भारत के परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) ने वर्ष 2025 में ऊर्जा उत्पादन, उच्च प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य सेवा, वैज्ञानिक अनुसंधान, कृषि नवाचार, राष्ट्रीय सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय उपलब्धियों के क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति दर्ज की। विभाग ने बिजली उत्पादन से लेकर सामाजिक और औद्योगिक उपयोगिता तक व्यापक क्षेत्रों में अनुसंधान आधारित समाधान प्रस्तुत किए और राष्ट्रीय सुरक्षा में महत्त्वपूर्ण योगदान जारी रखा।

डीएई का कार्यक्षेत्र केवल परमाणु ऊर्जा संयंत्रों तक सीमित नहीं है। यह विभाग अनुसंधान रिएक्टरों, कण त्वरकों, चिकित्सा रेडियोआइसोटोप, विकिरण प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य सेवा, खाद्य सुरक्षा, जल उपचार और अपशिष्ट प्रबंधन जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। वर्ष 2025 में विभाग की उपलब्धियां एक ऐसे भारत की दिशा में संकेत करती हैं जो ऊर्जा आत्मनिर्भरता के साथ वैश्विक विज्ञान और सुरक्षा नेतृत्व की ओर अग्रसर है।
ऊर्जा क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपलब्धियां
देश के लिए ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने के प्रयासों के तहत माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 सितंबर, 2025 को राजस्थान के माही बांसवाड़ा परमाणु ऊर्जा संयंत्र की आधारशिला रखी। यह 4 यूनिट की परियोजना 700 मेगावाट पीएचडब्ल्यूआर क्षमता के साथ एनपीसीआईएल और एनटीपीसी के संयुक्त उद्यम अश्विनी द्वारा स्थापित की जाएगी।
वर्ष 2025 में डीएई ने अपने परिचालन इतिहास का सर्वोच्च उत्पादन दर्ज किया। वित्त वर्ष 2024-25 में एनपीसीआईएल ने 56,681 मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन किया, जिससे लगभग 49 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन रोका जा सका। रावतभाटा स्थित आरएपीपी-7 यूनिट को वाणिज्यिक परिचालन के लिए ग्रिड से सफलतापूर्वक जोड़ा गया। इसके अतिरिक्त गुजरात के काकरापार स्थित स्वदेशी 700 मेगावाट रिएक्टरों की पहली दो इकाइयों के लिए नियमित संचालन का एईआरबी लाइसेंस जारी किया गया।
परमाणु ऊर्जा आयोग ने भविष्य की दिशा में महत्त्वपूर्ण कदम उठाते हुए 22.5 गीगावाट क्षमता वृद्धि के साथ अतिरिक्त 10 स्वदेशी पीएचडब्ल्यूआर इकाइयों के लिए पूर्व-परियोजना गतिविधियों को मंजूरी दी।
स्वास्थ्य सेवाओं में क्रांतिकारी विस्तार
डीएई ने कैंसर चिकित्सा और रेडियोफार्मास्यूटिकल्स के क्षेत्र में राष्ट्रव्यापी स्वास्थ्य सुरक्षा को मजबूत किया। 22 अगस्त, 2025 को बिहार के मुजफ्फरपुर में 150 बिस्तरों वाले होमी भाभा कैंसर अस्पताल एवं अनुसंधान केंद्र का उद्घाटन प्रधानमंत्री द्वारा किया गया। टाटा मेमोरियल सेंटर ने इस वर्ष 1.3 लाख नए रोगियों का पंजीकरण किया तथा लगभग 5 लाख महिलाओं के कैंसर निदान की सुविधा सुनिश्चित की।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर डीएई की प्रतिष्ठा बढ़ी, जब आईएईए ने टाटा मेमोरियल अस्पताल को “आशा की किरण” एंकर सेंटर के रूप में मान्यता प्रदान की। चिकित्सा उपकरणों के स्टरलाइजेशन में भारत ने नई उपलब्धि दर्ज की। स्वदेशी 10 एमईवी लिनैक आधारित सुविधा द्वारा एक करोड़ चिकित्सा उपकरणों का निर्यात योग्य स्टरलाइजेशन किया गया, जिनका निर्यात 35 से अधिक देशों को हो रहा है।
