नीति आयोग के अटल इनोवेशन मिशन (एआईएम) और हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड (एचयूएल) ने भारत को पुनर्चक्रण आधारित अर्थव्यवस्था यानी सर्कुलर इकोनॉमी की ओर तेजी से ले जाने के उद्देश्य से एक व्यापक राष्ट्रव्यापी स्टार्टअप गतिवर्द्धन कार्यक्रम आरंभ करने की घोषणा की है। यह पहल एचयूएल की सर्कुलर भारत परियोजना के अंतर्गत उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसका लक्ष्य अगले तीन वर्षों में इस क्षेत्र में उच्च संभावना वाले पचास स्टार्टअप की पहचान कर उन्हें प्रोत्साहित और सशक्त बनाना है।

इस कार्यक्रम का प्राथमिक केंद्र प्लास्टिक पुनर्चक्रण से जुड़े नवोन्मेषी समाधानों को बढ़ावा देना है। चुने जाने वाले स्टार्टअप प्लास्टिक के पुनर्चक्रण, पुनःउपयोग, पुनर्भरण तथा अगली पीढ़ी की पैकेजिंग सामग्रियों के विकास जैसे क्षेत्रों में सक्रिय होंगे। साथ ही, यह कार्यक्रम उन स्टार्टअप को भी प्रोत्साहित करेगा जो कपड़ा अपशिष्ट, ई-कचरा और अन्य उपभोग पश्चात अपशिष्ट से उपयोगी सामग्रियों के निष्कर्षण पर कार्य कर रहे हैं। इन क्षेत्रों में संभावनाओं को देखते हुए यह पहल सर्कुलर इकोनॉमी के विविध आयामों को मजबूत करने का मार्ग प्रशस्त करेगी।
चुने गए स्टार्टअप को उद्योग जगत के अग्रणी विशेषज्ञों, नीति निर्माताओं और निवेशकों से संरचित मार्गदर्शन प्राप्त होगा। इस मार्गदर्शन का उद्देश्य उनके व्यवसाय मॉडल को स्थायी रूप से विकसित करने, उन्हें बाजार में परखने योग्य अवसर उपलब्ध कराने और उनकी वृद्धि के लिए आवश्यक वित्तीय सहायता प्रदान करना है। अनुदान आधारित वित्तपोषण के अतिरिक्त इन स्टार्टअप को पायलट प्रोजेक्ट और बाजार परीक्षण जैसे अवसर भी प्राप्त होंगे, जिससे उनके समाधान व्यापक पैमाने पर लागू हो सकेंगे।

एआईएम और एचयूएल की यह भागीदारी नवाचार और उद्योग विशेषज्ञता का एक महत्त्वपूर्ण संगम है। एआईएम और नीति आयोग के नीति निर्माण एवं नवाचार प्रोत्साहन में अनुभव, तथा एचयूएल के औद्योगिक नेटवर्क और सस्टेनेबल समाधानों के विस्तार में विशेषज्ञता का संयोजन इस कार्यक्रम की प्रभावशीलता को बढ़ाएगा। यह साझीदारी भारत को अपशिष्ट प्रबंधन, पुनर्चक्रण और संसाधन दक्षता के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने में सक्षम होगी।
एचयूएल के कार्यकारी निदेशक तथा जन, परिवर्तन और संवहनीयता अधिकारी बीपी बिद्दप्पा ने इस भागीदारी को भारत के लिए पुनर्चक्रण आधारित अर्थव्यवस्था के निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने कहा कि एचयूएल इस बात में विश्वास रखता है कि भारत के लिए जो अच्छा है, वही एचयूएल के लिए भी अच्छा है। उन्होंने इस पहल के माध्यम से सरकारी सहयोग, उद्योग विशेषज्ञता और उद्यमियों की ऊर्जा के एकीकरण को आवश्यक बताया, जिससे अगली पीढ़ी के सस्टेनेबल स्टार्टअप आगे बढ़ सकें और व्यावहारिक समाधान विकसित कर सकें।
नीति आयोग के अटल इनोवेशन मिशन के मिशन निदेशक डॉ. दीपक बागला ने इसे प्रधानमंत्री की लोकनीति और दृष्टि पर आधारित एक महत्वपूर्ण सहयोग बताया। उन्होंने कहा कि भारत के लिए संवहनीय विकास केवल एक नारा नहीं, बल्कि राष्ट्रीय संकल्प है। भारत में संसाधनों के उपयोग और मूल्य निर्माण को पुनर्परिभाषित करने वाले स्टार्टअप को मजबूत करना इस संकल्प का आधार है। उन्होंने कहा कि इस तरह की साझेदारियाँ ऐसे समाधान प्रस्तुत करती हैं जो अपशिष्ट कम करते हैं, पुनर्चक्रण को नए दृष्टिकोण से समझते हैं और भविष्य के हरित उद्योगों की नींव रखते हैं।
यह साझीदारी न केवल सस्टेनेबिलिटी और पर्यावरण संरक्षण के लक्ष्यों को आगे बढ़ाती है, बल्कि भारत के नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र को भी सुदृढ़ करती है। स्टार्टअप के लिए संरचित समर्थन और उद्योग जगत तक आसान पहुँच उन्हें व्यावसायिक रूप से सक्षम बनाएगी और देश को अपशिष्ट प्रबंधन एवं पुनर्चक्रण के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों तक ले जाएगी।