने संयुक्त कार्य समूह की स्थापना से संबंधित विचारार्थ विषयों (Terms of Reference) पर हस्ताक्षर किए। यह हस्ताक्षर दोनों देशों के रक्षा सहयोग में नए अध्याय की शुरुआत माना जा रहा है।
संयुक्त कार्य समूह दोनों देशों के बीच मौजूदा रक्षा संबंधों की समीक्षा, सहयोग के नए अवसरों की पहचान और सुरक्षा आवश्यकताओं के अनुरूप सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए एक रचनात्मक मंच का कार्य करेगा। इसमें रक्षा उत्पादन और उद्योग सहयोग को मजबूत करने पर विशेष बल दिया गया है, जिससे भारत की ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत निर्यात और संयुक्त विनिर्माण की संभावना को मजबूती मिल सके।
बैठक में दोनों पक्षों ने रक्षा साझेदारी को और अधिक संगठित, अधारभूत रूप से संरचित तथा दीर्घकालिक दिशा में आगे बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की। प्रतिनिधिमंडलों ने हिंद–प्रशांत क्षेत्र में शांति, स्थिरता, समुद्री सुरक्षा और सहयोगात्मक ढांचे को जारी रखने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।
अपने दो–दिवसीय भारत प्रवास के दौरान ब्रुनेई की उप–स्थायी सचिव पोह कुई चून ने नई दिल्ली में रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह से भेंट की। इस मुलाकात में दोनों देशों के बीच रक्षा उत्पादन, तकनीकी विकास और क्षमता निर्माण से संबंधित मुद्दों पर चर्चा हुई।
इसके अलावा, सुश्री पोह कुई चून ने हाल ही में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा उद्घाटित डीपीएसयू भवन का भी दौरा किया। यह अत्याधुनिक भवन देश के सभी 16 रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों का एक संयुक्त केंद्र है, जिसका उद्देश्य साझेदारी, नवाचार, अनुसंधान तथा वैश्विक स्तर पर भारतीय रक्षा विनिर्माण क्षमता को प्रदर्शित करना है। इससे यह अपेक्षा की जा रही है कि भविष्य में भारत और ब्रुनेई के बीच संयुक्त उत्पादन, रक्षा निर्यात और अनुसंधान सहयोग के नए अवसर विकसित होंगे।
यह बैठक और इससे जुड़े कार्यक्रम भारत–ब्रुनेई रक्षा संबंधों को नई ऊंचाई प्रदान कर रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि हिंद–प्रशांत क्षेत्र में सहयोग के बढ़ने से क्षेत्रीय सुरक्षा ढांचा मजबूत होगा और दोनों देशों के सामरिक हितों को दीर्घकालिक सुरक्षा मिलेगी।