उन्नत उपचार तकनीकों में 177LU-DOTA-FAPI-2286 थेरेपी तथा पांच नई उच्च-सटीक नैदानिक प्रक्रियाओं को विकसित कर नियमित उपयोग में सम्मिलित किया गया। इन नवाचारों से कैंसर उपचार का दायरा सुलभ और उन्नत हुआ।
उच्च प्रौद्योगिकी और राष्ट्रीय सुरक्षा में सुदृढ़ कदम
स्वदेशी वैज्ञानिक प्रगति के तहत ‘फेरोकार्बोनेटाइट (BARC B1401)’ सीआरएम का विकास भारत की बड़ी छलांग के रूप में सामने आया। यह दुर्लभ पृथ्वी तत्वों के लिए देश की पहली और विश्व की चौथी प्रमाणित सामग्री है।
रक्षा एवं सामरिक सुरक्षा के क्षेत्र में ईसीआईएल ने महत्वपूर्ण उपलब्धियां दर्ज कीं। रासायनिक, जैविक, रेडियोलॉजिकल और परमाणु (सीबीआरएन) सुरक्षा प्रणाली को महत्त्वपूर्ण प्रतिष्ठानों में स्थापित किया गया। इसके अतिरिक्त अग्नि मिसाइल प्रणाली के लिए एकीकृत पावर यूनिट और नौसेना के लिए एस्ट्रा मिसाइल नियंत्रण प्रणाली का सफल एकीकरण किया गया।
भारत की समुद्री सुरक्षा क्षमता बढ़ाने के लिए ब्रह्मोस एयरोस्पेस हेतु सी4आई प्रणाली का निर्यात-स्तरीय आपूर्ति की गई। अंतरिक्ष कार्यक्रमों के लिए नायोबियम उत्पादन सुविधा ने परिचालन प्रारंभ किया।
अनुसंधान और नवाचार: समाज और विज्ञान के लिए
नवजात शिशु के वजन का नया गणितीय मॉडल, डार्क मैटर खोज प्रयोग इंडेक्स, और उच्च शुद्धता वाले बोरोन-11 का औद्योगिक संवर्धन भारत को वैज्ञानिक अग्रता प्रदान करता है। यह अनुसंधान स्वास्थ्य जोखिमों की पूर्व पहचान से लेकर क्वांटम और सेमीकंडक्टर उद्योग तक प्रभावी होगा।
कृषि और खाद्य संरक्षण में बड़े परिवर्तन
विकिरण तकनीक ने कृषि उपज सुधार और खाद्य सुरक्षा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। बीएआरसी द्वारा विकसित केले की टीबीएम-9 और ज्वार की आरटीएस-43 किस्में अधिक उत्पादकता और कम परिपक्वता समय के साथ कृषि अर्थव्यवस्था को गति देंगी। विकिरण आधारित खाद्य प्रसंस्करण सुविधाओं की संख्या 40 तक पहुंच चुकी है।
राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मान्यताएं
विभाग की संस्थाएं इस वर्ष वैश्विक स्तर पर सम्मानित रहीं। टीआईएफआर द्वारा प्रशिक्षित विद्यार्थियों ने अंतरराष्ट्रीय विज्ञान ओलंपियाड में असाधारण सफलता प्राप्त की। ईसीआईएल और आईआरईएल को ‘स्कोप एमिनेंस अवार्ड’ प्राप्त हुआ और डीएई को लगातार दूसरे वर्ष राजभाषा कीर्ति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। मुंबई के एईसीएस-2 की प्रधानाध्यापिका श्रीमती सोनिया कपूर को राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार प्रदान किया गया।